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Chhath Puja 2022: गोरखपुर में धूमधाम से शुरू हुआ छठ महापर्व, बाजारों में उमड़ी खरीदारों की भीड़

संवाद न्यूज एजेंसी, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Sat, 29 Oct 2022 03:19 PM IST
Chhath 2022 Mahaparva started with pomp in Gorakhpur
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चार दिनों के लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हो गई। घरों में छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने विधि-विधान से नहाय-खाय की पारंपरिक रस्म निभाई। व्रती शनिवार को खरना से निर्जल उपवास शुरू किया। रविवार को अस्ताचलगामी और सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगे। इस बीच छठ पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए शुक्रवार को पूरे दिन बाजार में चहल-पहल रही। प्रमुख बाजार छठ के सामानों से पटे रहे। शुक्रवार को व्रती माताओं ने सुबह जलाशयों और घरों में स्नान के बाद शाम को कद्दू-चावल पकाकर खाया। नहाय खाय के दौरान कई घरों में छठ गीत गाए गए।



उधर, छठ घाटों पर पूरे दिन चहल पहल रही। श्रद्धालुओं के साथ नगर निगम की टीम और स्वयं सेवक घाटों की व्यवस्था दुरुस्त करने में लगे रहे। महानगर के सूर्यकुंड धाम, गोरखनाथ, महेसरा घाट, राजघाट, रामघाट, रामगढ़ताल आदि स्थानों में बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा की वेदी बनाते नजर आए।
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महानगर में तैयार हुए अस्थायी घाट
महानगर के विष्णु मंदिर, गीता वाटिका, शाहपुर, विष्णुपुरम, बौलिया कॉलोनी, कूड़ाघाट, सूबा बाजार, बशारतपुर, रुस्तमपुर, राप्तीनगर, जाफरा बाजार, भेड़ियागढ़, सहारा इस्टेट, सिविल लाइंस, पादरी बाजार, असुरन चौक आदि इलाकों में लोगों ने घरों के आगे अस्थायी घाट बनाकर तैयार किए हैं। कुछ लोगों ने घर के पास छोटा गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर लिया है।

 
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कोसी भरने की तैयारी में जुटे श्रद्धालु
घर में किसी मांगलिक आयोजन या किसी मन्नत के पूरा होने के बाद छठ पर कोसी भरी जाती है। महानगर के विभिन्न मोहल्लों के घरों में कोसी भरने की तैयारी है। इसके लिए कोसी भरने में उपयोग में लाया जाने वाला मिट्टी का हाथी, कलश, दीये, गन्ना, फल आदि सामान जुटाने में लोग लगे रहे।

 
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खरना आज
व्रती महिलाएं शनिवार को निर्जल खरना व्रत रखी हुई हैं। शाम को स्वच्छ स्थान पर चूल्हे को स्थापित कर अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से पूजा करेंगी। आटे से रोटी और साठी के चावल से खीर बनाएंगी। इसके बाद खरना किया जाएगा। यही रोटी और खीर खाने के बाद छठ व्रत शुरू हो जाएगा, जो सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा।

 
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रामायण काल से हुआ व्रत का आरंभ
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, मान्यता है कि भगवान सूर्य और माता छठ को समर्पित छठ व्रत का शुभारंभ रामायण काल से हुआ। माता सीता ने इस व्रत को अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए किया था। द्रोपदी के छठ व्रत के परिणाम स्वरूप पांडवों को राजपाट वापस मिला था।

छठ पूजा का महत्व
ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन ने बताया कि छठ व्रत रोगों से मुक्ति, संतान के सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से छठ व्रत रखने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। जिसकी मनोकामना पूरी होती है, वह कोसी भरते हैं। बहुत से लोग घाटों पर दंडवत पहुंचते हैं।
 
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