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कृषि कानूनों के विरोध में बेरी के पाना हिंदयाण के किसान व पूर्व पार्षद प्रविंद्र कादयान ने अपनी डेढ़ एकड़ खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर-हैरो से जुताई कर दी। जैसे ही किसानों को पता चला तो किसान खेत में पहुंचे और किसान प्रविंद्र किसान को समझाया, लेकिन किसान प्रविंद्र बोला आंदोलनकारी किसानों की हालत देखकर दुखी हूं। बीते दिनों किसान नेता राकेश टिकैत द्वारा मंच के माध्यम से तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार की ओर से वापस न लेने की सूरत में किसान अपनी फसल को आग लगा देने की बात कही थी। पूर्व पार्षद प्रविंद्र कादयान ने बताया कि देश का अधिकतम किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में कई दिनों से कड़कड़ाती ठंड में डटे हुए हैं। लेकिन सरकार न तो किसानों से सच्ची नीयत से बात कर रही है और न ही इन कृषि कानूनों को वापिस ले रही है। इन कानूनों को लागू होने से हमारे जैसे किसान अपनी जमीन व फसल के होते हुए किरायेदार बन जाएंगे और हमारी फसलें कौड़ियों के भाव बिकेंगी। इससे अच्छा तो आज ही अपनी फसलों को नष्ट कर दिया जाए। ताकि कल बड़े-बड़े उद्यमी हमारी फसल पर डाका न डाल सकें।
10-12 एकड़ में लगा की है गेहूं की खेती
पूर्व पार्षद प्रविंद्र कादयान ने 10-12 एकड़ में गेहूं की फसल लगा रखी है, जब खेत में ट्रैक्टर चला रहा था तो जैसे किसान को पता चला तो खेत में पहुंचे नही तो प्रविंद्र सारी फसल को नष्ट कर देता। किसानों के समझाने के बाद प्रविंद्र माना और बाकी फसल पर ट्रैैक्टर चलाने से रोक दिया।
यह मामला उनके संज्ञान में नही आया है। फसल जुताई करना कोई समस्या का हल नही हैं। मेहनत से फसल तैयार होती है। उसे बर्बाद न करें। सभी को आंदोलन करने का अधिकार है। उनकी किसानों से अपील है कि ऐसा कदम न उठाएं।
रमेश कुमार, नायब तहसीलदार, बेरी।
कृषि कानूनों के विरोध में बेरी के पाना हिंदयाण के किसान व पूर्व पार्षद प्रविंद्र कादयान ने अपनी डेढ़ एकड़ खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर-हैरो से जुताई कर दी। जैसे ही किसानों को पता चला तो किसान खेत में पहुंचे और किसान प्रविंद्र किसान को समझाया, लेकिन किसान प्रविंद्र बोला आंदोलनकारी किसानों की हालत देखकर दुखी हूं। बीते दिनों किसान नेता राकेश टिकैत द्वारा मंच के माध्यम से तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार की ओर से वापस न लेने की सूरत में किसान अपनी फसल को आग लगा देने की बात कही थी। पूर्व पार्षद प्रविंद्र कादयान ने बताया कि देश का अधिकतम किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में कई दिनों से कड़कड़ाती ठंड में डटे हुए हैं। लेकिन सरकार न तो किसानों से सच्ची नीयत से बात कर रही है और न ही इन कृषि कानूनों को वापिस ले रही है। इन कानूनों को लागू होने से हमारे जैसे किसान अपनी जमीन व फसल के होते हुए किरायेदार बन जाएंगे और हमारी फसलें कौड़ियों के भाव बिकेंगी। इससे अच्छा तो आज ही अपनी फसलों को नष्ट कर दिया जाए। ताकि कल बड़े-बड़े उद्यमी हमारी फसल पर डाका न डाल सकें।
10-12 एकड़ में लगा की है गेहूं की खेती
पूर्व पार्षद प्रविंद्र कादयान ने 10-12 एकड़ में गेहूं की फसल लगा रखी है, जब खेत में ट्रैक्टर चला रहा था तो जैसे किसान को पता चला तो खेत में पहुंचे नही तो प्रविंद्र सारी फसल को नष्ट कर देता। किसानों के समझाने के बाद प्रविंद्र माना और बाकी फसल पर ट्रैैक्टर चलाने से रोक दिया।
यह मामला उनके संज्ञान में नही आया है। फसल जुताई करना कोई समस्या का हल नही हैं। मेहनत से फसल तैयार होती है। उसे बर्बाद न करें। सभी को आंदोलन करने का अधिकार है। उनकी किसानों से अपील है कि ऐसा कदम न उठाएं।
रमेश कुमार, नायब तहसीलदार, बेरी।