नगर निकाय चुनाव में वैसे तो सत्ताधारी दल को चुनाव का लाभ मिलता रहा है लेकिन पिछले दो कार्यकाल में सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा को लाभ नहीं मिला।
साल 2017 में योगी सरकार और साल 2006 में राजनाथ सिंह सरकार होने के बावजूद सत्ता पक्ष के प्रत्याशी जीतने में नाकामयाब रहे। इससे पहले 1995 में बसपा का शासन था। लेकिन उस वर्ष नगर पालिकाध्यक्ष पद पर कांग्रेस नेत्री राना खातून की जीत हुई। इसके बाद 28 अक्तूबर 2000 से आठ मार्च 2002 तक राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। लेकिन साल 2000 में हुए चुनाव में सपा के अरशद जमाल चेयरमैन निर्वाचित हुए।
इसी प्रकार 2017 में योगी की सरकारी बनी लेकिन पालिकाध्यक्ष पद पर बसपा समर्थक मु. तय्यब पालकी चेयरमैन निर्वाचित हुए। भाजपा प्रत्याशी डिंपल जायसवाल को हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार रही। 2006 में हुए चुनाव में भी पालिकाध्यक्ष पद पर सपा के मु. तय्यब पालकी निर्वाचित हुए थे।
15 मार्च 2012 से 19 मार्च 2017 समाजवादी पार्टी की सरकार रही और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान 2012 में हुए चुनाव में सपा नेता अरशद जमाल की पत्नी शाहीना जमाल चेयरमैन निर्वाचित हुई थीं।