लखनऊ में प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से हुआ आदेश, बुधवार को होगी रिहाई
बरेली। हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए दरगाह आला हजरत के नातख्वा कैफी अली को लखनऊ में प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत दे दी। उसकी जमानत के कागजात जेल पहुंच गए हैं और बुधवार को रिहाई होगी।
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद आरोपी बरेली पहुंचे थे। दरगाह के नातख्वा कैफी अली पर हत्यारोपियों को आश्रय देने का आरोप था। इसके चलते ही 22 नवंबर को सुबह करीब चार बजे कोहाड़ापीर स्थित आवास से एसटीएफ ने कैफी अली को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही कैफी अली की जमानत के प्रयास चल रहे थे। सोमवार को लखनऊ में प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में कैफी की जमानत पर सुनवाई हुई । बीस हजार रुपये के निजी मुचलके एवं दो जमानती पर सकी जमानत मंजूर कर ली गई। मंगलवार को जमानती दाखिल करने की प्रक्रिया हुई और रिहाई का परवाना लखनऊ जेल पहुंचा। मगर शाम होने के चलते रिहाई नहीं की गई।
नावेद भी हुआ था गिरफ्तार
कमलेश तिवारी हत्याकांड में बरेली से दो गिरफ्तारी हुई थीं। कैफी अली के बाद नावेद को गिरफ्तार किया था, वह अभी भी जेल में हैं। पुलिस ने नावेद के बैंक खातों का भी ब्योरा खंगाला था।
परिजन लखनऊ पहुंचे
सैफी को मंगलवार को जमानत तो मिल गई, मगर जेलर ने बाहर का बंदी होने के चलते रात में रिहा करने से मना कर दिया। लिहाजा बुधवार सुबह कैफी की रिहाई होगी। यह सूचना सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दी गई है। सैफी को लेेने के लिए उसकी मां आबिदा बेगम, मामू इशरत रजा समेत अन्य परिजन लखनऊ पहुंचे हैं।
जमात रजा ने की पैरवी
जमात रजा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान का कहना है कि जमात रजा मुस्तफा और मरकजे अहले सुन्नत बेकसूर लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे आया है। सैफी की जमानत के लिए भी जमात की ओर से प्रयास किए गए। सैफी बेकसूर पाया गया है, इसलिए जमानत मिल गई। जमानत के लिए अधिवक्ता अब्दुल शाहिद खां के साथ 11 वकीलों का पैनल था। इसमें लखनऊ के अधिवक्ता कृष्ण कुमार तिवारी सहित चार महिला वकील भी थीं।