2861 कर्मियों की फौज, हर माह 14 लाख खर्च, फिर भी कुपोषित हैं 43 हजार बच्चे
अति कुपोषित मिले 7850 बच्चे, आठ माह में मात्र 80 बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में किए गए भर्ती
महराजगंज। योजनाओं की भरमार और पात्रों तक उनके लाभ पहुंचाने के दावों के बीच जिले में बच्चों को सुपोषित करने की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं है। जिले में 0-5 साल के पंजीकृत बच्चों की संख्या 2.76 लाख है। इनमें 42929 कुपोषित तो 7850 अति कुपोषित हैं। यह स्थिति तब है जब जनपद में बच्चों को सुपोषित करने का दायित्व 2861 कर्मियों की फौज उठा रही है और हर माह 14 लाख रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। बच्चों में बंटने वाली दलिया और अन्य पौष्टिक आहार पर आने वाला खर्च इससे अलग है।
बच्चों को सुपोषित करने के लिए संचालित योजनाओं को अमल में लाने का जिम्मा आंगनबाड़ी केंद्रों पर है। जिले में इन केंद्रों की संख्या 3164 है, जिनमें 2861 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैनात हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मुख्य सेविकाओं की जिम्मेदारी है कि वे वजन दिवस पर बच्चों का वजन कर कुपोषित बच्चों की पहचान करें। साथ ही कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों जांच और इलाज के लिए क्षेत्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उनकी है। चिकित्सकीय परीक्षण में मैम और सैम श्रेणी के बच्चों को बेहतर इलाज व उचित देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। पिछले आठ माह में जिले में मात्र 80 बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किए गए, जबकि कुपोषित बच्चों की संख्या 42929 है। संवाद
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आंकड़े पर एक नजर
2.76 लाख बच्चे पंजीकृत हैं 0-5 साल के
2.62 लाख बच्चों का किया गया वजन
2.14 लाख बच्चे मिले सामान्य श्रेणी के
42929 बच्चे मिले कुपोषित
7850 बच्चे मिले अति कुपोषित
5172 बच्चे मिले मैम श्रेणी के
1741 बच्चे मिले सैम श्रेणी के
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10 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र, आठ बेड खाली
- जिले में कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए बने पोषण पुनर्वास केंद्र में 10 बेड हैं। मौजूदा समय में इनमें से आठ बेड खाली हैं।
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हर माह 14 लाख से ज्यादा खर्च
- बच्चों के सुपोषण के लिए हर माह आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन और गोद भराई के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस मद में प्रतिमाह कुल 14, 31, 500 रुपये खर्च होते हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली सामाग्री इससे अतिरिक्त है।
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कोट-
पोषण पुनर्वास केंद्र में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। मौजूदा समय में दो बच्चे भर्ती हैं। बच्चों को केंद्र में भर्ती कर उन्हें सुपोषित बनाने के लिए जिम्मेदारों को निर्देशित किया गया है।
- डॉ. एके राय, सीएमएस
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कोट
- जिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैनात हैं, उन्हें प्रति माह अन्नप्राशन और गोद भराई जैसी सामुदायिक गतिविधि के लिए 500 रुपये की रकम दी जाती है। केंद्रों पर वितरित होने वाली दलिया और अन्य पौष्टिक आहार इसके अतिरिक्त हैं। सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से लोगों को कुपोषण के प्रति जागरूक करने के साथ ही वितरित होने वाले पोषण युक्त आहार से बच्चों को सुपोषित करने का कार्य किया जा रहा है।
- दुर्गेश कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी