झांसी। मेडिकल कॉलेज के आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस में केवल छह औजारों के सहारे जुगाड़ से पोस्टमार्टम हो रहे हैं। जबकि, एक पोस्टमार्टम के दौरान 72 उपकरणों की जरूरत पड़ती है। हालात ये हैं कि मृतक का फिंगरप्रिंट लेने के लिए फिंगरप्रिंट इंक, इंक रोलर, मांसपेशियां काटने के लिए रिमूवल वॉटलेस समेत कई अति महत्वपूर्ण उपकरण तक नहीं हैं। इसका असर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक पर पड़ सकता है। विभिन्न दुर्घटनाओं में होने वाली मौत पर शवों का पोस्टमार्टम मेडिकल कॉलेज में बने पोस्टमार्टम हाउस में किया जाता है। आधुनिक पोस्टमार्टम का दर्जा पाने के बाद भी यहां कई खामियां हैं। प्रावधान के अनुसार पोस्टमार्टम करने के लिए करीब 72 औजारों की किट होनी चाहिए। लेकिन, यहां छह औजार ही मौजूद हैं। जिनमें एक इंची टेप, ब्लेड, आरी, हथौड़ा, वजन करने के लिए धर्मकांटा ही शामिल है। इधर, औजार उपलब्ध न होने के अलावा आसानी से मिलने वाले ग्लव्स और अन्य सामान भी पोस्टमार्टम रूम में उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर और कर्मचारी भी इस कारण परेशानी उठा रहे हैं। लेकिन, अब तक औजारों की कमी न होना भी कई सवाल खड़े करता है। ये उपकरण होते जरूरी फिंगरप्रिंट इंक, ट्यूब, इंक रोलर, रिमूवल वॉटलेस, क्लीनर कोगनेक, बोटल इंक क्लीनर, ग्लास इंक, स्लैब सिलमार्क, ग्रे कास्टिंग मैटेरियल ट्यूब, प्लास्टिक बॉटल, हाईड्रोजन पैराक्साइड, पॉलीप्रोलेन मिक्सिंग, स्वेडिया स्पेटुला, फोरसिप पाइंटेड, राउंडेड नेलफाइल विद पांइट, स्केपल हैंडल, स्केपल ब्लेड, थिक रबर ग्लव्स, थिन रबर ग्लव्स, डिस्पोजिबल पॉलीथिन ग्लव्स, पॉलीथिन बैग्स, प्लास्टिक टेस्ट ट्यूब विद प्लास्टिक, स्टापर्स ब्रश फॉर हाईड्रोजन पैराक्साइड, पोस्टमार्टम स्पून, क्रोमड सेट आफ थ्री फिंगर, स्टेचर्स बोटल आफ टिश्यू बुल्डर आदि। पोस्टमार्टम हाउस में औजारों की कमी है। समय-समय पर शासन स्तर पर पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही औजारों की कमी को दूर कर लिया जाएगा। इसके लगातार प्रयास जारी हैं। जीके निगम, सीएमओ पूरी प्रक्रिया के बाद ही पुलिस पोस्टमार्टम कराती है। औजारों की कमी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर अपराधियों को कड़ी सजा पुलिस ने दिलाई है। विवेक कुमार त्रिपाठी, एसपी सिटी
झांसी। मेडिकल कॉलेज के आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस में केवल छह औजारों के सहारे जुगाड़ से पोस्टमार्टम हो रहे हैं। जबकि, एक पोस्टमार्टम के दौरान 72 उपकरणों की जरूरत पड़ती है। हालात ये हैं कि मृतक का फिंगरप्रिंट लेने के लिए फिंगरप्रिंट इंक, इंक रोलर, मांसपेशियां काटने के लिए रिमूवल वॉटलेस समेत कई अति महत्वपूर्ण उपकरण तक नहीं हैं। इसका असर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक पर पड़ सकता है।
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विभिन्न दुर्घटनाओं में होने वाली मौत पर शवों का पोस्टमार्टम मेडिकल कॉलेज में बने पोस्टमार्टम हाउस में किया जाता है। आधुनिक पोस्टमार्टम का दर्जा पाने के बाद भी यहां कई खामियां हैं। प्रावधान के अनुसार पोस्टमार्टम करने के लिए करीब 72 औजारों की किट होनी चाहिए। लेकिन, यहां छह औजार ही मौजूद हैं। जिनमें एक इंची टेप, ब्लेड, आरी, हथौड़ा, वजन करने के लिए धर्मकांटा ही शामिल है। इधर, औजार उपलब्ध न होने के अलावा आसानी से मिलने वाले ग्लव्स और अन्य सामान भी पोस्टमार्टम रूम में उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर और कर्मचारी भी इस कारण परेशानी उठा रहे हैं। लेकिन, अब तक औजारों की कमी न होना भी कई सवाल खड़े करता है।
ये उपकरण होते जरूरी
फिंगरप्रिंट इंक, ट्यूब, इंक रोलर, रिमूवल वॉटलेस, क्लीनर कोगनेक, बोटल इंक क्लीनर, ग्लास इंक, स्लैब सिलमार्क, ग्रे कास्टिंग मैटेरियल ट्यूब, प्लास्टिक बॉटल, हाईड्रोजन पैराक्साइड, पॉलीप्रोलेन मिक्सिंग, स्वेडिया स्पेटुला, फोरसिप पाइंटेड, राउंडेड नेलफाइल विद पांइट, स्केपल हैंडल, स्केपल ब्लेड, थिक रबर ग्लव्स, थिन रबर ग्लव्स, डिस्पोजिबल पॉलीथिन ग्लव्स, पॉलीथिन बैग्स, प्लास्टिक टेस्ट ट्यूब विद प्लास्टिक, स्टापर्स ब्रश फॉर हाईड्रोजन पैराक्साइड, पोस्टमार्टम स्पून, क्रोमड सेट आफ थ्री फिंगर, स्टेचर्स बोटल आफ टिश्यू बुल्डर आदि।
पोस्टमार्टम हाउस में औजारों की कमी है। समय-समय पर शासन स्तर पर पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही औजारों की कमी को दूर कर लिया जाएगा। इसके लगातार प्रयास जारी हैं।
जीके निगम, सीएमओ
पूरी प्रक्रिया के बाद ही पुलिस पोस्टमार्टम कराती है। औजारों की कमी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर अपराधियों को कड़ी सजा पुलिस ने दिलाई है।
विवेक कुमार त्रिपाठी, एसपी सिटी
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