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किसान देश की राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार से किसानी से जुड़े जिन मुद्दों पर बातचीत करेंगे इस संबंध में एजेंडा तैयार किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ किसान नेता विचार-विमर्श के साथ यह एजेंडा तैयार कर रहे हैं। इस एजेंडे में तीन मुख्य मांगें होंगी, जबकि किसानों की अन्य समस्याओं से भी केंद्र सरकार को अवगत करवाया जाएगा। केंद्र से किसानों की मुलाकात 3 दिसंबर को प्रस्तावित है।
ये हैं एजेंडे की तीन मुख्य मांगें
तीन मुख्य मांगों में किसानों की पहली मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना, किसानों को फसलें मंडियों के बाहर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम न बिकें, इसके लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए और तीसरा, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 को तुरंत खत्म किया जाए, शामिल है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि प्रस्तावित बिजली बिल में किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाली सस्ती बिजली और अनुदान की व्यवस्था को खत्म करने की साजिश रची गई है।
इसमें किसानों को अब पहले कामर्शियल दर पर बिजली का बिल अदा करना होगा। उसके बाद सरकार किसानों के खाते में अनुदान भेजने की बात कह रही है, जो कि उचित नही है, क्योंकि जब किसानों को अनुदान स्वरूप सस्ती बिजली पहले से ही मिल रही है, तो मौजूदा व्यवस्था को खत्म कर मामले को बिजली बिल के जरिये उलझाने की क्या जरूरत है।
इन मांगों पर भी है आवाज बुलंद
इसके अलावा किसानों के एजेंडे में किसानों का कर्ज माफ, पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द व गिरफ्तार किसानों की रिहाई, दस साल पुराने डीजल वाहनों पर बैन हटाना, क्योंकि इसमें किसानों का ट्रैक्टर भी शामिल है, प्रधानमंत्री बीमा योजना का लाभ किसानों को सीधे मिले और प्रीमियम का पूरा भुगतान सरकार ही करे, किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित हो और मासिक पेंशन कम से कम 5 हजार रुपये हो, किसानी से जुड़ा हर उपकरण व मशीनरी को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए, इत्यादि कई अन्य मांगें भी ऐसी हैं, जिन्हें लेकर आंदोलनरत किसान अपनी मांग बुलंद रखेंगे।
कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 33 घंटे से नेशनल हाईवे 44 पर डटे हुए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए कंटीले तार और पत्थर हटाने के बाद भी किसान दिल्ली जाने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे सिंघु बॉर्डर से हरियाणा की ओर 6 किमी तक करीब 35 हजार किसानों का पड़ाव हो गया है। किसानों ने शनिवार को विरोध में केंद्र सरकार का पुतला फूंका और एकजुट होकर आंदोलन जारी रखने का आह्वान किया। पंजाबी गायब बब्बू मान और क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज भी सिंघु बॉर्डर पहुंचे।
सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार शाम तक जहां करीब दो हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य वाहनों में 25 हजार किसान पहुंचे थे, वहीं उसके बाद भी लगातार किसान अपने वाहनों में पहुंच रहे हैं। शनिवार शाम तक करीब 35 हजार किसान पहुंच गए। अब हरियाणा व यूपी के किसान भी पहुंचने शुरू हो गए है। उधर, एनएच 44 पर खाद्य सामग्री व अन्य जरूरी सामान लेकर जाने वाले ट्रक भी फंसे हुए हैं। वहीं, हाईवे जाम होने से आम लोग भी फंसे होने से परेशानी झेल रहे हैं।
किसानों के समर्थन में पहुंचे बब्बू मान ने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं और इसलिए किसानों के बीच आया हूं। उन्होंने कहा, मैं हमेशा किसानों के साथ खड़ा हूं और किसानों को भी एकजुट रहना चाहिए। पंजाब से नहीं आने वाले किसानों को भी यहां जरूर आना चाहिए और आंदोलन को सफल बनाना चाहिए। वहीं, योगराज सिंह ने कहा कि पंजाब का किसान अनपढ़ नहीं है, जो किसी के बहकावे में आ जाए। सरकार को बातचीत के लिए किसानों के पास आना चाहिए। सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो उएमएसपी का कानून भी बनाना चाहिए।
सार
- संयुक्त किसान मोर्चा केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात के लिए तैयार कर रहा एजेंडा, तीन मुख्य मुद्दों पर होगी बातचीत, किसानों की अन्य समस्याओं से भी करवाया जाएगा अवगत
- हरियाणा और पंजाब के 47 किसान संगठन अभी सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर ही डटे, अनिश्चितकालीन धरने के लिए जगह को लेकर नहीं हुआ फैसला
- रविवार सुबह किसान संगठनों की फिर होगी बैठक जिसमें दिल्ली प्रवेश करने की रणनीति पर विचार होगा, तब तक जाम रहेगा बॉर्डर
विस्तार
किसान देश की राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार से किसानी से जुड़े जिन मुद्दों पर बातचीत करेंगे इस संबंध में एजेंडा तैयार किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ किसान नेता विचार-विमर्श के साथ यह एजेंडा तैयार कर रहे हैं। इस एजेंडे में तीन मुख्य मांगें होंगी, जबकि किसानों की अन्य समस्याओं से भी केंद्र सरकार को अवगत करवाया जाएगा। केंद्र से किसानों की मुलाकात 3 दिसंबर को प्रस्तावित है।
ये हैं एजेंडे की तीन मुख्य मांगें
तीन मुख्य मांगों में किसानों की पहली मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना, किसानों को फसलें मंडियों के बाहर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम न बिकें, इसके लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए और तीसरा, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 को तुरंत खत्म किया जाए, शामिल है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि प्रस्तावित बिजली बिल में किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाली सस्ती बिजली और अनुदान की व्यवस्था को खत्म करने की साजिश रची गई है।
इसमें किसानों को अब पहले कामर्शियल दर पर बिजली का बिल अदा करना होगा। उसके बाद सरकार किसानों के खाते में अनुदान भेजने की बात कह रही है, जो कि उचित नही है, क्योंकि जब किसानों को अनुदान स्वरूप सस्ती बिजली पहले से ही मिल रही है, तो मौजूदा व्यवस्था को खत्म कर मामले को बिजली बिल के जरिये उलझाने की क्या जरूरत है।
इन मांगों पर भी है आवाज बुलंद
इसके अलावा किसानों के एजेंडे में किसानों का कर्ज माफ, पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द व गिरफ्तार किसानों की रिहाई, दस साल पुराने डीजल वाहनों पर बैन हटाना, क्योंकि इसमें किसानों का ट्रैक्टर भी शामिल है, प्रधानमंत्री बीमा योजना का लाभ किसानों को सीधे मिले और प्रीमियम का पूरा भुगतान सरकार ही करे, किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित हो और मासिक पेंशन कम से कम 5 हजार रुपये हो, किसानी से जुड़ा हर उपकरण व मशीनरी को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए, इत्यादि कई अन्य मांगें भी ऐसी हैं, जिन्हें लेकर आंदोलनरत किसान अपनी मांग बुलंद रखेंगे।
सिंघु बॉर्डर से छह किमी तक जमे 35 हजार से ज्यादा किसान
कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 33 घंटे से नेशनल हाईवे 44 पर डटे हुए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए कंटीले तार और पत्थर हटाने के बाद भी किसान दिल्ली जाने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे सिंघु बॉर्डर से हरियाणा की ओर 6 किमी तक करीब 35 हजार किसानों का पड़ाव हो गया है। किसानों ने शनिवार को विरोध में केंद्र सरकार का पुतला फूंका और एकजुट होकर आंदोलन जारी रखने का आह्वान किया। पंजाबी गायब बब्बू मान और क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज भी सिंघु बॉर्डर पहुंचे।
सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार शाम तक जहां करीब दो हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य वाहनों में 25 हजार किसान पहुंचे थे, वहीं उसके बाद भी लगातार किसान अपने वाहनों में पहुंच रहे हैं। शनिवार शाम तक करीब 35 हजार किसान पहुंच गए। अब हरियाणा व यूपी के किसान भी पहुंचने शुरू हो गए है। उधर, एनएच 44 पर खाद्य सामग्री व अन्य जरूरी सामान लेकर जाने वाले ट्रक भी फंसे हुए हैं। वहीं, हाईवे जाम होने से आम लोग भी फंसे होने से परेशानी झेल रहे हैं।
किसानों के समर्थन में पहुंचे बब्बू मान ने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं और इसलिए किसानों के बीच आया हूं। उन्होंने कहा, मैं हमेशा किसानों के साथ खड़ा हूं और किसानों को भी एकजुट रहना चाहिए। पंजाब से नहीं आने वाले किसानों को भी यहां जरूर आना चाहिए और आंदोलन को सफल बनाना चाहिए। वहीं, योगराज सिंह ने कहा कि पंजाब का किसान अनपढ़ नहीं है, जो किसी के बहकावे में आ जाए। सरकार को बातचीत के लिए किसानों के पास आना चाहिए। सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो उएमएसपी का कानून भी बनाना चाहिए।