हमीरपुर। हिमाचल शिक्षक मंच प्रदेश की वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में कार्यरत प्रधानाचार्यों के नियमितीकरण में हो रही देरी और अध्यापकों की वेतन वृद्धि में की गई कटौती को अभी तक बहाल न करने पर भड़क उठा है। मंच के संयोजक सदस्य अश्वनी भट्ट, संजय मोगू, तपिश थापा, सुनील राजपूत, विजय आदि ने कहा कि पूर्व सैनिकों को दी जा रही वरिष्ठता का मामला लंबित होने के कारण प्रधानाचार्य के पदों पर नियमित नियुक्ति के स्थान पर तदर्थ और 2011 से प्लेसमेंट के आधार पर पदोन्नतियां की जा रही हैं।
ऐसी स्थिति में विभाग प्रधानाचार्य के पद पर कार्य तो ले रहा है लेकिन, प्रधानाचार्य के पद का वेतनमान नहीं दे रहा है। इस अस्थायी व्यवस्था से प्रधानाचार्यों का आर्थिक शोषण हो रहा है। प्रधानाचार्यों को न तो नए वेतन आयोग के अनुसार वेतन दिया जा रहा है और न ही उनकी नियुक्ति को नियमित किया जा रहा है। वर्तमान में जहां नियमित प्रधानाचार्यों को 6600 की ग्रेड पे दी जा रही है वही नियमित पदोन्नतियां न होने के कारण केवल 5400 की ही ग्रेड पे मिल पा रही है। अश्वनी ने कहा कि प्रदेश के अध्यापकों की 25 प्रतिशत से कम परिणाम पर रोकी गई वेतन वृद्धि के आदेश को शिक्षा मंत्री के आश्वासन पर भी अभी तक वापस नहीं लिया गया है। मंच ने विभाग से मांग की है कि अध्यापकों की वेतन वृद्धि को रोकने की अधिसूचना को शिक्षा मंत्री के कहे अनुसार वापस लिया जाए। उन्होंने मांग कि है कि पूर्व सैनिकों को दी जा रही वरिष्ठता मामले पर जल्द कार्रवाई की जाए।
हमीरपुर। हिमाचल शिक्षक मंच प्रदेश की वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में कार्यरत प्रधानाचार्यों के नियमितीकरण में हो रही देरी और अध्यापकों की वेतन वृद्धि में की गई कटौती को अभी तक बहाल न करने पर भड़क उठा है। मंच के संयोजक सदस्य अश्वनी भट्ट, संजय मोगू, तपिश थापा, सुनील राजपूत, विजय आदि ने कहा कि पूर्व सैनिकों को दी जा रही वरिष्ठता का मामला लंबित होने के कारण प्रधानाचार्य के पदों पर नियमित नियुक्ति के स्थान पर तदर्थ और 2011 से प्लेसमेंट के आधार पर पदोन्नतियां की जा रही हैं।
ऐसी स्थिति में विभाग प्रधानाचार्य के पद पर कार्य तो ले रहा है लेकिन, प्रधानाचार्य के पद का वेतनमान नहीं दे रहा है। इस अस्थायी व्यवस्था से प्रधानाचार्यों का आर्थिक शोषण हो रहा है। प्रधानाचार्यों को न तो नए वेतन आयोग के अनुसार वेतन दिया जा रहा है और न ही उनकी नियुक्ति को नियमित किया जा रहा है। वर्तमान में जहां नियमित प्रधानाचार्यों को 6600 की ग्रेड पे दी जा रही है वही नियमित पदोन्नतियां न होने के कारण केवल 5400 की ही ग्रेड पे मिल पा रही है। अश्वनी ने कहा कि प्रदेश के अध्यापकों की 25 प्रतिशत से कम परिणाम पर रोकी गई वेतन वृद्धि के आदेश को शिक्षा मंत्री के आश्वासन पर भी अभी तक वापस नहीं लिया गया है। मंच ने विभाग से मांग की है कि अध्यापकों की वेतन वृद्धि को रोकने की अधिसूचना को शिक्षा मंत्री के कहे अनुसार वापस लिया जाए। उन्होंने मांग कि है कि पूर्व सैनिकों को दी जा रही वरिष्ठता मामले पर जल्द कार्रवाई की जाए।