खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह साल कई अनोखी और अद्भुत घटनाओं की सौगात लेकर आया है। एक तरफ जहां उल्का पिंडों की वर्षा, खगोल पिंड, सुपरमून सरीखी घटनाओं को देखने का मौका मिल रहा है तो दूसरी तरफ इस वर्ष चार चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण को देखने का भी अवसर मिलेगा। खासकर एक महीने में ही पांच जून को चंद्रग्रहण और 21 जून को सूर्यग्रहण की दुर्लभ खगोलीय घटनाओं को देख सकते हैं।
वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद् अमरपाल सिंह ने बताया कि वर्ष-2020 में ग्रहण से जुड़ी छह घटनाएं होंगी। इनमें चार बार चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण को आप देख सकेंगे। इसमें से एक चंद्रग्रहण इसी वर्ष जनवरी में बीत भी चुका है। चंद्रग्रहण को सामान्य तौर पर और टेलीस्कोप के जरिए भी देखा जा सकेगा। सूर्यग्रहण देखने के लिए टेलीस्कोप की मदद भी ले सकते हैं। सूर्य ग्रहण को कभी भी सामान्य आंखों से नहीं देखना चाहिए।
जानिए, कैसे होता है चंद्रग्रहण
खगोलविद् ने बताया कि विज्ञान के अनुसार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है जबकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ घूमता है। कई बार पृथ्वी घूमते-घूमते सूर्य व चंद्रमा के बीच में आ जाती है। इस स्थिति में पृथ्वी चांद को अपनी ओट से पूरी तरह से ढंक लेती है जिस कारण चांद पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती, इसे ही चंद्र ग्रहण कहते हैं।
10 जनवरी- रात 10:37 से 11 जनवरी को 2:42
यहां दिखाई देगा : भारत, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया
5 जून- रात को 11:15 से 6 जून को 2:34 तक।
यहां दिखाई देगा : भारत, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया
5 जुलाई - सुबह 08:37 से 11:22 तक
यहां दिखेगा ग्रहण: दक्षिण पूर्व यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका
30 नवंबर : दोपहर को 1:02 से शाम 5:23 तक
यहां दिखाई देगा: भारत, प्रशांत महासागर, एशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया
जानें, कैसे होता है सूर्यग्रहण
खगोलविद् ने बताया कि सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है। पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चंद्रमा द्वारा आच्छादित होता है। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढंक जाता है, इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
21 जून- सुबह 9:15 से दोपहर 3:04 तक पूर्ण ग्रहण
सुबह 10:17 से 2.02 बजे तक होगा। वहीं 12:10 पर ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव होगा।
यहां दिखाई देगा : भारत, एशिया और दक्षिण पूर्व यूरोप
14 दिसंबर- शाम को 7:03 मिनट से 15 दिसंबर को 12 बजे तक
कहां दिखाई देगा: यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसे प्रशांत महासागर के क्षेत्र में देखा जा सकेगा