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उत्तर प्रदेश में तीन शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद अब यहां का पहला पुलिस आयुक्त कौन होगा, इसे लेकर सरगर्मियां बढ़ गई है। लोग अपने-अपने हिसाब से अंदाजा लगा रहे हैं कि नए पुलिस कमिश्नरेट का पहला आयुक्त किसे बनाया जाएगा।
जानकार बता रहे हैं कि नए गठित तीनों पुलिस कमिश्नरेट पूर्व के चार पुलिस कमिश्नरेट से छोटे बनाए गए हैं। जहां लखनऊ में संयुक्त पुलिस आयुक्त के दो पद, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में अपर पुलिस आयुक्त के दो-दो पद सृजित हैं, वहीं नई कमिश्नरेट के लिए एक-एक ही अपर पुलिस आयुक्त के पद सृजन का प्रस्ताव है। नए कमिश्नरेट में 3-3 जोन होंगे। यहां डीसीपी की भी संख्या 3-3 ही रहेगी।
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पूर्व में गठित पुलिस कमिश्नरेट में जोन के अतिरिक्त यातायात, महिला सुरक्षा और प्रोटोकाल जैसे पदों के लिए अलग-अलग डीसीपी के पदों का सृजन किया गया था। मौजूदा समय में पहले से ही एसपी रैंक के चार अधिकारी तैनात हैं। कमिश्नरेट के गठन के बाद इनकी संख्या पांच हो जाएगी। गाजियाबाद में जो चार आईपीएस अधिकारी तैनात हैं उसमें 2009 बैच के एसएसपी मुनिराज जी, 2017 बैच की दीक्षा शर्मा, निपुन अग्रवाल और इराज राजा सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं। लखनऊ में इसी 2017 बैच के दो अफसर एसएम कासिम आब्दी और प्राची सिंह पुलिस उपायुक्त के पद पर तैनात हैं।
इसी तरह आगरा में भी एसपी रैंक के चार अफसर मौजूदा समय में तैनात हैं। इसमें 2010 बैच के आईपीएस प्रभाकर चौधरी बतौर एसएसपी तैनात हैं। जबकि सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में सत्यजीत गुप्ता, विकास कुमार और सोमेंद्र मीना की तैनाती है। वहीं, प्रयागराज में मौजूदा समय में एसपी रैंक के तीन अफसरों की तैनाती है। इसमें 2011 बैच के शैलेश कुमार पांडेय एसएसपी के रूप में और सौरभ दीक्षित और अभिषेक कुमार अग्रवाल सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं।
डीसीपी के पद पर 2015, 2016 और 2017 के अफसरों की हो सकती है तैनाती
नई कमिश्नरेट में डीसीपी के 9 पद सृजित किए जा रहे हैं। इन पदों पर 2015, 2016 और 2017 बैच के अफसरों की तैनाती की जा सकती है। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि यहां अपर पुलिस आयुक्त का पद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का होगा। ऐसे में उससे जूनियर अफसरों को ही डीसीपी के रूप में तैनाती दी जाएगी।