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वाराणसी। बाल मजदूरी, भिक्षावृत्ति और बाल हिंसा से बचाव के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से मंगलवार को आनलाइन बैठक हुई। इसमें आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया कि धार्मिक पर्यटन वाले देश के 50 जिलों में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। इसमें बाल श्रम, बाल हिंसा, दुर्व्यवहार और बाल भिक्षावृत्ति को रोकते हुए बाल मैत्री स्थान का निर्माण किया जाएगा।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि रामनगर के राजकीय बाल गृह व संप्रेषण गृह अच्छा काम रहे हैं। इसे मॉडल के रुप में दूसरे जनपदों में लागू करना चाहिए। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बाल संरक्षण और रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि 19 बाल देखरेख संस्थान, ओपन शेल्टर होम, फिट सुविधा केंद्र में 542 बच्चे आवासित है। वर्ष 2020 में बाल यौन शोषण के 84, बाल श्रम 42 एवं बाल भिक्षावृति में लिप्त 38 बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 830 बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावकों के साथ पुनर्वास किया गया। साथ ही साथ 25 बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया। कानून का उलंघन करने वाले कुल 439 बच्चे किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत हुये और 630 बच्चों के मामलों में अंतिम निर्णय लिया गया। 27 बच्चों को प्रायोजन योजना के माध्यम से जोड़ा गया गया है जिसमे 7 बच्चो को 2000 रुपये प्रतिमाह सुविधा दी जा रही है तथा 20 बच्चो को जिला बाल संरक्षण समिति ने अनुमोदन कर निदेशालय को भेज दिया है। 18 लड़कियों का बाल विवाह जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और चाइल्ड लाइन के प्रयास से रुकवाया गया है। पुलिस स्टेशन में महिला एवं बाल हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता द्वारा वाराणसी में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। बैठक में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह, तकनीकी सलाहकार प्रवेश कुमार सहित अन्य लोग शामिल रहे।
वाराणसी। बाल मजदूरी, भिक्षावृत्ति और बाल हिंसा से बचाव के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से मंगलवार को आनलाइन बैठक हुई। इसमें आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया कि धार्मिक पर्यटन वाले देश के 50 जिलों में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। इसमें बाल श्रम, बाल हिंसा, दुर्व्यवहार और बाल भिक्षावृत्ति को रोकते हुए बाल मैत्री स्थान का निर्माण किया जाएगा।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि रामनगर के राजकीय बाल गृह व संप्रेषण गृह अच्छा काम रहे हैं। इसे मॉडल के रुप में दूसरे जनपदों में लागू करना चाहिए। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बाल संरक्षण और रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि 19 बाल देखरेख संस्थान, ओपन शेल्टर होम, फिट सुविधा केंद्र में 542 बच्चे आवासित है। वर्ष 2020 में बाल यौन शोषण के 84, बाल श्रम 42 एवं बाल भिक्षावृति में लिप्त 38 बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 830 बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावकों के साथ पुनर्वास किया गया। साथ ही साथ 25 बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया। कानून का उलंघन करने वाले कुल 439 बच्चे किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत हुये और 630 बच्चों के मामलों में अंतिम निर्णय लिया गया। 27 बच्चों को प्रायोजन योजना के माध्यम से जोड़ा गया गया है जिसमे 7 बच्चो को 2000 रुपये प्रतिमाह सुविधा दी जा रही है तथा 20 बच्चो को जिला बाल संरक्षण समिति ने अनुमोदन कर निदेशालय को भेज दिया है। 18 लड़कियों का बाल विवाह जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और चाइल्ड लाइन के प्रयास से रुकवाया गया है। पुलिस स्टेशन में महिला एवं बाल हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता द्वारा वाराणसी में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। बैठक में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह, तकनीकी सलाहकार प्रवेश कुमार सहित अन्य लोग शामिल रहे।