श्रीनगर के लालचौक पर 29 साल पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तिरंगा फहराया था। मोदी उस वक्त जोशी की उस टीम के सदस्य थे जो घनघोर आतंकवाद के उस दौर में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने पहुंची थी। हालांकि इसके बाद बीते 28 सालों में लालचौक पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका।
1992 में लालचौक पर पहली बार कश्मीर में अलगाववादियों, आतंकियों और मुख्यधारा की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों, राष्ट्रवादियों और सुरक्षाबलों के लिए पहली बार प्रतिष्ठा का सवाल बना था। भारतीय जनता पार्टी ने कन्याकुमारी से एकता यात्रा शुरु करते हुए 26 जनवरी 1992 को उसे लालचौक में तिरंगा फहराते हुए संपन्न करने का एलान किया था।
भाजपा के इस एलान के बाद पूरी रियासत में स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण हो गई। कश्मीर में स्थिति विस्फोटक थी। आतंकी और अलगाववादियों ने खुलेआम एलान किया था कि तिरंगा नहीं फहराने दिया जाएगा। भाजपा की एकता यात्रा पूरी होने से पहले ही आतंकियों ने पुलिस मुख्यालय मे ग्रेनेड धमाका किया था, जिसमें तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जेएन सक्सेना जख्मी हुए थे।
हवाई जहाज से झंडा फहराने पहुंचे थे श्रीनगर
हालात को भांपते हुए तत्कालीन प्रशासन ने मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं को हवाई जहाज के जरिए श्रीनगर पहुंचाया था। लालचौक पूरी तरह से युद्घक्षेत्र बना हुआ था। चारों तरफ सिर्फ सुरक्षाकर्मी ही थे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लगभग 15 मिनट में ही मुरली मनोहर जोशी व उनकी टीम के सदस्य के रूप में शामिल नरेंद्र मोदी व अन्य ने तिरंगा फहराया। इस दौरान आतंकियों ने रॉकेट भी दागे जो निशाने पर नहीं लगे। इसके बाद सभी नेता सुरक्षित वापस लौट गए थे।
आज केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। राज्य में राष्ट्रपति शासन है। श्रीनगर में देश की फौज है बावजूद इसके लाल लालचौक पर किसी को तिरंगा फहराने की अघोषित रूप से इजाजत नहीं है।