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उगते सूर्य को अर्घ्य देकर मंगल कामना की
ब्यूरो/अमर उजाला संतकबीरनगर
Updated Mon, 07 Nov 2016 11:14 PM IST
अर्घ्य देकर किया नमन
- फोटो : अमर उजाला
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भगवान भाष्कर को उगते समय अर्घ्य देने के लिए सुबह घाट पर पहुंच कर व्रती महिलाओं ने पूजन स्थल पर वेदी सजा दिए। गन्ने के मंडप में गीत गाते हुए छट्ठी मैया की विधिवत पूजा की। उन्हें चावल का पीला अच्छत, चंदन, पुष्प, सिंदूर से पूजकर नारियल, शरीफा, सेब, केला, नीबू, कच्ची, अमरुद, मूंगफली, आंवला, पपीता, मीठा ठेकुआ चढ़ाया, दीप जलाए और मिन्नतें मांगी। महिलाएं घुटने भर पानी में खड़े होकर सूप में फल आदि सब लेकर सूर्यदेवता को अर्घ्य दिया, तो उनके सहयोगी पति ने दूध और जलधार गिराकर अर्घ्य में सहयोग दिया।..आवहु आवहु हे सुरुज देव ! मानहु विनती हमार!!....पूरी करहुं मनकाम हे छट्ठी मैया.. आदि छठमाता के गीतों के गुंजार के साथ सोमवार को भोर के वक्त में पूजा समारोह स्थल का वातावरण अद्भुत आध्यात्मिक छटा बिखेर रहा था।
अरुण आभा वाले भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद महिलाएं पूजा मंडप में पुन: मां के सामने पहुंचीं। देवी के वेदी के सामने वस्तु रख आरती उतारीं प्रणाम कर मनवांछित फल मांगा। फिर पति के हाथों प्रसाद ग्रहण किया। इस बीच घाट पर पहुंचे सभी लोग अपने परिजनों के साथ अलग-अलग इस परंपरा को निभाने में लगे रहे। हर मंडप दिव्य आभा से देवपुरी का सा दृश्य उपस्थित कर रहा था। खलीलाबाद के कोतवाली स्थित पोखरा, सुगर मिल, गोला बाजार का पक्का पोखरा के पास काफी भीड़ रही। नगर पालिका प्रशासन के साथ जिला प्रशासन ने प्रकाश के साथ पेयजल का बंदोबस्त किया था। सुरक्षा के लिए पुलिस लगी रही। इसी प्रकार सुगर मिल कालोनी के सरोवर और विधियानी मां समय जी के पोखरे पर जुटे श्रद्धालुओं ने भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिए और छठमैया के गीतों के बीच पूजा अर्चना की। छत्तीस घंटे का कठोर निर्जल व्रत करते हुए सूर्य देवता को अपनी श्रद्धा अर्पित करने वाले भक्तों ने...कहा हे छठी मैया फिर आना और अगले साल हमारी पूजा स्वीकार करना।
यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का भी रहा। मेंहदावल प्रतिनिधि के अनुसार कुबेर नाथ पोखरे तथा राप्ती नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने प्रात:काल उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिए। हर पूजा स्थल पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही।
सुबह के अर्घ्य के साथ ही छठ महापर्व संपन्न
सूर्य उपासना एवं छठ मईया के पूजन आदि के बाद भी महिलाओं ने निर्जला व्रत जारी रहा। सोमवार की भोर में महिलाएं पोखरे और नदियों के घाटों पर पहुंचकर जल में घुटने भर पानी में खड़ी होकर सूर्य को अर्घ्य दी, दीपदान और प्रसाद अर्पित करने के बाद गन्ने के नीचे बने चौक पर अगिभन देवता और छठ माता का पूजन अर्चन किया।
क्षेत्र के हरिहरपुर के कष्टहरणी (कठनईया) नदी के राजघाट पुल, सिक्टहा से पलदहवा ताल, अलीनगर पुल के पास, काली जगदीशपुर पोखरा, महुली के मड़हा पोखरा, तितली पोखर तथा नाथनगर के निविअहवा पोखरा, धनघटा के भिउघाट ताल, विड़हरघाट, हैंसर के सगड़वा, डुहिया पुल के पास, बैजूधाम मंदिर, जिगिना ताल, रामबागे घाट आदि जगहों पर क्षेत्र के श्रद्धालु महिला-पुरूष भगवान भाष्कर को जल, दीपदान करके पति-पुत्र के दीर्घायु होने की मंगल कामना की। नाथनगर ब्लॉक के सिक्टहा गांव निवासी पूजा पाल, सीमा पाल, रागिनी पाल, मंजू पाल, सुमन, नूत्तन पाल, सारदा, शैल, महुली की विजय लक्ष्मी, ममता, सुशीला आदि महिलाओं ने बताया कि छठ माता की महिमा अपरंपार है। वंश परंपरा के अनुसार इनकी पूजा वर्ष की सबसे बड़ी पूजा मानकर की जाती है। इस अवसर पर शत्रुधन प्रसाद गुप्ता, छोटेलाल वर्मा, धर्मबीर जयसवाल, अनिल गुप्ता, ओंमकार मद्येशिया, प्रेमचंद गुप्ता, आदर्श पाल आदि मौजूद रहे।
भगवान भाष्कर को उगते समय अर्घ्य देने के लिए सुबह घाट पर पहुंच कर व्रती महिलाओं ने पूजन स्थल पर वेदी सजा दिए। गन्ने के मंडप में गीत गाते हुए छट्ठी मैया की विधिवत पूजा की। उन्हें चावल का पीला अच्छत, चंदन, पुष्प, सिंदूर से पूजकर नारियल, शरीफा, सेब, केला, नीबू, कच्ची, अमरुद, मूंगफली, आंवला, पपीता, मीठा ठेकुआ चढ़ाया, दीप जलाए और मिन्नतें मांगी। महिलाएं घुटने भर पानी में खड़े होकर सूप में फल आदि सब लेकर सूर्यदेवता को अर्घ्य दिया, तो उनके सहयोगी पति ने दूध और जलधार गिराकर अर्घ्य में सहयोग दिया।..आवहु आवहु हे सुरुज देव ! मानहु विनती हमार!!....पूरी करहुं मनकाम हे छट्ठी मैया.. आदि छठमाता के गीतों के गुंजार के साथ सोमवार को भोर के वक्त में पूजा समारोह स्थल का वातावरण अद्भुत आध्यात्मिक छटा बिखेर रहा था।
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अरुण आभा वाले भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद महिलाएं पूजा मंडप में पुन: मां के सामने पहुंचीं। देवी के वेदी के सामने वस्तु रख आरती उतारीं प्रणाम कर मनवांछित फल मांगा। फिर पति के हाथों प्रसाद ग्रहण किया। इस बीच घाट पर पहुंचे सभी लोग अपने परिजनों के साथ अलग-अलग इस परंपरा को निभाने में लगे रहे। हर मंडप दिव्य आभा से देवपुरी का सा दृश्य उपस्थित कर रहा था। खलीलाबाद के कोतवाली स्थित पोखरा, सुगर मिल, गोला बाजार का पक्का पोखरा के पास काफी भीड़ रही। नगर पालिका प्रशासन के साथ जिला प्रशासन ने प्रकाश के साथ पेयजल का बंदोबस्त किया था। सुरक्षा के लिए पुलिस लगी रही। इसी प्रकार सुगर मिल कालोनी के सरोवर और विधियानी मां समय जी के पोखरे पर जुटे श्रद्धालुओं ने भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिए और छठमैया के गीतों के बीच पूजा अर्चना की। छत्तीस घंटे का कठोर निर्जल व्रत करते हुए सूर्य देवता को अपनी श्रद्धा अर्पित करने वाले भक्तों ने...कहा हे छठी मैया फिर आना और अगले साल हमारी पूजा स्वीकार करना।
यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का भी रहा। मेंहदावल प्रतिनिधि के अनुसार कुबेर नाथ पोखरे तथा राप्ती नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने प्रात:काल उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिए। हर पूजा स्थल पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही।
सुबह के अर्घ्य के साथ ही छठ महापर्व संपन्न
सूर्य उपासना एवं छठ मईया के पूजन आदि के बाद भी महिलाओं ने निर्जला व्रत जारी रहा। सोमवार की भोर में महिलाएं पोखरे और नदियों के घाटों पर पहुंचकर जल में घुटने भर पानी में खड़ी होकर सूर्य को अर्घ्य दी, दीपदान और प्रसाद अर्पित करने के बाद गन्ने के नीचे बने चौक पर अगिभन देवता और छठ माता का पूजन अर्चन किया।
क्षेत्र के हरिहरपुर के कष्टहरणी (कठनईया) नदी के राजघाट पुल, सिक्टहा से पलदहवा ताल, अलीनगर पुल के पास, काली जगदीशपुर पोखरा, महुली के मड़हा पोखरा, तितली पोखर तथा नाथनगर के निविअहवा पोखरा, धनघटा के भिउघाट ताल, विड़हरघाट, हैंसर के सगड़वा, डुहिया पुल के पास, बैजूधाम मंदिर, जिगिना ताल, रामबागे घाट आदि जगहों पर क्षेत्र के श्रद्धालु महिला-पुरूष भगवान भाष्कर को जल, दीपदान करके पति-पुत्र के दीर्घायु होने की मंगल कामना की। नाथनगर ब्लॉक के सिक्टहा गांव निवासी पूजा पाल, सीमा पाल, रागिनी पाल, मंजू पाल, सुमन, नूत्तन पाल, सारदा, शैल, महुली की विजय लक्ष्मी, ममता, सुशीला आदि महिलाओं ने बताया कि छठ माता की महिमा अपरंपार है। वंश परंपरा के अनुसार इनकी पूजा वर्ष की सबसे बड़ी पूजा मानकर की जाती है। इस अवसर पर शत्रुधन प्रसाद गुप्ता, छोटेलाल वर्मा, धर्मबीर जयसवाल, अनिल गुप्ता, ओंमकार मद्येशिया, प्रेमचंद गुप्ता, आदर्श पाल आदि मौजूद रहे।
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