भदोही। विद्यालयों में फीस और वार्षिक वृद्धि को लेकर अभी भी कुछ विद्यालय सरकार के नियमों और गाईडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ विद्यालय ऐसे हैं जहां सरकार द्वारा तय अनुपात को ताक पे रख कर फीस वृद्धि कर दी जाती है। इसको लेकर अभिभावकों में रोष व्याप्त है। अभिभावकों का कहना है कि कुछ विद्यालय जो फीस में नियमों का पालन कर रहे हैं वे दूसरे तरीकों से छात्रों अथवा अभिभावकों से उगाही कर लेते हैं जिसकी ओर शासन प्रशासन का ध्यान नहीं है।
सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गत अगस्त में निजी विद्यालयों द्वारा फीस निर्धारित करते हुए तय किया था 1 से कक्षा 12 तक के विद्यालय अधिकतम 20 हजार रुपये वार्षिक फीस वसूल सकते हैं। इसके अलावा केवल 7 से 8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि कर सकेंगे तथा वृद्धि का लाभ अध्यापकों के वेतन में बढ़ोत्तरी करनी होगी। सरकार ने यह व्यवस्था भी दी है कि स्कूल फीस वृद्धि की जानकारी 60 दिन पहले से वेबसाइट अथवा नोटिस बोर्ड के माध्यम से प्रदर्शित भी करेंगे। सरकार के तेवरों से कुछ विद्यालयों ने हलांकि दिशा निर्देशों का पालन भी शुरू कर दिया है लेकिन यदि जांच की जाए अभी भी कई स्कूल ऐसे हैं जिन पर सरकार के नियमों का असर नहीं पड़ा है।
सेंट जेवियर्स स्कूल के प्रिंसिपल पवन द्विवेदी ने बताया कि उनके यहां फीस सरकार के दिशा निदेशों के दायरे में हैं। इतना ही नहीं फीस वृद्धि को भी सरकार के अनुसार रखा जाता है। बताया कि व्यवस्था पारदर्शी है। जंगीगंज स्थित जयराजी देवी पब्लिक स्कूल के प्रबंधक अजय कुमार मिश्र ने कहा कि हमारे यहां बच्चे के प्रवेश के समय ही एडमिशन फीस ली जाती है। इसके अलावा फीस प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित दायरे के अंदर है। कहा कि डिजिटल युग में अब सबकुछ पारदर्शी है और कोई भी गलत काम सरकार से छिपा कर नहीं की जा सकती।
विद्यालयों के दावों के बीच अभिभावकों का कहना है कि फीस वृद्धि का सच विद्यालयों में जाकर अथवा बच्चों की फीस स्लिप देख कर ही जानी जा सकती है। इसलिए शासन प्रशासन को इस पर गौर करते हुए समय समय पर इसकी जांच भी करनी चाहिए तब कार मनमाने फीस पर अंकुश लग सकता है।