न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सिकंदराराऊ (हाथरस)।
क्षेत्र के गांव अरनोट निवासी किसान को प्रदेश सरकार की फसल ऋण मोचन योजना के तहत 67,432 रुपये का कर्जा माफ कर ऋणमाफी का प्रमाण पत्र दे दिया गया। अब बैंक ने उसी धनराशि को उस पर बकाया दिखाते हुए वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया है। किसान दुविधा में है कि आखिर वह करे तो क्या करे। अफसोस की बात तो यह है कि वह बैंक के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन वहां अभी तक उनकी सुनवाई नहीं हुई है।
गांव अरनौठ निवासी किसान परवेज पुत्र हमीद ने बताया कि उन्होंने ग्रामीण बैंक ऑफ आयावर्त से वर्ष 2015 में करीब 70 हजार रुपये का फसली ऋण लिया था। किसी कारण से वह इस ऋण की अदायगी नहीं कर सका। इसके बाद प्रदेश में बनी भाजपा सरकार ने फसल ऋण मोचन योजना के तहत उसका 67,432 रुपये का कर्जा माफ कर दिया। एक कार्यक्रम के दौरान उसे ऋण माफी का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। प्रमाण पत्र में स्पष्ट लिखा हुआ है कि यह रुपया उनके खाते में क्रेडिट कर दिया गया है, लेकिन अप्रैल के महीने में बैंक की तरफ से उनको पंजीकृत डाक से ऋण अदायगी के लिए नोटिस भी भेज दिया गया।
इस नोटिस में साफ कहा गया है कि उन्होंने ऋण की अदायगी नही की है। वह समय से ऋण की अदायगी कर दें, अन्यथा वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) भेजकर उनसे ऋण की बकाया धनराशि की वसूली की जाएगी। नोटिस मिलने के बाद किसान सकते में आ गए। वह ऋण मोचन का प्रमाणपत्र लेकर बैंक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वहां उनकी समस्या का समाधान होना तो दूर, सुनवाई तक नहीं हो रही है। किसान परेशान हैं कि जो पैसा सरकार से माफ हो चुका है, वह उसकी अदायगी कैसे करें।
पीड़ित किसान ऋण मोचन के प्रमाणपत्र की छाया प्रति मेरे पास लेकर आएं। वह इसे बैंक प्रबंधक को भेजेंगे। अगर बैंक ने गलत तरीके से नोटिस दिया है तो संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-मनोज कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी सिकंदराराऊ