अगले महीने जून में दो ग्रहण लगेंगे। पहला पांच जून को चंद्र ग्रहण होगा तो दूसरा 21 जून को सूर्य ग्रहण। खास यह है कि एक महीने में दो ग्रहण का संयोग 50 साल के बाद बन रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक ग्रहण किसी के लिए अच्छा नहीं होता और बात अगर एक ही माह में दो ग्रहण की करें तो ये पूरी दुनिया के लिए समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। एक माह में दो ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही महामारी लेकर आते हैं। कोरोना के मामलों में इससे इजाफा होगा। जून में लगने वाले दोनों ग्रहण भारत में दिखाई देंगे।
भारत और विश्व के लिए 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील है। मिथुन राशि में होने जा रहे इस ग्रहण के समय मंगल मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जो अशुभ संकेत है। इसी के साथ ग्रहण के समय शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्री स्थिति में रहेंगे। राहु और केतु तो सदैव उल्टी चाल ही चलते हैं तो इस लिहाज से कुल छह ग्रह वक्री रहेंगे। यह स्थिति पूरे विश्व में उथल पुथल मचाएगी।
कोरोना के संक्रमण को बढ़ाएगा ग्रहण
पंडित नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा जो कि नैसर्गिक माता-पिता बन, आत्मा, शक्ति, शासन सत्ता पक्ष, प्रेम इत्यादि के द्योतक हैं, उनका संक्रमित होना पूरे जनमानस के लिए खराब साबित होने वाला है। किसी भी तरह का ग्रहण किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
अलग-अलग तरीकों से ये लोगों पर प्रभाव डालता है। चंद्रमा मन मस्तिष्क व आय के भाव को प्रभावित करता है। संबंधित व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह जिस भाव का मालिक होगा उसे प्रभावित करता है। वहीं सूर्य पिता-पुत्र, राज्य सत्ता पक्ष, शारीरिक फल को प्रभावित करेगा। 28 जून तक ग्रहों की स्थिति किसी भी तरह से ठीक नहीं है। ग्रहण से कोरोना का संक्रमण बढ़ेगा।
दो ग्रहणों से बनती है अकाल की संभावना
पंडित शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि संहिता ग्रंथों में एक ही महीने में और वह भी 20 दिन के अंदर दो ग्रहण होने को अशुभ कहा गया है। महाभारत काल में ग्रहण का विवरण मिलता है। कहा गया है कि पांडवों और कौरवों के बीच 18 दिन तक युद्ध हुआ और युद्ध के दौरान पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण व उसके 13 दिन के बाद सूर्य ग्रहण हुआ।
यह संपूर्ण जगत के लिए शुभ संकेत नहीं था। मेदिनी ज्योतिष में कहा गया है कि यदि एक ही महीने में दो ग्रहण घटित हों तो दुर्भिक्ष और अकाल की आशंका बनती है। इन सभी बातों पर गौर करते हुए ऐसा लगता है कि पूर्व से व्याप्त कोरोना वायरस नामक रोग अभी कुछ महीने आगे तक खिंचेगा।
ग्रहण का समय
पंडित बृजेश पांडेय ने बताया कि चंद्र ग्रहण पांच जून की रात 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा जो छह तारीख को दो बजकर 24 मिनट पर खत्म होगा। यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
उसी ग्रहण का सूतक काल मान्य होता है जिस ग्रहण को हम सामान्यत: देख पाएं। दूसरा सूर्य ग्रहण है जो 21 जून को लगेगा। ये साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण होगा। इसका समय सुबह नौ बजकर 15 मिनट से शुरू होगा जो दोपहर तीन बजकर तीन मिनट तक रहेगा। यह ग्रहण लंबे समय के लिए लग रहा है।