संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सरदार अजीत सिंह और स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्मदिवस 23 फरवरी को पगड़ी संभाल दिवस के रूप में मनाया गया। किसान मजदूर जत्थेबंदी ने टीकरी बॉर्डर पर सभा का आयोजन कर पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन को समर्पित किया। कृषि कानूनों को निरस्त करने, एमएसपी को अधिनियमित करने की मांग की। किसानों ने शान के साथ रंग बिरंगी पगड़ियां पहनीं। रोहद टोल प्लाजा पर शहीद भगत सिंह की भांजी गुरजीत कौर ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि किसानों की एकता आंदोलन को सफलता अवश्य दिलाएगी। टीकरी बार्डर पर पंजाब के युवाओं ने पगड़ी संभाल जट्टा एकांकी नाटक पेश किया।
किसान नेता परगट सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसे कानून बनाकर अंग्रेजों की तर्ज पर पूंजीपतियों के लिए किसानों की जमीन को जब्त करने की साजिश तैयार की है। शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह और लाला लाजपत राय के नेतृत्व में किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ एक किसान आंदोलन शुरू किया गया था, जिसमें 6 मई 1907 को अजीत सिंह और लाला लाजपत राय को जेल भेज दिया गया था। नवंबर 1907 में आंदोलन से घबराई ब्रिटिश सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ किसान नेताओं को रिहा कर दिया था। यह आंदोलन 9 महीने तक चला था और इस विजयी आंदोलन को पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन के रूप में जाना गया। इस मौके पर मंच पर शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह का चित्र लगाया गया था। किसानों ने कृषि कानून रद्द करो, किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, किसानों की लूट और कॉरपोरेट को छूट नहीं चलेगी, बिजली बिल 2020 वापस लो और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार की तरह, मोदी सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा। 23 फसलों की खरीद की गारंटी वाला कानून बनाना होगा। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को धरने उठाने की धमकी दे रही है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की आड़ में किसानों को जारी किए जा रहे पर्चे रद्द किए जाएं और सभी जेलों में बंद किसानों और युवाओं को रिहा किया जाए।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के नेता रामकंवार व उजाला सिंह ने बताया कि अंग्रेजी राज में इन दोनों नेताओं ने किसानों की लूट के खिलाफ बड़े संघर्ष किए थे। प्रदेश सचिव जयकरण मांडोठी ने कहा कि उन्होंने लगान, आबियाना टैक्स और मंडियों में होने वाली लूट के खिलाफ किसानों को लामबंद किया था। आज भी अंग्रेजी राज की तर्ज पर किसानों की लूट जारी है। किसान व आम जनों के खिलाफ वैसे ही कानून लागू कर दिए हैं, जिनसे किसानों की लागत भी पूरी नहीं होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सरदार अजीत सिंह और स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्मदिवस 23 फरवरी को पगड़ी संभाल दिवस के रूप में मनाया गया। किसान मजदूर जत्थेबंदी ने टीकरी बॉर्डर पर सभा का आयोजन कर पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन को समर्पित किया। कृषि कानूनों को निरस्त करने, एमएसपी को अधिनियमित करने की मांग की। किसानों ने शान के साथ रंग बिरंगी पगड़ियां पहनीं। रोहद टोल प्लाजा पर शहीद भगत सिंह की भांजी गुरजीत कौर ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि किसानों की एकता आंदोलन को सफलता अवश्य दिलाएगी। टीकरी बार्डर पर पंजाब के युवाओं ने पगड़ी संभाल जट्टा एकांकी नाटक पेश किया।
किसान नेता परगट सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसे कानून बनाकर अंग्रेजों की तर्ज पर पूंजीपतियों के लिए किसानों की जमीन को जब्त करने की साजिश तैयार की है। शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह और लाला लाजपत राय के नेतृत्व में किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ एक किसान आंदोलन शुरू किया गया था, जिसमें 6 मई 1907 को अजीत सिंह और लाला लाजपत राय को जेल भेज दिया गया था। नवंबर 1907 में आंदोलन से घबराई ब्रिटिश सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ किसान नेताओं को रिहा कर दिया था। यह आंदोलन 9 महीने तक चला था और इस विजयी आंदोलन को पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन के रूप में जाना गया। इस मौके पर मंच पर शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह का चित्र लगाया गया था। किसानों ने कृषि कानून रद्द करो, किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, किसानों की लूट और कॉरपोरेट को छूट नहीं चलेगी, बिजली बिल 2020 वापस लो और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार की तरह, मोदी सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा। 23 फसलों की खरीद की गारंटी वाला कानून बनाना होगा। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को धरने उठाने की धमकी दे रही है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की आड़ में किसानों को जारी किए जा रहे पर्चे रद्द किए जाएं और सभी जेलों में बंद किसानों और युवाओं को रिहा किया जाए।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के नेता रामकंवार व उजाला सिंह ने बताया कि अंग्रेजी राज में इन दोनों नेताओं ने किसानों की लूट के खिलाफ बड़े संघर्ष किए थे। प्रदेश सचिव जयकरण मांडोठी ने कहा कि उन्होंने लगान, आबियाना टैक्स और मंडियों में होने वाली लूट के खिलाफ किसानों को लामबंद किया था। आज भी अंग्रेजी राज की तर्ज पर किसानों की लूट जारी है। किसान व आम जनों के खिलाफ वैसे ही कानून लागू कर दिए हैं, जिनसे किसानों की लागत भी पूरी नहीं होगी।