झांसी। इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी और इस चुनाव में किस्मत आजमा रहे सुरेश कुमार त्रिपाठी के प्रतिनिधि डा. सीबी सिंह को सोमवार की सुबह मतदान शुरू होने से पहले पुलिस ने उठा लिया। पुराने मामले में एरच और पूंछ ले जाकर उनसे पूछताछ की जाती रही। शाम को उन्हें छोड़ा गया। इस दौरान प्रत्याशी के चुनाव प्रभारी अफसरों के दरवाजे खटखटाते रहे, लेकिन उनके हाथ मायूसी ही लगी।
प्रयागराज के रहने वाले माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी पिछले तीन बार से एमएलसी बनते आ रहे हैं। इस चुनाव में भी शिक्षकों के बीच उनकी पकड़ मजबूत मानी जा रही है। पूंछ के रहने वाले रामस्वरूप यादव महाविद्यालय के प्रबंधक डा. सीबी सिंह यादव उनके प्रतिनिधि हैं। इस चुनाव में भी वे सक्रिय भूमिका में रहे। झांसी में सुरेश कुमार त्रिपाठी के चुनाव प्रबंधन की कमान उन्हीं के हाथ थी। सोमवार को मतदान प्रक्रिया शुरू होने के पहले तकरीबन साढ़े सात बजे एक होटल से पूंछ थाने की पुलिस ने उन्हें उठा लिया था। इसके बाद उन्हें एरच ले जाया गया। शाम को उन्हें छोड़ा गया।
जबकि, इस दरम्यान सुरेश कुमार त्रिपाठी के चुनाव प्रभारी व पूर्व एमएलसी डा. प्रमोद कुमार मिश्रा अफसरों के दरवाजे खटखटाते रहे, लेकिन उनके हाथ मायूसी ही लगी। डा. मिश्रा ने बताया कि एक अधिकारी उन्हें दूसरे अधिकारी के पास भेजता रहा, परंतु सुनवाई कहीं नहीं हुई।
वहीं, पूंछ थानाध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि डा. सीबी सिंह पर दो-तीन महीने पहले धोखाधड़ी के एक मामले में धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी मामले में पूछताछ के लिए उन्हें उठाया गया था। पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
बूथ पर बस्ते न रखने देने का भी आरोप
झांसी। सुरेश कुमार त्रिपाठी के चुनाव प्रभारी डा. प्रमोद कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया कि मतदान के दौरान कई बूथों पर उनके कार्यकर्ताओं को भाजपा के लोगों ने बस्ते भी नहीं रखने दिए। राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के बाहर लगा बस्ता भाजपा के एक विधायक ने खुद पहुंचकर हटवाया। यही स्थित कई बूथों पर बनी। यहां तक कि कई बूथों से उनके एजेंटों को भी बाहर कर दिया गया। इसकी शिकायत वे लगातार अफसरों से करते रहे। लेकिन, हुआ कुछ नहीं। वहीं, भाजपा के जिलाध्यक्ष मुकेश मिश्रा ने आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि विपक्षी प्रत्याशियों के पास लोग ही नहीं थे, ऐसे में बस्ते कहां से लगाते। अब वे बेबुनियाद आरोप लगाने में जुटे हुए हैं।