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गीता प्रेस जयंती: 99 वर्षों में प्रकाशित हुईं श्रीमद्भागवत की 16.25 करोड़ प्रतियां, दुनिया में है विशेष पहचान

संवाद न्यूज एजेंसी, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Sun, 04 Dec 2022 11:46 AM IST
gita press
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दुनिया को जीवन का सार समझाने वाली श्रीमद्भागवत गीता की लोकप्रियता अन्य धार्मिक पुस्तकों से अधिक है। स्थापना के बाद 99 वर्षों में गीताप्रेस इसकी 16.25 करोड़ प्रतियां प्रकाशित की जा चुकी हैं।

गीता प्रेस की स्थापना की कहानी रोचक और प्रेरित करने वाली है। वर्ष 1921 के आसपास जयदयाल गोयंदका ने कोलकाता में गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना की। इसी ट्रस्ट के तहत वह गीता का प्रकाशन कराते थे। पुस्तक में कोई त्रुटि न हो इसके लिए प्रेस मालिक को कई बार संशोधन करना पड़ता था।

 
गोरखपुर की पहचान गीता प्रेस।
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प्रेस मालिक ने एक दिन कहा कि इतनी शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगवा लीजिए। गोयंदका ने इस कार्य के लिए गोरखपुर को चुना। साल 1923 में उर्दू बाजार में दस रुपये महीने के किराए पर एक कमरा लेकर उन्होंने गीता का प्रकाशन शुरू किया। धीरे-धीरे गीता प्रेस का निर्माण हुआ। आज गीता प्रेस की वजह से विश्व में गोरखपुर को एक अलग पहचान मिली हुई है।

 
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गोरखपुर गीता प्रेस।
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15 भाषाओं में होता है प्रकाशन
गीता प्रेस से गीता का 15 भाषाओं में प्रकाशन होता है। इसमें हिंदी, संस्कृत, बंगला, मराठी, गुजराती, तमिल, कन्नड़, असमिया, उड़िया, उर्दू, तेलगू, मलयालम, पंजाबी, अंग्रेजी और नेपाली भाषाएं शामिल हैं।

 
सीएम योगी। (फाइल)
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गीता जयंती समारोह में पहली बार शामिल होंगे सीएम
गीता प्रेस में आयोजित गीता जयंती महोत्सव में योगी आदित्यनाथ बतौर सीएम पहली बार शमिल होंगे। इसके पहले वह सांसद रहते हुए कई बार महोत्सव में शामिल हुए हैं। मुख्य अतिथि सीएम योगी चार दिसंबर को शाम पांच बजे आएंगे। करीब एक घंटे वह महोत्सव में रहेंगे। महोत्सव की अध्यक्षता एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय करेंगे। गीता प्रेस के हॉल में आयोजित कार्यक्रम में लगभग 400 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। महोत्सव में सीएम योगी चित्रमय सुंदरकांड का विमोचन करेंगे।
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गीता प्रेस गोरखपुर।
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गीता प्रेस प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता कोई साधारण पुस्तक नहीं है। यह भगवान की वाणी है। इसलिए सेठजी जयदयाल गोयंदका ने सोचा कि अधिक से अधिक लोगों तक गीता तभी पहुंचाई जा सकती है, जब वह सस्ती हो। आज भी गीता प्रेस उनकी इसी सोच पर काम करती है।
 
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