वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अब जूम एप की जगह वेबएक्स सिस्को से आनलाइन गतिविधियां होंगी। जूम एप के खतरों और परेशानियों को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने की शुरुआत कर दी है। काशी विद्यापीठ ने 3.18 लाख रुपये में अगले दो सालों के लिए वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा है।
काशी विद्यापीठ प्रशासन ने आनलाइन प्लेटफार्म को स्थायित्व देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आनलाइन कार्यशाला, कक्षाओं, वेबिनार के बाद अब शोध मौखिकी भी आनलाइन कराई जाएगी। पहले चरण में सोशल वर्क, एजुकेशन, मानविकी संकाय और गांधी अध्ययनपीठ को वेबएक्स से जोड़ा जा रहा है। अगले चरण में गंगापुर, भैरव तालाब, सोनभद्र व एनटीपीसी परिसर को वेबएक्स से जोड़ा जाएगा। यह सुविधा शुरू होने पर विभिन्न संकायों में स्क्रीन लगाए जाएंगे, ताकि छात्र व शोधार्थी सीधे वेबिनार से जुड़ें और विशेषज्ञों से सवाल भी कर सकें। कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि ऑनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने के लिए वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा गया है। रिकार्डिगिं की सुविधा से विद्वानों के लेक्चर का लाभ बाद में भी उठाया जा सकता है। शोध मौखिकी का रिकॉर्ड होने के कारण आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति नहीं आएगी।
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अब जूम एप की जगह वेबएक्स सिस्को से आनलाइन गतिविधियां होंगी। जूम एप के खतरों और परेशानियों को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने की शुरुआत कर दी है। काशी विद्यापीठ ने 3.18 लाख रुपये में अगले दो सालों के लिए वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा है।
काशी विद्यापीठ प्रशासन ने आनलाइन प्लेटफार्म को स्थायित्व देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आनलाइन कार्यशाला, कक्षाओं, वेबिनार के बाद अब शोध मौखिकी भी आनलाइन कराई जाएगी। पहले चरण में सोशल वर्क, एजुकेशन, मानविकी संकाय और गांधी अध्ययनपीठ को वेबएक्स से जोड़ा जा रहा है। अगले चरण में गंगापुर, भैरव तालाब, सोनभद्र व एनटीपीसी परिसर को वेबएक्स से जोड़ा जाएगा। यह सुविधा शुरू होने पर विभिन्न संकायों में स्क्रीन लगाए जाएंगे, ताकि छात्र व शोधार्थी सीधे वेबिनार से जुड़ें और विशेषज्ञों से सवाल भी कर सकें। कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि ऑनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने के लिए वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा गया है। रिकार्डिगिं की सुविधा से विद्वानों के लेक्चर का लाभ बाद में भी उठाया जा सकता है। शोध मौखिकी का रिकॉर्ड होने के कारण आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति नहीं आएगी।