पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
रालोद को संजीवनी नहीं दे सका गठबंधन
मुजफ्फरनगर। सपा-बसपा के साथ मजबूत गठबंधन भी रालोद को संजीवनी नहीं दे पाया। पार्टी 2014 की तरह एक बार फिर शून्य पर सिमट गई। न तो छोटे चौधरी मुजफ्फरनगर में सीट निकाल पाए और न ही जयंत चौधरी को बागपत में अपनी राजनैतिक विरासत सौंपने की उनकी हसरत पूरी हो सकी। मथुरा में तो हेमा मालिनी ने करीब दो लाख 90 हजार वोटों से रालोद उम्मीदवार कुंवर नरेंद्र सिंह के खिलाफ एकतरफा जीत हासिल की।
चुनाव दर चुनाव गठबंधन बदलने वाले रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह इस बार भी अपनी राजनैतिक विरासत को नहीं बचा पाए। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में रालोद की सियासी जमीन खिसक गई थी और दस सीटों पर लडऩे के बावजूद उसका एक भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया था। इस बार सपा-बसपा का मजबूत गठबंधन और कांग्रेस का अघोषित समर्थन रालोद के साथ था। चौधरी अजित सिंह अपनी परंपरागत सीट बागपत को छोड़कर मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ रहे थे तो उनके पुत्र जयंत चौधरी बागपत में अपने पिता की विरासत संभालने के लिए मैदान में थे। मथुरा में कुंवर नरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया गया था। गठबंधन में यही तीनों सीटें रालोद के खाते में आईं, लेकिन इन तीनों सीटों पर शिकस्त के बाद रालोद की गठबंधन के सहारे सियासी नैया को पार लगाने की हसरत परिणाम आते ही दम तोड़ गई।
भाजपा के साथ गठबंधन रहा था मुफीद
मुजफ्फरनगर। गठबंधन बदलने में माहिर रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह के लिए 2009 में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ऩा सबसे मुफीद साबित हुआ था। रालोद ने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच पर जीत दर्ज की थी। बागपत से चौधरी अजित सिंह, बिजनौर से संजय चौहान, अमरोहा से देवेंद्र नागपाल, हाथरस से सारिका बघेल और मथुरा से जयंत चौधरी सांसद बने थे।
इससे पहले 2004 में रालोद ने देशभर में 32 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बावजूद मात्र तीन ही प्रत्याशी जीत पाए थे। बागपत में स्वयं रालोद मुखिया, कैराना में अनुराधा चौधरी और बिजनौर में मुंशीराम पाल सांसद बने थे। 2014 के चुनाव में सभी समीकरण बदल गए। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे और मोदी लहर ने अन्य दलों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। ऐसे में रालोद की जमीन भी जाती रही। रालोद ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे के बावजूद रालोद एक भी सीट नहीं जीत पाई।
लोकसभा चुनाव में रालोद की स्थिति
वर्ष चुनाव लड़ा जीते
1999 15 02
2004 32 03
2009 09 05
2014 10 00
2019 03 00