नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि किसानों और सरकार के बीच जनहित में संवाद होना चाहिए, लेकिन किसी भी समस्या को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कृषि कानूनों को देश और किसान हित में बताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भरोसा दिए जाने की पैरवी की।
नायडू ने कहा कि इन कानूनों के अमल में आने से किसान देश में कहीं भी फसल को बेच सकेंगे। उप राष्ट्रपति रविवार को सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस में दीनबंधु सर छोटूराम के कार्यों पर हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘सर छोटू राम : राइटिंग्स एंड स्पीचेज’ नामक पुस्तक के पांच संस्करणों के विमोचन समारोह में बोल रहे थे।
नायडू ने कहा किसानों को भी यह जानकारी होनी चाहिए कि उनकी भलाई के लिए बाजार में क्या-क्या हो रहा है। किस फसल के दाम कहां ज्यादा हैं, ताकि वह अपनी फसल को अधिक मूल्य में बेच सकें। जहां ओपन मार्केट में खरीद नहीं हो रहीं है, वहां सरकार उनकी फसल को खरीदवाने की व्यवस्था कराए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो और उनके हित में योजनाएं बननी चाहिए।
नायडू ने कहा कि सर छोटू राम धर्म के नाम पर देश का बंटवारा करने के विरोधी थे। उन्होंने देश निर्माण में आर्य समाज के साथ मिलकर काम किया। ऐसे महान व्यक्तित्व के लेख तथा अन्य स्मृतियों पर आधारित पुस्तक का विमोचन एक साल पहले सोनीपत या रोहतक में करना चाहते थे, लेकिन कोविड के कारण कार्यक्रम वहां आयोजित नहीं हो सका।
मातृभाषा हमारी आंख, अन्य भाषाएं चश्मा
नायडू ने मातृभाषा से प्रेम करने का संदेश देते हुए कहा कि मातृभाषा हमारी आंख हैं। अंग्रेजी समेत अन्य भाषाएं चश्मा हैं। किसी ने कहा था कि सिर्फ अंग्रेजी से ही आगे बढ़ सकते हैं तो हमने कहा कि आगे बढ़ना होगा तो भाषा बीच में नहीं आएगी। मैं किसान का बेटा हूं, फिर भी यहां तक आ गया। उन्होंने कहा कि देश के महान व्यक्ति या प्रधानमंत्री कन्वेंट स्कूल में नहीं पढ़े हैं, लेकिन दुनिया भर में लोकप्रिय हुए हैं।
किसानों को फ्री नहीं, निर्बाध बिजली और सड़क चाहिए
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि आजकल फ्री बिजली-पानी देने की खूब बातें हो रही हैं, लेकिन किसानों को कुछ भी फ्री नहीं चाहिए। ऐसा करके किसानों पर दया करने की जरूरत नहीं है, बल्कि किसानों को निर्बाध रूप से बिजली और अच्छी सड़कें चाहिए। सड़क होगी तभी अधिकारी गांवों तक पहुंचकर उनके यहां विकास की योजनाओं को साकार कर सकेंगे। कोरोना काल में हुई क्षति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खेती को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में बुरा प्रभाव पड़ा, लेकिन फसलों का उत्पादन बढ़ा। इसके लिए किसान सराहना के हकदार हैं।
पूर्व नेताओं ने बनाया देश को वन फूड जोन
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों के समर्थन की बात हम ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, अटल विहारी वाजपेयी, चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल भी चाहते थे कि किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकें। उन्होंने कहा कि इन सभी नेताओं ने देश को वन फूड जोन बनाया।
सर छोटू राम के विचारों को जानना जरूरी
वेंकैया नायडू ने कहा कि सर छोटू राम के बारे में युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है। उनके लेख, भाषणों व विचारों का संकलन कर प्रदेश सरकार ने पुस्तक तैयार की है और सराहनीय कार्य है। इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सर छोटू राम गरीबों और कामगार वर्ग के सच्चे हमदर्द थे। इसीलिए वह दीनबंधु कहलाए।
ओपी चौटाला को बताया मित्र
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर छोटू राम के पोते चौधरी बीरेंद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ समेत अन्य नेता व गणमान्य लोग मौजूद रहे। चौटाला को पुराना मित्र बताते हुए नायडू ने कहा कि आज यहां आने से उनसे भी मुलाकात हो गई है।
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नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि किसानों और सरकार के बीच जनहित में संवाद होना चाहिए, लेकिन किसी भी समस्या को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कृषि कानूनों को देश और किसान हित में बताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भरोसा दिए जाने की पैरवी की।
नायडू ने कहा कि इन कानूनों के अमल में आने से किसान देश में कहीं भी फसल को बेच सकेंगे। उप राष्ट्रपति रविवार को सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस में दीनबंधु सर छोटूराम के कार्यों पर हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘सर छोटू राम : राइटिंग्स एंड स्पीचेज’ नामक पुस्तक के पांच संस्करणों के विमोचन समारोह में बोल रहे थे।
नायडू ने कहा किसानों को भी यह जानकारी होनी चाहिए कि उनकी भलाई के लिए बाजार में क्या-क्या हो रहा है। किस फसल के दाम कहां ज्यादा हैं, ताकि वह अपनी फसल को अधिक मूल्य में बेच सकें। जहां ओपन मार्केट में खरीद नहीं हो रहीं है, वहां सरकार उनकी फसल को खरीदवाने की व्यवस्था कराए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो और उनके हित में योजनाएं बननी चाहिए।
नायडू ने कहा कि सर छोटू राम धर्म के नाम पर देश का बंटवारा करने के विरोधी थे। उन्होंने देश निर्माण में आर्य समाज के साथ मिलकर काम किया। ऐसे महान व्यक्तित्व के लेख तथा अन्य स्मृतियों पर आधारित पुस्तक का विमोचन एक साल पहले सोनीपत या रोहतक में करना चाहते थे, लेकिन कोविड के कारण कार्यक्रम वहां आयोजित नहीं हो सका।
मातृभाषा हमारी आंख, अन्य भाषाएं चश्मा
नायडू ने मातृभाषा से प्रेम करने का संदेश देते हुए कहा कि मातृभाषा हमारी आंख हैं। अंग्रेजी समेत अन्य भाषाएं चश्मा हैं। किसी ने कहा था कि सिर्फ अंग्रेजी से ही आगे बढ़ सकते हैं तो हमने कहा कि आगे बढ़ना होगा तो भाषा बीच में नहीं आएगी। मैं किसान का बेटा हूं, फिर भी यहां तक आ गया। उन्होंने कहा कि देश के महान व्यक्ति या प्रधानमंत्री कन्वेंट स्कूल में नहीं पढ़े हैं, लेकिन दुनिया भर में लोकप्रिय हुए हैं।
किसानों को फ्री नहीं, निर्बाध बिजली और सड़क चाहिए
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि आजकल फ्री बिजली-पानी देने की खूब बातें हो रही हैं, लेकिन किसानों को कुछ भी फ्री नहीं चाहिए। ऐसा करके किसानों पर दया करने की जरूरत नहीं है, बल्कि किसानों को निर्बाध रूप से बिजली और अच्छी सड़कें चाहिए। सड़क होगी तभी अधिकारी गांवों तक पहुंचकर उनके यहां विकास की योजनाओं को साकार कर सकेंगे। कोरोना काल में हुई क्षति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खेती को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में बुरा प्रभाव पड़ा, लेकिन फसलों का उत्पादन बढ़ा। इसके लिए किसान सराहना के हकदार हैं।