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कौशाम्बी के वजूद पर संकट, प्रयागराज में 69 गांव शामिल
अमर उजाला ब्यूरो, कौशाम्बी
Published by: shailendra Kumar
Updated Sun, 03 Mar 2019 12:50 AM IST
मंझनपुर। आखिरकार कौशाम्बी के 69 गांव पड़ोसी जनपद प्रयागराज में शामिल कर दिए गए। इससे पहले ही मानक की कमी से जूझ रहे कौशाम्बी जनपद के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जल्द ही पड़ोसी जिला फतेहपुर के धाता ब्लॉक को शामिल कराकर इसकी भरपाई की जाएगी।
चार अप्रैल 1997 को प्रदेश की तत्कालीन बसपा सरकार ने दोआबा को प्रयागराज से अलग करके कौशाम्बी नाम से नया जिला बनाया था। नवसृजित जनपद के हिस्से में चायल, मंझनपुर और सिराथू तहसीलें दी गई। उस वक्त प्रयागराज से सटी चायल तहसील में करीब 975 राजस्व गांव शामिल थे, लेकिन दो साल बाद ही आठ जुलाई 1999 में शासन ने चायल तहसील के 96 राजस्व गांवों को वापस प्रयागराज में शामिल कर दिया। इससे चायल में राजस्व गांव 879 ही बचे। इसका असर जिले के मानक पर पड़ा। मानक कम होने के कारण 12 जनवरी 2004 को तत्कालीन सपा सरकार ने जिले का अस्तित्व समाप्त कर प्रयागराज में विलय कर दिया था। भारी राजनीतिक विरोध के बाद 25 जून 2004 को कौशाम्बी जिला दोबारा अस्तित्व में आया, लेकिन प्रयागराज में सम्मिलित 96 गांव वापस नहीं लौटाए गए। हालांकि पूरामुफ्ती और पिपरी थाना क्षेत्रों में सम्मिलित इन गांवों में कानून व्यवस्था कौशाम्बी जिले की ही पुलिस देखती है। जबकि राजस्व प्रशासन प्रयागराज का चल रहा है। प्रयागराज प्रशासन इनमें से पूरामुफ्ती कोतवाली के 48 व पिपरी के 21 समेत सरहद पर बसे 69 गांवों का पुलिसिया अधिकार भी पास चाहता था। इसे लेकर तब से लगातार पत्राचार चल रहा था। इधर बीच सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद प्रयागराज के एक कबीना मंत्री ने इसे लेकर तेजी दिखाई। नतीजतन शुक्रवार को शासन ने 69 गांवों की पुलिस व्यवस्था भी प्रयागराज को देने की अधिसूचना जारी कर दी। ऐसे में जिले के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगा है। चायल क्षेत्र के भाजपा विधायक संजय गुप्ता का कहना है कि जल्द ही पड़ोसी जनपद फतेहपुर के धाता इलाके को जुड़वाकर इसकी भरपाई कराई जाएगी।
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