दो दिन बाद जिले में भी कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। जिले का पहला इंसान कौन होगा, जो भी होगा इतिहास बनेगा। मगर इससे पहले ही यहां के पशु चिकित्सकों ने एक नए तरीके का इतिहास रच दिया है। उन्होंने दो महीने पहले से ही अभियान चलाकर करीब 10 हजार से अधिक पालतू कुत्तों को कोरोना से बचाव के टीके लगवा दिए। चौकिएगा नहीं, क्योंकि उस कोरोना और इस कोरोना में जमीन आसमान का फर्क है।
देश भर में कोरोना संक्रमण के बीच कुत्ता पालने वाले चिंतित थे। उन्हें डर था कि कहीं कुत्ते संक्रमण का शिकार न हो जाए। इस बीच उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि कोरोना का टीका कुत्तों को लग सकता है। इसके बाद से अचानक कुत्तों को लगने वाले कोरोना वैक्सीन की डिमांड बढ़ गई। जबकि कुत्तों को होने वाला कोरोना का कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी लोग कुत्तों को टीका लगवाने के लिए अभी भी पहुंच रहे हैं। लोगों को अभी भी डर है कि कहीं कुत्तों को कोरोना न हो जाए।
पहले निवेदन किया जाता था, अब लोग खुद ही लगवाने आ रहे
पशु चिकिसत्क डॉ. संजय ने बताया कि कुत्तों में होने वाले कोरोना के टीके को लगवाने के लिए निवेदन किया जाता था। लेकिन अब लोग खुद ही टीका लगवा रहे हैं। अब तक शहर में 10 हजार से अधिक कुत्ता पालने वाले लोगों ने टीका लगवा चुके हैं। बताया कि कुत्तों में होने वाला कोरोना बिल्कुल भी खतरनाक नहीं है। इस वायरस के स्ट्रेन का असर भी बेहद कम है। इससे कुत्तों को भी नुकसान नहीं है। लेकिन लोग डर की वजह से टीका लगवा रहे हैं।
1978 में हुई थी पहचान
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि कुत्तों में कोरोना की पहचान 1978 में हुई थी। पहले मामले विदेशों में ही आए थे। वर्ष 2003 से इसका वैक्सीन देश में आना शुरू हुआ। मौजूदा समय में कई भारतीय कंपनियां इसका वैक्सीन बना रही है। लेकिन लोग आज भी अमेरिका और ब्राजील की एक नामी कंपनी का वैक्सीन लगवाते हैं। इसकी कीमत 400 से 700 के बीच हैं।
बढ़ गई है वैक्सीन की डिमांड
वैक्सीन का काम करने वाले राजकिशोर ने बताया कि जब से कोरोना संक्रमण की पहचान हुई है तब से वैक्सीन की डिमांड बढ़ गई है। 15 से 20 गुना बिक्री बढ़ी है। बता दें कि इस वक्त 60 से अधिक पेट शॉप शहर में हैं।