पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा लगातार अटक रही है। इसके पीछे यूपी के राष्ट्रीय नेताओं की आपसी खींचतान और चहेते को कमान सौंपने की जद्दोजहद होने की चर्चा है। अब प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होली के बाद होने की बात कही जा रही है।
भाजपा के संगठन चुनाव दिसंबर तक पूरे होने थे। महानगर अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन होना था। ढाई माह बीत जाने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष तो दूर, प्रदेश के सभी जनपदों के अध्यक्ष भी घोषित नहीं हुए हैं।
अब तक भाजपा तीन सूचियां जारी कर करीब 60 जिलाध्यक्ष घोषित कर पाई है। जबकि मेरठ का जिलाध्यक्ष घोषित हुए दो माह होने को हैं, लेकिन महानगर अध्यक्ष अभी तय नहीं हुआ है। मेरठ महानगर में नेताओं के तीन गुट बने हुए हैं। हर कोई अपने पक्ष का महानगर अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुटा है।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी शीर्ष नेतृत्व के सामने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश महामंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, धर्मपाल आदि के नाम आ चुके हैं। इनमें एक बड़ा गुट लोकसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए डा. वाजपेयी को फिर से मौका देने की पैरवी कर रहा है। वहीं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के विरोध में होने की चर्चा है। अब देखना है कि किसकी ताजपोशी होती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा लगातार अटक रही है। इसके पीछे यूपी के राष्ट्रीय नेताओं की आपसी खींचतान और चहेते को कमान सौंपने की जद्दोजहद होने की चर्चा है। अब प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होली के बाद होने की बात कही जा रही है।
भाजपा के संगठन चुनाव दिसंबर तक पूरे होने थे। महानगर अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन होना था। ढाई माह बीत जाने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष तो दूर, प्रदेश के सभी जनपदों के अध्यक्ष भी घोषित नहीं हुए हैं।
अब तक भाजपा तीन सूचियां जारी कर करीब 60 जिलाध्यक्ष घोषित कर पाई है। जबकि मेरठ का जिलाध्यक्ष घोषित हुए दो माह होने को हैं, लेकिन महानगर अध्यक्ष अभी तय नहीं हुआ है। मेरठ महानगर में नेताओं के तीन गुट बने हुए हैं। हर कोई अपने पक्ष का महानगर अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुटा है।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी शीर्ष नेतृत्व के सामने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश महामंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, धर्मपाल आदि के नाम आ चुके हैं। इनमें एक बड़ा गुट लोकसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए डा. वाजपेयी को फिर से मौका देने की पैरवी कर रहा है। वहीं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के विरोध में होने की चर्चा है। अब देखना है कि किसकी ताजपोशी होती है।