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कोरोना काल में लॉकडाउन और इसके बाद अनलॉक के बाद आम नमाजियों के लिए खुली मस्जिदों में शुक्रवार को पहले जुमे की नमाज पढ़ाई गई। यहां पर बड़ी संख्या में नमाजी पहुंचे। भीड़ ज्यादा होने से कई मस्जिदों में दो बार जमात के साथ नमाज पढ़ाई गई।
सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रखते हुए कई मस्जिदों के बाहर नमाजियों की थर्मल स्क्रीनिंग भी हुई। सिर्फ 100 लोगों की भीड़ की अनुमति होने से अधिकतर लोग मस्जिदों में प्रवेश के लिए नमाज के तय समय से काफी पहले पहुंच गए। 100 नमाजियों की संख्या पूरी होने पर कमेटियों ने मस्जिदों के गेट बंद करा दिए।
नमाज बाद कोरोना से निजात और लॉकडाउन से पैदा हुई तंगहाली को दूर करने की खास दुआ हुई। लॉकडाउन के दौरान भी मस्जिदों से अजान और नमाज होती रही लेकिन सिर्फ पांच लोग ही नमाज अदा करते थे। इसमें मस्जिद के इमाम, मोअज्जिन और कमेटी के तीन सदस्य शामिल होते थे।
बाकी नमाजियों के लिए मस्जिदें बंद थीं। यही वजह रही कि रमजान में तरावीह, ईद और बकरीद में भी ईदगाहों में नमाजें नहीं हुईं। वहीं, लंबे समय के बाद जुमे की नमाज पढ़ने का मौका पाए नमाजियों की आंखें मस्जिदों में दाखिल होते ही भर आईं।
नई मस्जिद में शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती ने, एहसनुल मदारिस जदीद मस्जिद में मुफ्ती रफी अहमद निजामी, गुलाब घोसी मस्जिद में मौलाना अब्दुल रज्जाक, जामा मस्जिद शफियाबाद में मौलाना कासिम हबीबी और घंटाघर बड़ी मस्जिद में मुफ्ती उसमान ने दुआ कराई।
कोरोना काल में लॉकडाउन और इसके बाद अनलॉक के बाद आम नमाजियों के लिए खुली मस्जिदों में शुक्रवार को पहले जुमे की नमाज पढ़ाई गई। यहां पर बड़ी संख्या में नमाजी पहुंचे। भीड़ ज्यादा होने से कई मस्जिदों में दो बार जमात के साथ नमाज पढ़ाई गई।
सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रखते हुए कई मस्जिदों के बाहर नमाजियों की थर्मल स्क्रीनिंग भी हुई। सिर्फ 100 लोगों की भीड़ की अनुमति होने से अधिकतर लोग मस्जिदों में प्रवेश के लिए नमाज के तय समय से काफी पहले पहुंच गए। 100 नमाजियों की संख्या पूरी होने पर कमेटियों ने मस्जिदों के गेट बंद करा दिए।
नमाज बाद कोरोना से निजात और लॉकडाउन से पैदा हुई तंगहाली को दूर करने की खास दुआ हुई। लॉकडाउन के दौरान भी मस्जिदों से अजान और नमाज होती रही लेकिन सिर्फ पांच लोग ही नमाज अदा करते थे। इसमें मस्जिद के इमाम, मोअज्जिन और कमेटी के तीन सदस्य शामिल होते थे।
बाकी नमाजियों के लिए मस्जिदें बंद थीं। यही वजह रही कि रमजान में तरावीह, ईद और बकरीद में भी ईदगाहों में नमाजें नहीं हुईं। वहीं, लंबे समय के बाद जुमे की नमाज पढ़ने का मौका पाए नमाजियों की आंखें मस्जिदों में दाखिल होते ही भर आईं।
नई मस्जिद में शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती ने, एहसनुल मदारिस जदीद मस्जिद में मुफ्ती रफी अहमद निजामी, गुलाब घोसी मस्जिद में मौलाना अब्दुल रज्जाक, जामा मस्जिद शफियाबाद में मौलाना कासिम हबीबी और घंटाघर बड़ी मस्जिद में मुफ्ती उसमान ने दुआ कराई।