वन विभाग एवं एसओएस वाल्डलाइफ संस्था की टीम द्वारा रेस्क्यू कर जारा नाम की हथिनी को मथुरा जिले के चुरमुरा स्थित हाथी अस्पताल में लाया गया। उसके पैरों में गंभीर चोट है। इसके कारण वो ठीक से चल भी नहीं पा रही है। अस्पताल में चिकित्सकों की एक टीम ने शनिवार को उसका परीक्षण किया। इसमें उसके दुर्बल शरीर की स्थिति सहित गंभीर बीमारियों का पता चला। उसका इलाज शुरू हो गया है।
चिकित्सकों ने बताया कि हथिनी जारा के आगे पैर की हड्डी असामान्य रूप से जुड़ी है। उसे ऑस्टियो आर्थराइटिस आदि गंभीर बीमारियां हैं। हाथी अस्पताल में हथिनी की लेजर थेरेपी, हाइड्रोथेरेपी उपचार, डिजिटल रेडियोलॉजी, थर्मल इमेजिंग जैसी मेडिकल प्रक्रिया के तहत देखभाल की जा रही है।
पशु चिकित्सक डॉ. प्रमोद राजपूत ने बताया कि हथिनी पुराने गठिया रोग के कारण गंभीर रूप से पीड़ित है, जिससे पैरों पर अधिक भार लेने में अक्षम है। मथुरा के डीएफओ रघुनाथ मिश्रा ने बताया कि हथिनी काफी कमजोर स्थिति में है। उसे वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल फरह भेजा गया है।
एसओएस वाल्डलाइफ संस्था के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि हमें उम्मीद है कि 'जारा' अस्पताल में उपलब्ध विशेष चिकित्सा उपकरणों और पशु चिकित्सा देखभाल से लाभान्वित होगी। संस्था की सचिव गीता शेषमणि ने कहा कि कम उम्र में 'जारा' को इतनी गंभीर चोटों से पीड़ित देखकर दिल सहम सा जाता है।
संस्था के निदेशक बैजूराज ने कहा कि हाथी अस्पताल का लक्ष्य संकट में हाथियों के लिए विशेष और महत्वपूर्ण देखभाल प्रदान करना है। हमारे पशु चिकित्सकों की देखरेख में 'जारा' को सभी वो चिकित्सकीय सेवा मिल सकेगी, जिसकी उसे जरूरत है।