कानपुर। बच्चे देश का भविष्य हैं, तरक्की की नींव हैं। इनसे लाख उम्मीदें होती हैं पर हकीकत बहुत कड़वी है। पब्लिक स्कूल में पढ़ने वालों को छोड़ दीजिए लेकिन आम आदमी के बच्चों, गरीबों के बच्चों संग भद्दा मजाक हो रहा है। परिषदीय स्कूलों की सालाना परीक्षाओं का हाल देखकर यही कहा जाएगा। गुरुवार से घोर अव्यवस्थाओं के बीच परीक्षा शुरू हुईं। कहीं शिक्षक परीक्षा शुरू होने के बाद स्कूल पहुंचे तो कहीं बच्चे। कई बच्चे तो ऐसे थे जिन्हें पता ही नहीं था कि पेपर किस विषय का है। पेपर छपे नहीं थे इसलिए ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न लिख दिए गए। बच्चों ने पहले उन प्रश्नों को कापियों में उतारा, फिर शुरू हुआ एक-दूसरे को देखकर उन्हें हल करना। एक-दो स्कूलों में बच्चों ने पहले कक्षा में झाड़ू लगाई फिर पेपर दिया। ऐसे में बच्चों के भविष्य और सर्वशिक्षा अभियान का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
गुरुजी लेट
घड़ी ने जब साढ़े सात बजाए तब परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बर्रा-2 के शिक्षक ओम प्रकाश वर्मा स्कूल पहुंचे। जबकि परीक्षा शुरू होने का समय सात बजे था और शिक्षकों को 15 मिनट पहले पहुंचने के निर्देश दिए गए थे। पर नियमों की परवाह किसे है। कई शिक्षक अपने मन मुताबिक समय पर स्कूल पहुंचे।
बच्चों ने लगाई झाड़ूू
कानपुर। प्राथमिक विद्यालय बर्रा -2 (बालक) के छात्रों को परीक्षा में कैसे प्रश्न आएंगे? से ज्यादा परवाह इस बात की थी कि आज कमरे में झाड़ू लगाने का नंबर किसका है। फिर तय हुआ कि दो छात्र कमरे की सफाई करेंगे और बाकी पानी का छिड़काव करेंगे। बच्चों ने पहले झाड़ू लगाकर कक्षा को साफ किया और पानी का छिड़काव किया। इस चक्कर में परीक्षा आधा घंटा देरी से शुरू हुई।
गणित का पेपर है...शायद
कानपुर। प्राथमिक विद्यालय मालवीय नगर में पौने आठ बजे तक शिक्षक छात्रों का इंतजार करते रहे। शिक्षामित्र शशि देवी ने कक्षा एक और दो के बच्चों को प्रश्न पत्र ही नहीं दिया था। पूछने पर कहा, थोड़े और बच्चे आ जाएं तो परीक्षा शुरू कराते हैं। 7.55 पर एक छात्र ने प्रवेश किया। उससे पूछा गया कौन सा पेपर देने आए हो? उसने आंखें नीची कर ली। फिर थोड़ी देर बाद बोला गणित का है...शायद।
तुम लिखो मैं खेल रहा हूं
कानपुर। परीक्षा देने आए प्राथमिक विद्यालय कन्या बर्रा के बच्चे परीक्षा के समय खेलते मिले। शिक्षक जब ब्लैक बोर्ड पर पेपर उतार रहे थे तब छात्र पार्क में खेल रहे थे। पेपर लिखने के बाद शिक्षकों ने बच्चों को आवाज लगाई, तब जाकर परीक्षा शुरू हुई। न परीक्षा छूटने का डर न फेल होने की चिंता। परिषदीय स्कूल के छात्रों में सात बजे के बाद विद्यालय आने वालों की संख्या अधिक थी। कोई साढ़े सात तो कोई साढ़े आठ बजे विद्यालय पहुंचा।
एक-दूसरे की आर्ट बनाई
प्राथमिक विद्यालय कन्या खलासी लाइन में सुबह नौ बजकर 40 मिनट पर प्रधानाध्यापक स्कूल गेट पर खड़े थे। जबकि अंदर शिक्षामित्र बच्चों के बीच में खड़ी थी। जिस तरह से शोर हो रहा था ऐसे में नहीं लग रहा था कि कोई परीक्षा हो रही। कला का पेपर होने पर बच्चे एक दूसरे की आर्ट बना रहे थे। कोई कापी किताब रख कर पढ़ने वाले चौकी पर बैठा तो कोई चटाई पर बैठा था। यहां प्रशन पत्र की फोटो कापी बांटी गई।
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मिलजुल कर दिया पेपर
प्राथमिक विद्यालय कन्या ग्वालटोली में 10 बजकर 5 मिनट पर पहुंचने पर देखा कि बच्चे झुंड बनाकर परीक्षा दे रहे थे। प्रधानाध्यापिका सुबह की पाली में हुई हिंदी की परीक्षा की कापियां जांचने में लगी थीं। कक्ष में पहुंचने पर पर प्रधानाध्यापिका ने बच्चों को शांत कराकर अगल-अलग बैठने की हिदायत दी।
आओ सो लें..
प्राइमरी विद्यालय खलासी लाइन में कुछ बच्चे डेस्क पर सिर रखकर सो गए। शिक्षक ने उठाया मगर फिर सो गए। प्राथमिक कन्या विद्यालय मैकफोर्ट डाल्टन में पेपर ब्लैकबोर्ड पर लिखे गए। यहां एक ही प्रश्न-पत्र आया था। मगर धनराशि न होने पर उसकी फोटोकापी नहीं कराई जा सकी।
पहले भोजन फिर अध्ययन
कानपुर। उच्च प्राइमरी स्कूल दादानगर में परीक्षा के दौरान सवा घंटे तक मिड डे मील बंटता रहा। इसके चलते पहली पाली की परीक्षा तो बाधित हुई साथ ही कई छात्र दूसरी पाली में परीक्षा देने देर से आए। 9.40 पर स्कूल की प्रधानाध्यापिका उमा कांती बच्चों की कापियां एकत्र कर रहीं थी। पूछने पर कहा कि मिड डे मील खाने के बाद छात्र निकले हैं, बस आते ही होंगे। जबकि दूसरी पाली की परीक्षा का समय 9.30 से 11.30 बजे था। पौने दस बजे तक बच्चों का अता पता नहीं था। प्राथमिक स्कूल शास्त्रीनगर (बालक) प्रथम में 10.15 बजे बच्चे खेलने में व्यस्त थे। शिक्षिकाओं ने कहा कि मिड-डे मील का वितरण देरी से हुआ, इस कारण देर हुई है। कई बार बच्चों को आवाज लगा चुके है, लेकिन सुनते ही नहीं।
मैडम जी पप्पू सो रहा है, पेपर देने नहीं आएगा
कानपुर। समय: 7.45, स्थान: विश्व बैंक स्थित प्राथमिक स्कूल मालवीय नगर, पंजीकृत छात्र संख्या 49, 29 छात्र परीक्षा देने आए। कक्षा एक में 19 हैं पर सिर्फ 15 ही आए। कक्षा दो में 14 छात्र हैं, पांच परीक्षा देने आए, कक्षा तीन में 10 छात्र हैं 3 परीक्षा देने आए, कक्षा चार में पांच पंजीकृत छात्र है, पांच आए, कक्षा पांच में एक छात्र है, वह आया।
दृश्य: पौने आठ बजे थे। दो कक्षाओं में परीक्षा थी। प्रधानाध्यापक शौकत शाह कक्षा तीन से पांच तक की परीक्षाएं ले रहे थे। कक्षा एक और दो की परीक्षा की जिम्मेदारी शिक्षामित्र शशि देवी की थी। शौकत शाह की कक्षा में जमीन में बैठकर छात्र परीक्षा देने में व्यस्त थे। तो शशि देवी की क्लास में चहल पहल थी। पूछने पर कहा कि छात्रों के इकट्ठ होने का इंतजार कर रहे है। अभी बच्चे आए नहीं है, ऐसे कैसे शुरु कर दे परीक्षा। छात्रों के आने के इंतजार के दौरान बच्चों से कुछ सवाल पूछे तो सर्व शिक्षा अभियान की सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लग गया। कक्षा दो की छात्रा जिसकी उम्र लगभग 10 साल के आस पास होगी, से झंडे में कौन से रंग होते हैं? पूछा तो आंखें झुका ली। जबकि यही सवाल कला के पेपर में आया था। 7.55 पर दो तीन छात्रों ने कक्षा में प्रवेश किया। शिक्षामित्र ने कहा इतनी देर कैसे हो गई...तो छात्र ने आंख मलते हुए केवल मुस्कुरा दिया। अच्छा जल्दी बैठों वैसे ही पेपर में देरी हो गई है। तब तक नजर छात्र गोलू पर गई...शिक्षामित्र बोली गोलू तुम्हारा भाई पप्पू क्यों नहीं आया....। गोलू बोला मैडम जी पप्पू सो रहा था, पूछा तो कह रहा था कि पेपर देने नहीं जायेगा....। कह कर गोलू परीक्षा देने बैठ गय,ा।
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