‘रेलवे स्टेशन पर माल प्लेटफार्म बने तो सस्ती मिलेगी खाद’
सिद्धार्थनगर। जनपद के किसी रेलवे स्टेशन पर माल प्लेटफार्म बनाने की मांग उठ रही है। माल का प्लेटफार्म बनने पर उर्वरक सहित अन्य सामान सस्ता मिलेगा। गोरखपुर में फर्टिलाइजर कारखाना शुरू होने के बाद माल प्लेटफार्म की जरूरत और बढ़ गई है ताकि जिले में उर्वरक का रैक प्वाइंट बन सके।
भारत-नेपाल सीमा स्थित बढ़नी कस्बे में माल का माल का प्लेटफार्म बनाए जाने पर परिवहन की सुविधा बेहतर हो सकती है, जबकि सिद्धार्थनगर रेलवे स्टेशन पर माल प्लेटफार्म बनाने के लिए सर्वे भी हो चुका है। इसके अंतर्गत अतिरिक्त प्लेटफार्म के साथ बड़े आकार में शेड बनाने की योजना है। उसका रेलवे स्टेशन पर रेलवे की भूमि अधिक क्षेत्रफल में खाली पड़ी हुई है। इस संबंध में रेलवे स्टेशन बढ़नी के सीनियर सेक्शन इंजीनियर मुकेश कुमार ने बताया कि नौगढ़ रेलवे स्टेशन पर माल का प्लेटफार्म बनाने के लिए दो साल पहले सर्वे हुआ था, जिसकी रिपोर्ट मंडल रेल प्रबंधक पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ को भेज दी गई है।
सड़क परिवहन में बढ़ जाती है लागत
नौगढ़ ब्लॉक के किसान नागेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि जिले में रेलवे से सामान ढुलाई की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को खाद बीज महंगा मिल रहा है। खाद बीज के व्यापारी शिव शंकर अग्रहरी ने कहा कि सड़क परिवहन में किराए में वृद्धि के कारण खाद महंगी हो जाती है। बिल्डिंग मैटेरियल के व्यवसायी ओम प्रकाश यादव ने कहा कि जब माल की ढुलाई रेलवे से होती है तो सुविधा एवं राहत मिलती है। बिल्डिंग मैटेरियल के व्यवसायी राजेश जायसवाल का कहना है कि सिद्धार्थ नगर का पिछड़ापन दूर करने के लिए रेलवे स्टेशन पर माल का प्लेटफार्म बनाया जाना चाहिए। इससे उद्योग व्यापार की तरक्की की संभावना बढ़ जाएगी।
दूसरे जिलों में बांट दी जाती है जिले की खाद
जिले में प्रतिवर्ष ढाई लाख मैट्रिक टन उर्वरक की जरूरत पड़ती है। गोरखपुर बस्ती के रैक प्वाइंट से खाद मंगाई जाती है। कई बार सिद्धार्थनगर के हिस्से की खाद दूसरे जिलों को मिल जाती है।
जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि बस्ती या गोरखपुर से खाद मंगाने में प्रति बोरी 30 रुपये किराया लगता है। जिले में रैक प्वाइंट बन जाए तो किराये में कमी आएगी, निजी कंपनियां भी जिले में अपना बफर गोदाम बनाएंगी।
उसका में भी थम गया विकास का पहिया
उसका बाजार। कूड़ा नदी के तट पर बसा उसका बाजार ब्रिटिश शासन में व्यापार का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। व्यापार में सुगमता के लिए अंग्रेजों ने जलमार्ग को चुना था। जलमार्ग से ही यहां का कालानमक चावल व अन्य अनाज और चमड़ा कोलकाता फिर वहां से इंग्लैंड जाता था। लेकिन इसमें काफी समय लग जाता था तो अंग्रेजों ने 1885 में गोरखपुर से उसका तक रेलवे ट्रैक बिछा दिया और व्यापार करने लगे। इस तरह उसका बाजार रेलवे की सुविधा से जुड़ने वाला इस जनपद का पहला स्टेशन बना। रेलवे के आने से व्यावसायिक गतिविधि बढ़ी। यहां से माल की बुकिंग और अन्य कच्चा माल बाहर से मंगाया जाने लगा। इस कारण से उसका बाजार का काफी विकास हुआ। उसका बाजार जलमार्ग, रेलवे और रोडवेज से जुड़ने वाला पहला व्यावसायिक केंद्र बना लेकिन वर्तमान में यह परिदृश्य थोड़ा बदल गया है। जलमार्ग बंद हो गया है, रेलवे ने भी सीमित ट्रेनों का यहां ठहराव रखा है। पहले मालगोदाम बना था जो अब पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो चुका है, जबकि यहां रेलवे की सैकड़ों एकड़ जमीन निष्प्रयोज्य पड़ी हुई है। खाली होने के कारण लोग इस पर अतिक्रमण कर रहे हैं। रेलवे चाहे तो यहां पुन: मालगोदाम बनाकर इसकी बदहाली दूर कर सकती है।