मिर्जापुर/लालगंज/हलिया। लालगंज के धोबहा देवघटा के पशु बाड़े में भूख, प्यास से मरने पशुओं को अमानवीय ढंग से दफनाने और पहाड़ियों पर फेंक दिए जाने के मामले में पल्ला झाड़ने वाला प्रशासन अब अपने आप को बेदाग साबित करने में लगा है। सोमवार की रात से लेकर मंगलवार को पूरे दिन प्रशासन इसी में लगा रहा कि साक्ष्य छुपाए जाएं। इसमें अधिकारी दल बल के साथ दिन भर पहाड़ी पर डंटे रहे। वहीं जिला मुख्यालय से भी इसकी मानीटरिंग की जाती रही। मंगलवार तड़के गांव की पहाड़ी पर पहुंची टीमों ने वहां पड़े गोवंशों के शवों को ठिकाने लगवा दिया। बाड़े में गोवंश की मौत की शिकायत करने वाले महाविद्यालय के शिक्षकों को भी पुलिस ने पूछताछ के नाम पर थाने बुला लिया। साथ ही महाविद्यालय में लगे सीसी कैमरा जिससे सच उजागर होता उसे भी जबरन कब्जे में ले लिया। हालांकि बाद में सभी को छोड़ लिया।
गांव में बने पशु बाड़े के दक्षिण में स्थित पहाड़ी परसोमवार को जब अमर उजाला की टीम ने पड़ताल की थी तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। पहाड़ी पर एक जगह जेसीबी से खुदाई कर कई गोवंश को गाड़ा गया था। मिट्टी में से कुछ गोवंश के अंग साफ नजर आ रहे थे। वहीं आस पास कुछ गोवंश का मृत शरीर भी पड़ा मिला था। जब प्रशासन को देर शाम इसकी जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया। रातों रात पहाड़ी पर पड़े मृत गोवंशों को वहां से हटा दिया गया। मंगलवार की अलसुबह एडीएम वित्त यूपी सिंह, एसडीएम लालगंज शिव प्रसाद, सीओ लालगंज सुनील कुमार, डिप्टी पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ईश्वर देव नारायण चतुर्वेदी पूरे दलबल के साथ धोबहा देवघटा स्थित पशु बाड़े में गोवंशों की मौत और उन्हें मिट्टी में दबाने के मामले की जांच करने पहुंचे। इसके बाद पहाड़ी पर गोवंशों को दफनाने वाली जगह जांच दल पहुंचा। मौके पर जांच पड़ताल करने के बाद पशुओं को दफन करने वाली जगह खुदाई करने का निर्णय लिया गया। मौके से आम लोगों को हटा दिया गया। प्रशासन का दावा है कि खुदाई में केवल एक चार माह की बछिया का मृत शरीर मिला है जिसकी मौत संभवत: 15 दिन पहले हुई है। इसे पोस्टमार्टम कराने को भेजा गया। जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने बताया कि मिट्टी हटाने पर चार माह का एक मृत गोवंश मिला है। इसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा जिससे कि इसके मौत का कारण स्पष्ट हो सके।
रातों रात कहां गायब हो गए मृत गोवंश
- सोमवार को पहाड़ी पर मिट्टी में दबे और आस पास नजर आए मृत गोवंश मंगलवार को मौके से गायब मिले। स्थानीय लोगों की मानें तो भोर में ही कुछ लोग दल बल व ट्रैक्टर आदि के साथ पहाड़ी पर आए थे। संभवत: पशुओं के शरीर को ठिकाने लगा दिया गया। मृतक पशुओं की लीद तथा पेट के कुछ मलबे मौके पर पड़े मिले। मक्खियों का झुंड वहां भिनकता रहा। अमर उजाला की टीम तीसरे दिन भी मौके पर मौजूद रही जिसे बाद में घटनास्थल से दूर हटा दिया गया। इस प्रकरण की चर्चा चट्टी चौराहों पर रही। ग्रामीणों की भीड़ घटनास्थल पर भी देखी गई। पशु पालकों में गोवंश की मौत को लेकर रोष नजर आया। चर्चा में कुछ लोग यह भी कहते सुने गए कि धोबहा देवघटा में बना आश्रय स्थल, पशु मृतक स्थल बन चुका था।
भगवान भरोसे चल रहा पशुओं का जीवन
- अमर उजाला में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ी और आनन-फानन में नवनिर्मित उसरी खमरिया स्थित गोवंश आश्रय स्थल पर सभी पशुओं को भेजकर प्रशासन ने राहत की सांस ली। भले ही शासन प्रशासन कुछ भी दावा करे क्षमता से अधिक पशु दोनों गोवंश आश्रय स्थल पर मौजूद हैं। पशुओं के लिए रखा चारा पानी टेंट के सहारे सुरक्षित है। जबकि स्थाई तौर पर भूसा रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं गोवंश आश्रय स्थल में कार्यरत कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति तक नहीं की गई है। समस्याओं के क्रम में लगातार लालगंज के बामी तथा हलिया विकासखंड के गलरा में गोवा आश्रय स्थल बनाया गया है। चार लाख आबादी वाले क्षेत्र में बना यह स्थल ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। यह हाल तब है जब सरकार बेजुबान गोवंश के संवर्धन और संरक्षण को लेकर काफी प्रयास कर रही है।
यह था पूरा मामला-
रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक पशु बाड़े में कैद तड़पते गोवंश नजर आ रहे हैं। जिनको जीवित ही कौवे व कुत्ते नोच रहे हैं। बाड़े में पशुओं के कंकाल भी साफ दिखाई दे रहे हैं। इसके वायरल होते ही प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मच गई। इसको जिला प्रशासन ने फर्जी करार दे दिया। मौके पर अधिकारियों की टीम भेजी गई पर वहां कुछ नहीं मिला। वीडियो के एक से दो दिन पुराने होने और मृत पशुओं को रातों रात हटाने की चर्चाएं भी क्षेत्र में आम रहीं।
मिर्जापुर/लालगंज/हलिया। लालगंज के धोबहा देवघटा के पशु बाड़े में भूख, प्यास से मरने पशुओं को अमानवीय ढंग से दफनाने और पहाड़ियों पर फेंक दिए जाने के मामले में पल्ला झाड़ने वाला प्रशासन अब अपने आप को बेदाग साबित करने में लगा है। सोमवार की रात से लेकर मंगलवार को पूरे दिन प्रशासन इसी में लगा रहा कि साक्ष्य छुपाए जाएं। इसमें अधिकारी दल बल के साथ दिन भर पहाड़ी पर डंटे रहे। वहीं जिला मुख्यालय से भी इसकी मानीटरिंग की जाती रही। मंगलवार तड़के गांव की पहाड़ी पर पहुंची टीमों ने वहां पड़े गोवंशों के शवों को ठिकाने लगवा दिया। बाड़े में गोवंश की मौत की शिकायत करने वाले महाविद्यालय के शिक्षकों को भी पुलिस ने पूछताछ के नाम पर थाने बुला लिया। साथ ही महाविद्यालय में लगे सीसी कैमरा जिससे सच उजागर होता उसे भी जबरन कब्जे में ले लिया। हालांकि बाद में सभी को छोड़ लिया।
गांव में बने पशु बाड़े के दक्षिण में स्थित पहाड़ी परसोमवार को जब अमर उजाला की टीम ने पड़ताल की थी तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। पहाड़ी पर एक जगह जेसीबी से खुदाई कर कई गोवंश को गाड़ा गया था। मिट्टी में से कुछ गोवंश के अंग साफ नजर आ रहे थे। वहीं आस पास कुछ गोवंश का मृत शरीर भी पड़ा मिला था। जब प्रशासन को देर शाम इसकी जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया। रातों रात पहाड़ी पर पड़े मृत गोवंशों को वहां से हटा दिया गया। मंगलवार की अलसुबह एडीएम वित्त यूपी सिंह, एसडीएम लालगंज शिव प्रसाद, सीओ लालगंज सुनील कुमार, डिप्टी पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ईश्वर देव नारायण चतुर्वेदी पूरे दलबल के साथ धोबहा देवघटा स्थित पशु बाड़े में गोवंशों की मौत और उन्हें मिट्टी में दबाने के मामले की जांच करने पहुंचे। इसके बाद पहाड़ी पर गोवंशों को दफनाने वाली जगह जांच दल पहुंचा। मौके पर जांच पड़ताल करने के बाद पशुओं को दफन करने वाली जगह खुदाई करने का निर्णय लिया गया। मौके से आम लोगों को हटा दिया गया। प्रशासन का दावा है कि खुदाई में केवल एक चार माह की बछिया का मृत शरीर मिला है जिसकी मौत संभवत: 15 दिन पहले हुई है। इसे पोस्टमार्टम कराने को भेजा गया। जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने बताया कि मिट्टी हटाने पर चार माह का एक मृत गोवंश मिला है। इसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा जिससे कि इसके मौत का कारण स्पष्ट हो सके।
रातों रात कहां गायब हो गए मृत गोवंश
- सोमवार को पहाड़ी पर मिट्टी में दबे और आस पास नजर आए मृत गोवंश मंगलवार को मौके से गायब मिले। स्थानीय लोगों की मानें तो भोर में ही कुछ लोग दल बल व ट्रैक्टर आदि के साथ पहाड़ी पर आए थे। संभवत: पशुओं के शरीर को ठिकाने लगा दिया गया। मृतक पशुओं की लीद तथा पेट के कुछ मलबे मौके पर पड़े मिले। मक्खियों का झुंड वहां भिनकता रहा। अमर उजाला की टीम तीसरे दिन भी मौके पर मौजूद रही जिसे बाद में घटनास्थल से दूर हटा दिया गया। इस प्रकरण की चर्चा चट्टी चौराहों पर रही। ग्रामीणों की भीड़ घटनास्थल पर भी देखी गई। पशु पालकों में गोवंश की मौत को लेकर रोष नजर आया। चर्चा में कुछ लोग यह भी कहते सुने गए कि धोबहा देवघटा में बना आश्रय स्थल, पशु मृतक स्थल बन चुका था।
भगवान भरोसे चल रहा पशुओं का जीवन
- अमर उजाला में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उड़ी और आनन-फानन में नवनिर्मित उसरी खमरिया स्थित गोवंश आश्रय स्थल पर सभी पशुओं को भेजकर प्रशासन ने राहत की सांस ली। भले ही शासन प्रशासन कुछ भी दावा करे क्षमता से अधिक पशु दोनों गोवंश आश्रय स्थल पर मौजूद हैं। पशुओं के लिए रखा चारा पानी टेंट के सहारे सुरक्षित है। जबकि स्थाई तौर पर भूसा रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं गोवंश आश्रय स्थल में कार्यरत कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति तक नहीं की गई है। समस्याओं के क्रम में लगातार लालगंज के बामी तथा हलिया विकासखंड के गलरा में गोवा आश्रय स्थल बनाया गया है। चार लाख आबादी वाले क्षेत्र में बना यह स्थल ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। यह हाल तब है जब सरकार बेजुबान गोवंश के संवर्धन और संरक्षण को लेकर काफी प्रयास कर रही है।
यह था पूरा मामला-
रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक पशु बाड़े में कैद तड़पते गोवंश नजर आ रहे हैं। जिनको जीवित ही कौवे व कुत्ते नोच रहे हैं। बाड़े में पशुओं के कंकाल भी साफ दिखाई दे रहे हैं। इसके वायरल होते ही प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मच गई। इसको जिला प्रशासन ने फर्जी करार दे दिया। मौके पर अधिकारियों की टीम भेजी गई पर वहां कुछ नहीं मिला। वीडियो के एक से दो दिन पुराने होने और मृत पशुओं को रातों रात हटाने की चर्चाएं भी क्षेत्र में आम रहीं।