सहारनपुर। विधानसभा चुनाव के शोर के बीच मजदूरों को निर्वाचित होने वाली सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि सरकार ऐसी बने जो साल भर काम उपलब्ध कराए, साथ ही न्यूनतम मजदूरी भी कम से कम पांच सौ रुपये होनी चाहिए ताकि इस महंगाई में वे भी अपने बच्चों का पालन पोषण आराम से कर सकें।
साल भर मजदूरी उपलब्ध कराए सरकार
नागल के गांव बढेड़ी कोली निवासी संजय कुमार का कहना है कि सरकार ऐसी बननी चाहिए जो मजदूरों का ध्यान रखे। उन्हें रोजगार के भरपूर अवसर दे। सामान्य स्तर पर मजदूर को रोजाना मजदूरी नहीं मिल पाती। इसलिए सरकार को ऐसे संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए, जिससे लगातार मजदूरी मिलती रहे। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी के कानून को भी सख्ती से लागू करे।
वंचितों के लिए सरकारी योजनाओं से खत्म हो भ्रष्टाचार
ग्राम मित्तरगढ़ निवासी अरुण कुमार का कहना है कि जनप्रतिनिधि ऐसा हो जो गरीब मजदूर की परेशानी को समझते हुए उनकी सहायता करे। सरकार को चाहिए कि गरीब मजदूरों के लिए मनरेगा योजना में अधिक दिन तक का काम दे जिससे मजदूरों को आर्थिक परेशानियों से न गुजरना पड़े। इसके साथ ही वंचितों के लिए चलाई जा रही योजनाओं से भ्रष्टाचार खत्म कर उन्हें पारदर्शी बनाया जाए।
मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने वाली सरकार बने
देवबंद क्षेत्र के गांव खेड़ामुगल निवासी मजदूर श्यामलाल का कहना है कि मेहनत मजदूरी कर वह अपने बच्चों का पालन पोषण करता है, लेकिन इस महंगाई के दौर में कम मजदूरी मिलने से गुजारा बड़ी मुश्किल से होता है। मनरेगा में भी मजदूरी कम मिलती है। ऐसी सरकार बने जो मजदूरों के हक में सोचे और उनके हितों की अनदेखी न करे। बढ़ती महंगाई को देखते हुए मजदूरी बढ़नी चाहिए।
धरातल पर उतरें सरकारी योजनाएं
सरसावा में एक हलवाई पर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर मोंटी कश्यप का कहना है कि उसने कई माह पहले ही ई श्रम कार्ड बनवाया था, लेकिन आज तक उसे इसका लाभ नहीं मिला। सरकार की योजनाएं धरातल पर उतरे तो मजदूरों और उनके परिवार का गुजारा हो। अनेक बार फार्म भरने के बाद भी आज तक उसका आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया है, जबकि इलाज बहुत महंगा हो रहा है। सरकार मजदूर वर्ग के लिए विशेष अभियान चला योजनाओं से लाभान्वित कराने का काम करे।
पांच सौ रुपये प्रतिदिन हो मजदूरी
शाहपुर गाड़ा के भूरा का कहना है कि दुकानों पर काम करने वाले मजदूरों के लिए जहां साप्ताहिक अवकाश को सख्ती से लागु किया जाए वहीं न्यूनतम मजदूरी भी दिलाने के लिए कड़ा कानून बनाया जाए। फैक्टरी और अन्य कार्य स्थलों पर दो से ढाई सौ रुपये प्रतिदिन की नाममात्र की मजदूरी पर काम लिया जाता है जिसे बढ़ा कर कम से कम पांच सौ रुपये प्रतिदिन किया जाए।
मोंटी कश्यप- फोटो : SAHARANPUR
अरुण कुमार- फोटो : SAHARANPUR
श्याम लाल- फोटो : SAHARANPUR
संजय कुमार- फोटो : SAHARANPUR
सहारनपुर। विधानसभा चुनाव के शोर के बीच मजदूरों को निर्वाचित होने वाली सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि सरकार ऐसी बने जो साल भर काम उपलब्ध कराए, साथ ही न्यूनतम मजदूरी भी कम से कम पांच सौ रुपये होनी चाहिए ताकि इस महंगाई में वे भी अपने बच्चों का पालन पोषण आराम से कर सकें।
साल भर मजदूरी उपलब्ध कराए सरकार
नागल के गांव बढेड़ी कोली निवासी संजय कुमार का कहना है कि सरकार ऐसी बननी चाहिए जो मजदूरों का ध्यान रखे। उन्हें रोजगार के भरपूर अवसर दे। सामान्य स्तर पर मजदूर को रोजाना मजदूरी नहीं मिल पाती। इसलिए सरकार को ऐसे संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए, जिससे लगातार मजदूरी मिलती रहे। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी के कानून को भी सख्ती से लागू करे।
वंचितों के लिए सरकारी योजनाओं से खत्म हो भ्रष्टाचार
ग्राम मित्तरगढ़ निवासी अरुण कुमार का कहना है कि जनप्रतिनिधि ऐसा हो जो गरीब मजदूर की परेशानी को समझते हुए उनकी सहायता करे। सरकार को चाहिए कि गरीब मजदूरों के लिए मनरेगा योजना में अधिक दिन तक का काम दे जिससे मजदूरों को आर्थिक परेशानियों से न गुजरना पड़े। इसके साथ ही वंचितों के लिए चलाई जा रही योजनाओं से भ्रष्टाचार खत्म कर उन्हें पारदर्शी बनाया जाए।
मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने वाली सरकार बने
देवबंद क्षेत्र के गांव खेड़ामुगल निवासी मजदूर श्यामलाल का कहना है कि मेहनत मजदूरी कर वह अपने बच्चों का पालन पोषण करता है, लेकिन इस महंगाई के दौर में कम मजदूरी मिलने से गुजारा बड़ी मुश्किल से होता है। मनरेगा में भी मजदूरी कम मिलती है। ऐसी सरकार बने जो मजदूरों के हक में सोचे और उनके हितों की अनदेखी न करे। बढ़ती महंगाई को देखते हुए मजदूरी बढ़नी चाहिए।
धरातल पर उतरें सरकारी योजनाएं
सरसावा में एक हलवाई पर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर मोंटी कश्यप का कहना है कि उसने कई माह पहले ही ई श्रम कार्ड बनवाया था, लेकिन आज तक उसे इसका लाभ नहीं मिला। सरकार की योजनाएं धरातल पर उतरे तो मजदूरों और उनके परिवार का गुजारा हो। अनेक बार फार्म भरने के बाद भी आज तक उसका आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया है, जबकि इलाज बहुत महंगा हो रहा है। सरकार मजदूर वर्ग के लिए विशेष अभियान चला योजनाओं से लाभान्वित कराने का काम करे।
पांच सौ रुपये प्रतिदिन हो मजदूरी
शाहपुर गाड़ा के भूरा का कहना है कि दुकानों पर काम करने वाले मजदूरों के लिए जहां साप्ताहिक अवकाश को सख्ती से लागु किया जाए वहीं न्यूनतम मजदूरी भी दिलाने के लिए कड़ा कानून बनाया जाए। फैक्टरी और अन्य कार्य स्थलों पर दो से ढाई सौ रुपये प्रतिदिन की नाममात्र की मजदूरी पर काम लिया जाता है जिसे बढ़ा कर कम से कम पांच सौ रुपये प्रतिदिन किया जाए।

मोंटी कश्यप- फोटो : SAHARANPUR

अरुण कुमार- फोटो : SAHARANPUR

श्याम लाल- फोटो : SAHARANPUR

संजय कुमार- फोटो : SAHARANPUR