गोरखपुर महिला अस्पताल की संविदाकर्मी शहाना का जीवन खत्म हो गया, मगर उसकी मौत से सबसे बड़ा नुकसान उसके एक साल के बच्चे ट्वन्टी को हुआ है। मासूम के पालन-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। मृतका के पिता इनायतुल्ला का कहना है कि मां नहीं है। ऐसे में मासूम को पालना चुनौतीपूर्ण है। बड़ा होता तो पालन-पोषण में दिक्कत नहीं आती। शहाना ही पूरे परिवार की देखभाल करती थी। घर की एकलौती कमाने वाली थी। उसकी मौत से सब कुछ खत्म हो गया है। अब कोई सहारा नहीं है। कैसे अपना व परिवार का पालन-पोषण करेंगे? खाने के लिए कुछ नहीं मिला तो मरना पड़ेगा। आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पूरी कहानी...
छोटी बहन को बताई थी शादी की बात
शहाना ने शादी व एक बच्चा होने की बात छोटी बहन शाहीन को बताई थी। कहा था कि एक बच्चा भी है, लेकिन यह नहीं बताया था कि शादी किससे हुई है? सिर्फ यही कहा था कि वह दरोगा है। अब शहाना हमारे बीच नहीं है। शाहीन कहती है कि शनिवार की रात ही उसे भीटी गांव में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। पोस्टमार्टम होने की वजह से जरूरी औपचारिकता तक नहीं पूरी की जा सकी। इसका मलाल हमेशा रहेगा।
दरोगा से शादी हुई, यही बताती थी शहाना
जिला महिला अस्पताल में कार्यरत शहाना सिर्फ यही बताती थी कि शादी दरोगा से हुई है, लेकिन किसी ने दरोगा को देखा तक नहीं है। जिला अस्पताल के संविदा कर्मी के मुताबिक दरोगा कभी अस्पताल परिसर में नहीं आया था। वह हेलमेट लगाकर बाइक से आता था। सब आते-जाते देखते थे, लेकिन नाम-पता नहीं जानते थे।
मां को ढूंढता रहा मासूम
करीब एक वर्ष का मासूम अपनी मां को ढूंढता रहा। मौसी समसा की गोद में कई बार रोया। मौसी को लगा कि वह भूखा है। दूध पिलाया तो शांत हो गया, लेकिन मां की तलाश जारी थी। कई बार हाथ उंगली उठाकर किसी को दिखाता रहा। ऐसा लगा कि मां को ढूंढ रहा है। वह मौसी के साथ ही भीटी गांव से गोरखपुर शहर आया। दिनभर कोतवाली पुलिस के बीच रहा। जिस कमरे में मां का शव मिला था, वहां भी परिजन लेकर गए।
यह थी घटना
जानकारी के मुताबिक, बेलीपार के भीटी गांव निवासी शहाना निशा कोतवाली इलाके के बक्शीपुर में किराए पर कमरा लेकर रहती थी। वह जिला अस्पताल में संविदाकर्मी थी। 15 अक्तूबर की सुबह किराए के कमरे में फंदे से लटकता उसका शव मिला था। घुटने मुड़े हुए जमीन पर टिके थे, वह इबादत की मुद्रा में बैठी नजर आ रही थी। शहाना का करीब एक वर्ष का बेटा अपनी मां का शव पकड़कर बिलख रहा था।