उत्तर प्रदेश कैडर से रिटायर हुए पूर्व आईएएस अधिकारी का कहना है कि जब राज्य सरकार 'स्टंट' करने लगती है तो उसका दबदबा कम हो जाता है। इसका असर सभी पर पड़ता है और सरकार की हनक नहीं दिखाई देती। राज्य सरकार को कई पदों पर महत्वपूर्ण सेवाएं दे चुके पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल संत का भी कहना है कि सरकार की हनक तब बनती है, जब वह बिना राग-द्वेष, जात-पात की भावना और बगैर किसी भेदभाव के काम करती है। संत कहते हैं कि भेद-भाव के साथ काम और राम नाम का चोला पहन लेने से राज्य सरकार की हनक नहीं बन सकती।
अनिल संत कहते हैं कि अखिलेश यादव आगरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस-वे, उत्तर प्रदेश में मेट्रो सेवा के विस्तार के लिए जाने जाएंगे। मायावती दिल्ली से आगरा एक्सप्रेस-वे, पार्क, प्रेरणा स्थल के लिए जानी जाएंगी। मायावती एक अच्छे प्रशासक, असरदार कानून-व्यवस्था के लिए भी जानी जाती हैं, लेकिन आप बताएं कि योगी सरकार ने अपने खाते में अभी तक क्या दर्ज किया है? मायावती ने तो गंभीर आरोप में घिरे अपने विधायक, नेता, मंत्री, पार्टी के कद्दावर नेताओं के खिलाफ तक कार्रवाई की। इसलिए प्रशासनिक व्यवस्था में उनकी हनक चलती थी।
क्या प्रदेश का सिस्टम सड़ चुका है?
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह के शब्दों में कहें तो प्रदेश का तंत्र काफी सड़ चुका है। बड़े सुधार की जरूरत है। इतने कम समय में सबकुछ ठीक नहीं हो सकता, लेकिन प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव और मायावती के दौर में ताकतवर अधिकारी रहे सूत्र का कहना है कि सरकार हिंदू-मुसलमान, ब्राह्मण-ठाकुर जैसे भेद को खड़ा करके नहीं चलती। राज्य के सभी लोगों के लिए एक ही पुलिस, एक ही प्रशासनिक व्यवस्था और कानून है। जब तक यह तंत्र अपना काम नहीं करेगा, किसी भी सरकार की हनक नहीं बन सकती।
सूत्र का कहना है कि जैसे एक बदनाम थानेदार है, लेकिन एक ईमानदार कुशल एसपी के जिले में आने के बाद वही अपराधी पर पलक झपकते ही नकेल कस देता है। सवाल इसका है कि पुलिस अधीक्षक कितनी कुशलता और किस स्वतंत्रता, सहूलियत के साथ अपने कामकाज को अंजाम दे रहे हैं। यह तो जिलास्तर का बस छोटा सा उदाहरण है। वहां यह नहीं चलता कि भाजपा विधायक के लिए इसकी खुली छूट है और दूसरे पार्टी के नेता हाथ बांधकर चलें।
मुख्यमंत्री हर बार 'कड़ी कार्रवाई' के निर्देश देते हैं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर बड़ी अपराधिक घटना के बाद पूर्ण ईमानदारी, पारदर्शिता, सख्ती के साथ कार्रवाई का संदेश देते हैं, लेकिन राज्य में गंभीर अपराध हो रहे हैं। इसका अर्थ है कि अपराधियों को पुलिस और कानून व्यवस्था का खौफ नहीं है। राज्य में पुलिस सेवा से दस साल पहले रिटायर हुए अफसर का कहना है कि इस संदेश का मतलब कम समझ में आता है। इसके लिए राज्य के सभी बड़े अपराधी केवल 'अपराधी' ही होने चाहिए थे। तमाम पूर्व अफसर मानते हैं कि अपराधी को जब अपराध करने से पहले दस बार सोचना पड़े, तब समझना चाहिए कि कोई कानून-व्यवस्था अपना काम कर रही है।
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उत्तर प्रदेश कैडर से रिटायर हुए पूर्व आईएएस अधिकारी का कहना है कि जब राज्य सरकार 'स्टंट' करने लगती है तो उसका दबदबा कम हो जाता है। इसका असर सभी पर पड़ता है और सरकार की हनक नहीं दिखाई देती। राज्य सरकार को कई पदों पर महत्वपूर्ण सेवाएं दे चुके पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल संत का भी कहना है कि सरकार की हनक तब बनती है, जब वह बिना राग-द्वेष, जात-पात की भावना और बगैर किसी भेदभाव के काम करती है। संत कहते हैं कि भेद-भाव के साथ काम और राम नाम का चोला पहन लेने से राज्य सरकार की हनक नहीं बन सकती।
अनिल संत कहते हैं कि अखिलेश यादव आगरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस-वे, उत्तर प्रदेश में मेट्रो सेवा के विस्तार के लिए जाने जाएंगे। मायावती दिल्ली से आगरा एक्सप्रेस-वे, पार्क, प्रेरणा स्थल के लिए जानी जाएंगी। मायावती एक अच्छे प्रशासक, असरदार कानून-व्यवस्था के लिए भी जानी जाती हैं, लेकिन आप बताएं कि योगी सरकार ने अपने खाते में अभी तक क्या दर्ज किया है? मायावती ने तो गंभीर आरोप में घिरे अपने विधायक, नेता, मंत्री, पार्टी के कद्दावर नेताओं के खिलाफ तक कार्रवाई की। इसलिए प्रशासनिक व्यवस्था में उनकी हनक चलती थी।
क्या प्रदेश का सिस्टम सड़ चुका है?
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह के शब्दों में कहें तो प्रदेश का तंत्र काफी सड़ चुका है। बड़े सुधार की जरूरत है। इतने कम समय में सबकुछ ठीक नहीं हो सकता, लेकिन प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव और मायावती के दौर में ताकतवर अधिकारी रहे सूत्र का कहना है कि सरकार हिंदू-मुसलमान, ब्राह्मण-ठाकुर जैसे भेद को खड़ा करके नहीं चलती। राज्य के सभी लोगों के लिए एक ही पुलिस, एक ही प्रशासनिक व्यवस्था और कानून है। जब तक यह तंत्र अपना काम नहीं करेगा, किसी भी सरकार की हनक नहीं बन सकती।
सूत्र का कहना है कि जैसे एक बदनाम थानेदार है, लेकिन एक ईमानदार कुशल एसपी के जिले में आने के बाद वही अपराधी पर पलक झपकते ही नकेल कस देता है। सवाल इसका है कि पुलिस अधीक्षक कितनी कुशलता और किस स्वतंत्रता, सहूलियत के साथ अपने कामकाज को अंजाम दे रहे हैं। यह तो जिलास्तर का बस छोटा सा उदाहरण है। वहां यह नहीं चलता कि भाजपा विधायक के लिए इसकी खुली छूट है और दूसरे पार्टी के नेता हाथ बांधकर चलें।
मुख्यमंत्री हर बार 'कड़ी कार्रवाई' के निर्देश देते हैं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर बड़ी अपराधिक घटना के बाद पूर्ण ईमानदारी, पारदर्शिता, सख्ती के साथ कार्रवाई का संदेश देते हैं, लेकिन राज्य में गंभीर अपराध हो रहे हैं। इसका अर्थ है कि अपराधियों को पुलिस और कानून व्यवस्था का खौफ नहीं है। राज्य में पुलिस सेवा से दस साल पहले रिटायर हुए अफसर का कहना है कि इस संदेश का मतलब कम समझ में आता है। इसके लिए राज्य के सभी बड़े अपराधी केवल 'अपराधी' ही होने चाहिए थे। तमाम पूर्व अफसर मानते हैं कि अपराधी को जब अपराध करने से पहले दस बार सोचना पड़े, तब समझना चाहिए कि कोई कानून-व्यवस्था अपना काम कर रही है।