नोटबंदी के बाद काले धन को सफेद करने के लिए लोग कई तरह से तरीके अपना रहे हैं। ऐसा ही एक और जुगाड़ लगाया जा रहा है, खुद देख लिजिए।
ब्लैक मनी वाले वे कारोबारी जिनकी खेतिहर जमीन भी हैं, वे फर्जी तरीके से जे फार्म निकलवा रहे हैं। जे फार्म पर कुछ प्रतिशत कमीशन का खेल चल रहा है। इसमें छोटे किसान से लेकर मंडी आढ़ती, एंट्री गेट वाले तक शामिल हैं। फर्जी एंट्री भी करवाई जा रही है। इन दिनों कमेटी कार्यालय में जे फार्म की एंट्री जबरदस्त बढ़ोतरी पर है।
जे फार्म एक तरह से एक नंबर में फसल बेचने की रसीद है। यह रसीद लेकर फिर किसान कम कारोबारी अपने सीए के पास ले जाकर रोकड़ में एंट्री करवा रहे हैं। दरअसल जमीन -जायदाद वाले कारोबारी मंडियों में आने वाले छोटे किसानों को उनके नाम से फसल मंडी में लाने की एंट्री करवा रहे हैं। वह एंट्री से लेकर आढ़ती की दुकान पर बेचने तक जिसे जे फार्म दिलवाना है उस जमीन जायदाद वाले कारोबारी के नाम की एंट्री करवा देता है।
जब फसल बिक जाती है तो उसे पक्की रसीद मिल जाती है यानी जे फार्म मिल जाता है। उस जे फार्म को वह किसान संबंधित कारोबारी को दे देता है। उस पर वह अपना कुछ खर्च ले लेता है। इस मामले में मंडियों में फसल लेकर आने वाले ट्रैक्टर चालक व अन्य वाहन चालक भी अच्छी कमाई कर रहे हैं। बड़े खरीदार जिनके पास दो नंबर का पैसा है यानी जिनकी मनी व्हाइट नहीं है वे पुराने नोट लेने पर किसानों को 200 रुपये क्विंटल के हिसाब से अधिक भाव दे रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर इन दिनों कपास के भाव हिसार मंडी में 52 सौ रुपये प्रति क्विंटल है मगर जो किसान पुराने नोट स्वीकार कर रहे हैं उन्हें खरीदार 54 सौ रुपये प्रति क्विंटल के रेट के पैसे दे रहे हैं। इससे खरीदार की मनी कम खर्च में व्हाइट हो रही है। आढ़ती की पेमेंट करंट एकाउंट में से ट्रांजेक्शन करवा देता है। मोटे लेनदेन में व्हाइट मनी होने के बाद वापस लेनदेन हो जाता है।