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जानलेवा हैं बिजली के झूलते तार, गिरते खंभे

Farrukhabad Updated Sat, 02 Jun 2012 12:00 PM IST
कायमगंज। कु छ समय पूर्व तक अपराध के लिए प्रदेश में पहचान रखने वाली जिले की इस तहसील में अब व्यापारिक दृष्टिकोण से आने वाले लोग यहां के विकास को देखकर आश्चर्य चकित होते हैं वहीं यहां जर्जर बिजली व्यवस्था उन्हें फिर पुराने कायमगंज की याद ताजा करा देती है। सतारूढ़ दल के नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने भी कभी इस ओर कोई गौर नहीं किया वे हमेशा पालिका के कराए गए कामों की प्रशंसा तो करते रहे किंतु जिसके लिए उन्हें प्रयास करना चाहिए था उस ओर उनका कभी कोई प्रयास नहीं हुआ। जिस कारण यह क्षेत्र सदैव शासन की सुविधाओं के लिए उपेक्षित ही रहा।

शहर की तरक्की में सबसे अहम रोड़ा यहां की बिजली है। गौरतलब है कि शहर का जबसे विद्युतिकरण हुआ है तबसे आज तक न तो पोल बदले गए हैं और न तार यही कारण है कि शहर के बीचों बीच स्थित खंबे और तार पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। इन खंबों और तारों को बदलवाने का जब भी प्रयास किया गया विभाग ने हमेशा इन खंबों की मरम्मत के नाम पर लाखों रूपए का बजट दिखाकर इनकी मरम्मत कर दी। तारों को बदलने के नाम पर लाखों रूपए मूल्य के तांबे के तारों को हटाकर घटिया किस्म के तारों का जाल डाला जो चंद दिनों में ही पुरानों से बदतर हालात में पहुंच गए। इन खस्ता हाल खंबों और तारों की वजह से ही शहर को शडयूल के अनुसार मिलने वाली बिजली का पूरा उपभोग शहर वाले कर ही नहीं पाते। लो वोल्टेज और टू फेज की समस्या का समाधान भी जल्द संभव नहीं हो पाता है। विभाग द्वारा बर्षों पहले जहां सुरक्षित जगह देखकर ट्रांसफार्मर लगाए गए थे वो जगह अब घनी आबादी से घिर चुके हैं जिससे यहां हर समय खतरा बना रहता है किंतु बिजली विभाग जान कर भी अनजान बना रहता है। घनी आबादी में झूलते हाई टेंशन तारों के टूटने से कई बार घट चुकी घटनाओं के बावजूद विभाग की आंखें नहीं खुलीं। उसने शहरवासियों के अनेकों आंदोलनों के बाद भी न तो ट्रांसफार्मर हटाए और न ही हाई टेंशन तार।

पिछले पंद्रह वर्षों में नगर में गलियों के जाल,सुचारू पेयजल आपूर्ति, सफाई के समुचित साधन,अस्सी प्रतिशत कर वसूली और शाम होते ही वैकल्पिक प्रकाश से नहाते नगर ने जहां इन सालों में प्रदेश में नंबर वन की नगर पालिका होने का गौरव हासिल किया है वहीं शहर में हवा में झूलते बिजली के जर्जर तार और खंबे इसकी खूबसूरती पर बदनुमा दाग से नजर आते हैं। जिन्हें बदलवाने के लिए पालिका द्वारा किए गए प्रयास विद्युत विभाग की टाल मटोल के कारण नाकाम होते रहे। जिस कारण शहर के मुख्य मार्गों के अतिरिक्त कई मोहल्ले के वाशिंदे बिजली के चलते तारों के नीचे से निकलने में भी कतराते हैं। आने वाले चेयरमेन के लिए नगर की जर्जर विद्युत व्यवस्था किसी चुनौती से कम नहीें होगी।
अपने पंद्रह वर्षों के कार्यकाल में शहर में विकास के नाम पर धाक जमाने वाली पालिकाध्यक्ष मिथलेश अग्रवाल ने कायमगंज नगर पालिका को प्रदेश की नंबर वन नगरपालिका का दर्जा दिलाने का गौरव हासिल किया है। उनके प्रयासों से ही नगर की हर छोटी बड़ी गली सड़क का निर्माण,नगर के हर मोहल्ले की पेयजल आपूर्ति सुधारने के लिए जनरेटर युक्त नलकूपों की स्थापना करना,शाम होते ही अंधेरे डूब जाने वाले शहर के मुख्य मार्गों को जनरेटर चलित स्ट्रीट लाइट से चकाचौंघ करना,बारिश से पहले नाली नालों की सफाई कराकर शहर को जलभराव की स्थिति से बचाने,समय से कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने और हर साल ८० प्रतिशत जलकर और ग्रहकर की वसूली संभव हो सकी है। उनके कुशल नेतृत्व के कारण ही शहर का चहुंमुखी विकास होने के बाद भी खजाने में पचास लाख की विशाल धनराशि मौजूद है। जिसके जरिए आने वाले पालिकाध्यक्ष को विकास कराने में कोई असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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