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जम्मू-कश्मीरः किश्तवाड़ में तेज हुई सामरिक तैयारी, वायुसेना ने दूसरे दिन भी किया अभ्यास, अपाचे की गूंज

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: जम्मू और कश्मीर ब्यूरो Updated Wed, 09 Sep 2020 02:12 AM IST
Strategic preparation intensified in Kishtwar
apache helicopter - फोटो : अमर उजाला

लद्दाख से सटे किश्तवाड़ जिले में सामरिक तैयारियां तेज हो गई हैं। मंगलवार को दूसरे दिन भी लड़ाकू अपाचे विमान लगातार उड़ान भरते रहे। दिन के साथ रात को भी हेलिकॉप्टर की लैंडिंग और उड़ान का सिलसिला जारी है। सुबह दस से पौने 11 बजे तक लैंडिंग की स्थिति का जायजा लिया गया।



आपात स्थिति में किश्तवाड़ को सामरिक रूप से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी रेकी की जा रही है। वहीं, सोमवार को भी दो अपाचे हेलिकॉप्टर दिन के बाद रात 12 बजे तक उतरने और उड़ान भरने का अभ्यास करते रहे। एलएसी पर तनाव के बीच किश्तवाड़ में वायुसेना की हलचल बढ़ने से स्थानीय लोगाें में भी जोश है। एसएसपी हरमीत सिंह मेहता के अनुसार पायलट स्थिति का जायजा ले रहे हैं।


छोटे हेलिपैड भी किए जा रहे एक्टिव
सूत्रों के अनुसार, भारत-चीन में जारी विवाद के चलते सेना सहित वायु सेना भी अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। सामरिक महत्व के इलाकों में जहां भी हेलिपैड हैं, वहां आपात लैंडिंग की तैयारियां जांची जा रही हैं। लद्दाख के साथ लगते और समीपवर्ती जितने भी क्षेत्र हैं वहां पर हेलिपैड फिर एक्टिव किए जा रहे हैं। पायलट प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। किश्तवाड़ में अपाचे हेलिकॉप्टरों का अभ्यास भी इसी कड़ी का हिस्सा है। किश्तवाड़ जिले में गुलाबगढ़, मचेल, छात्रू, दच्छन और मड़वा में भी छोटे हेलिपैड हैं। समय-समय पर स्थानीय लोगों, नेताओं, यात्रियों और सेना इनका इस्तेमाल करती है।

चौगान में है 900 मीटर की हवाई पट्टी
किश्तवाड़ में 900 मीटर की हवाई पट्टी पहले से है। इसके विस्तार के प्रयास जारी हैं। 1990 में दुलहस्ती पावर प्रोजेक्ट में लगी फ्रांसीसी कंपनी डोमेज सोगिया बोरिसिया (डीएसबी) का एक 16 सीटर हवाई जहाज यहां उतरा था। इसके लिए रात्रि के लिए एक शेड भी बनाया था, जो मौजूदा समय में सेना के पास है। एक हेलिपैड भी है, जहां पर अब सैन्य और वायुसेना की गतिविधियां बढ़ गई हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1984 में किया था दौरा
1984 में दुलहस्ती पावर प्रोजेक्ट के शिलान्यास के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी यहां आ चुकी हैं। उस समय चौगान में कई बड़े हेलिकॉप्टर उतरे थे। 1962 के युद्ध के दौरान पेड़ काट कर चौगान मैदान को हेलिकॉप्टर के उतरने के लिए तैयार किया गया था।

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