बृहस्पतिवार की सुबह से शुरू हुई बारिश से मौसम सर्द हो गया। सुबह से शुरू हुई बारिश रात तक चली। जरूरी काम से ही लोग अपने घर से बाहर निकले। सर्दी और बारिश की वजह से रेलवे स्टेशन व बस स्टेशनों पर भी यात्रियों की संख्या कम रही। वहीं मौसम विभाग के अनुसार अगले दो तीन दिन में ठंड और बढ़ेगी। बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 19 डिग्री और न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
बृहस्पतिवार की सुबह से हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई। इसके बाद सुबह दस बजे के आसपास मौसम साफ हुआ और धूप निकल आई तो लोगों ने राहत महससू की। ऐसे में मौसम का तापमान भी बढ़ गया। अधिकतम तापमान 19 डिग्री के आसपास हो गया। इस वजह से लोगों को राहत मिली। लेकिन आधे घंटे बाद ही एक बार फिर मौसम बदल गया। रिमझिम फुहारें शुरू हो गई।
बारिश का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। अचानक फिर से गलन बढ़ गई। बारिश और ठंड के कारण लोग घरों में कैद होकर अलाव अथवा हीटर से चिपक गए। मौसम के कारण सर्वाधिक परेशानी मवेशियों को हो रही है। गोशालाओं में ठंड और बारिश से बचाव के मुकम्मल इंतजाम नहीं होने की वजह से गोवंश ठंड से ठिठुर रहे हैं।
गेहूं के लिए अमृत बनी बारिश, दलहन-तिलहन को नुकसान
गेहूं, सरसों, चना, मटर आदि की फसलों के लिए बृहस्पतिवार की बारिश अमृत के समान है। इस समय गेहूं की फसल को सिंचाई की दरकार थी। सरसों, चना, मटर में फूल लगे हैं, ऐसे में फसलों को पाला एवं सरसों में माहूं रोग लगने की संभावना थी। ऐसे वक्त में हुई बारिश से सिंचाई के साथ-साथ फसलों में रोग लगने की आशंका कम हो गई है।
कमलाकांत तिवारी, शिवमोहन सिंह, रतिपाल सिंह, लालमन कुशवाहा, जयकरन कुशवाहा, रामबली कुशवाहा, रामप्रसाद सिंह आदि का कहना है कि यह बारिश अमृत के समान है। इस बारिश से फसलों के लिए कोई नुकसान नहीं है। बल्कि, अब तेजी से फसलों का विकास होगा। लेकिन इसी तरह दो तीन तक ज्यादा बारिश हुई तो सरसों, चना, मटर, जैसे फूल लगी फसलों को नुकसान होगा। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के अनुसार नौ जनवरी तक अच्छी बारिश की संभावना है।
सरसों में फलियां आ चुकी हैं तथा दाने तैयार हो रहे हैं। ऐसे में बारिश की खुराक मिलने से दानों का विकास होगा। गेहूं में भी बालियां निकलने लगीं हैं। बारिश से बालियों में दाने बनने में मदद मिलेगी। रुक-रुककर हो रही बूंदाबांदी से जमीन की सतह पर पानी पहुंचेगा। इससे जहां खारे पानी का नमक जमा है, वह भी पौधों की जड़ों में चला जाएगा।
गेहूं और सरसों दोनों फसलों के लिए बारिश और सर्दी काफी लाभदायक है। रबी की फसलों के लिए ठंड की जरूरत होती है। बिना ठंड के ये फसलें बेकार हो जाती हैं। जितनी ठंड बढ़ेगी, उतनी ही अच्छी पैदावार होगी। इस बारिश से फसलों का तेजी से विकास होगा।
लालमन पाल, मंझनपुर
गेहूं फसल की फसल में अच्छी बालियां व वृद्धि के लिए कम तापमान व ठंडा मौसम अनुकूल रहता है। गेहूं फसल पर पाले व शीतलहर का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। सरसों फसल में भी ठंडे मौसम में साखाएं, फूल व फलियां अधिक बनने से इनकी उपज भी बढ़ेगी।
जगरूप, कोसम इनाम
गेहूं व सरसों के लिए ठंड एक खुराक की तरह है। शीतलहर से फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा। यह बारिश फसलों के लिए सोने पर सुहागा है। उम्मीद है इस बार फसलों की पैदावार अच्छी होगी। किसानों की मेहनत का फल जरूर मिलेगा।
शारदा प्रसाद, कोसम इनाम
ओलावृष्टि का डर लगा रहता है। प्राकृतिक आपदा नहीं आती है तो इस बार फसलें हमारे लिए सोने से कम नहीं हैं। किसान दिनरात मेहनत कर फसलों की अच्छी पैदावार उम्मीद करता है, लेकिन इस बार इंद्रदेव मेहरबान साबित हो रहे हैं।
विजय सिंह यादव, पासिनहार
बृहस्पतिवार की सुबह से शुरू हुई बारिश से मौसम सर्द हो गया। सुबह से शुरू हुई बारिश रात तक चली। जरूरी काम से ही लोग अपने घर से बाहर निकले। सर्दी और बारिश की वजह से रेलवे स्टेशन व बस स्टेशनों पर भी यात्रियों की संख्या कम रही। वहीं मौसम विभाग के अनुसार अगले दो तीन दिन में ठंड और बढ़ेगी। बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 19 डिग्री और न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
बृहस्पतिवार की सुबह से हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई। इसके बाद सुबह दस बजे के आसपास मौसम साफ हुआ और धूप निकल आई तो लोगों ने राहत महससू की। ऐसे में मौसम का तापमान भी बढ़ गया। अधिकतम तापमान 19 डिग्री के आसपास हो गया। इस वजह से लोगों को राहत मिली। लेकिन आधे घंटे बाद ही एक बार फिर मौसम बदल गया। रिमझिम फुहारें शुरू हो गई।
बारिश का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। अचानक फिर से गलन बढ़ गई। बारिश और ठंड के कारण लोग घरों में कैद होकर अलाव अथवा हीटर से चिपक गए। मौसम के कारण सर्वाधिक परेशानी मवेशियों को हो रही है। गोशालाओं में ठंड और बारिश से बचाव के मुकम्मल इंतजाम नहीं होने की वजह से गोवंश ठंड से ठिठुर रहे हैं।
गेहूं के लिए अमृत बनी बारिश, दलहन-तिलहन को नुकसान
गेहूं, सरसों, चना, मटर आदि की फसलों के लिए बृहस्पतिवार की बारिश अमृत के समान है। इस समय गेहूं की फसल को सिंचाई की दरकार थी। सरसों, चना, मटर में फूल लगे हैं, ऐसे में फसलों को पाला एवं सरसों में माहूं रोग लगने की संभावना थी। ऐसे वक्त में हुई बारिश से सिंचाई के साथ-साथ फसलों में रोग लगने की आशंका कम हो गई है।
कमलाकांत तिवारी, शिवमोहन सिंह, रतिपाल सिंह, लालमन कुशवाहा, जयकरन कुशवाहा, रामबली कुशवाहा, रामप्रसाद सिंह आदि का कहना है कि यह बारिश अमृत के समान है। इस बारिश से फसलों के लिए कोई नुकसान नहीं है। बल्कि, अब तेजी से फसलों का विकास होगा। लेकिन इसी तरह दो तीन तक ज्यादा बारिश हुई तो सरसों, चना, मटर, जैसे फूल लगी फसलों को नुकसान होगा। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के अनुसार नौ जनवरी तक अच्छी बारिश की संभावना है।
सरसों में फलियां आ चुकी हैं तथा दाने तैयार हो रहे हैं। ऐसे में बारिश की खुराक मिलने से दानों का विकास होगा। गेहूं में भी बालियां निकलने लगीं हैं। बारिश से बालियों में दाने बनने में मदद मिलेगी। रुक-रुककर हो रही बूंदाबांदी से जमीन की सतह पर पानी पहुंचेगा। इससे जहां खारे पानी का नमक जमा है, वह भी पौधों की जड़ों में चला जाएगा।
गेहूं और सरसों दोनों फसलों के लिए बारिश और सर्दी काफी लाभदायक है। रबी की फसलों के लिए ठंड की जरूरत होती है। बिना ठंड के ये फसलें बेकार हो जाती हैं। जितनी ठंड बढ़ेगी, उतनी ही अच्छी पैदावार होगी। इस बारिश से फसलों का तेजी से विकास होगा।
लालमन पाल, मंझनपुर
गेहूं फसल की फसल में अच्छी बालियां व वृद्धि के लिए कम तापमान व ठंडा मौसम अनुकूल रहता है। गेहूं फसल पर पाले व शीतलहर का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। सरसों फसल में भी ठंडे मौसम में साखाएं, फूल व फलियां अधिक बनने से इनकी उपज भी बढ़ेगी।
जगरूप, कोसम इनाम
गेहूं व सरसों के लिए ठंड एक खुराक की तरह है। शीतलहर से फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा। यह बारिश फसलों के लिए सोने पर सुहागा है। उम्मीद है इस बार फसलों की पैदावार अच्छी होगी। किसानों की मेहनत का फल जरूर मिलेगा।
शारदा प्रसाद, कोसम इनाम
ओलावृष्टि का डर लगा रहता है। प्राकृतिक आपदा नहीं आती है तो इस बार फसलें हमारे लिए सोने से कम नहीं हैं। किसान दिनरात मेहनत कर फसलों की अच्छी पैदावार उम्मीद करता है, लेकिन इस बार इंद्रदेव मेहरबान साबित हो रहे हैं।
विजय सिंह यादव, पासिनहार