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बरेली। ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ने की परियोजना को अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ ने साकार नहीं होने दिया। तमाम ग्राम पंचायतों में कागजों पर ही ओएफसी लाइनें बिछ गईं और अफसरों ने मौके पर सत्यापन किए बगैर ही उसका भुगतान भी कर दिया। परियोजना में करोड़ों के घोटाले का यह मामला कर्मचारी यूनियन की ओर से उठाए जाने के बाद अफसरों के साथ खेल करने वाले ठेकेदार भी सकते में हैं। बीएसएनएल के जीएम ने जिले में इस परियोजना के कामों की जांच के लिए कमेटी बना दी है। आगे जांच पूरी होने के बाद ही कोई भुगतान हो पाएगा।
नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद देशभर में करीब दो लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ने को कहा था। इसके लिए कार्ययोजना बनने के बाद यह काम बीएसएनएल को सौंप दिया गया। ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़े जाने के लिए बरेली में चार तहसीलों में करीब 60 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया और 2014 में ही टेंडर भी हो गए। शुरुआत में ही ठेका लेने वाली एक फर्म ने एक साल बाद काम छोड़ दिया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक बीएसएनएल ने काम की गुणवत्ता की जांच के लिए भौतिक सत्यापन शुरू कराया तो इस फर्म में बेचैनी फैल गई। सत्यापन के दौरान कहीं ओएफसी लाइन बिछी नहीं मिली तो कहीं सिर्फ पाइप मिला। काम पूरा न होने के बावजूद यह फर्म जोड़तोड़ से भुगतान भी ले चुकी थी। अब बताया जा रहा है कि फर्म ने बमुश्किल दस प्रतिशत भी काम नहीं किया था लेकिन भुगतान के लिए दबाव बना रही थी। इसी दौरान उस पर करीब 12 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका गया था।
हाल ही में इस परियोजना में बड़े घोटाले के आरोप लगने के बाद अब जीएम बीएसएनएल ने जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी है जो फर्म की ओर से कराए गए काम का भौतिक सत्यापन करने के साथ यह भी छानबीन करेगी उसे किन परिस्थितियों में कितना भुगतान किया गया है। इसके बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि इस जांच में ठेकेदारों से सिस्टम की सांठगांठ भी सामने आ सकती है।
31 अगस्त को रिटायर हुए मगर पहले ही करोड़ों का भुगतान करा गए सीजीएम
बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन ने मुख्य सतर्कता अधिकारी को दिए शिकायती पत्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर इस परियोजना के तहत सिर्फ कागजों पर काम होने का आरोप लगाया है। यूनियन का यह भी कहना है कि ठेका लेने वाली फर्मों को काम पूरा किए बगैर भुगतान किया जा रहा है। यूनियन के जिला सचिव अशरफ अली ने पत्र में कहा है कि मुख्य महाप्रबंधक पश्चिमी उत्तर प्रदेश दबाव डालकर ऐसे ठेकेदारों को भुगतान करा रहे हैं जिन्होंने कागजों पर काम किया है। उन्होंने लिखा है कि सीजीएम ने पिछले दिनों देर रात बरेली समेत कई जिलों के अफसरों को तलब कर बिना काम के भुगतान करने का दबाव बनाया था जिसके बाद कई जिलों में भुगतान कर दिया गया। आरोप है कि सीजीएम ने 31 अगस्त को रिटायर होने से पहले कई और भी विवादित काम कराए हैं। इसलिए इस परियोजना के भुगतान और कामों की जांच होनी जरूरी है।
बरेली। ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ने की परियोजना को अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ ने साकार नहीं होने दिया। तमाम ग्राम पंचायतों में कागजों पर ही ओएफसी लाइनें बिछ गईं और अफसरों ने मौके पर सत्यापन किए बगैर ही उसका भुगतान भी कर दिया। परियोजना में करोड़ों के घोटाले का यह मामला कर्मचारी यूनियन की ओर से उठाए जाने के बाद अफसरों के साथ खेल करने वाले ठेकेदार भी सकते में हैं। बीएसएनएल के जीएम ने जिले में इस परियोजना के कामों की जांच के लिए कमेटी बना दी है। आगे जांच पूरी होने के बाद ही कोई भुगतान हो पाएगा।
नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद देशभर में करीब दो लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ने को कहा था। इसके लिए कार्ययोजना बनने के बाद यह काम बीएसएनएल को सौंप दिया गया। ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़े जाने के लिए बरेली में चार तहसीलों में करीब 60 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया और 2014 में ही टेंडर भी हो गए। शुरुआत में ही ठेका लेने वाली एक फर्म ने एक साल बाद काम छोड़ दिया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक बीएसएनएल ने काम की गुणवत्ता की जांच के लिए भौतिक सत्यापन शुरू कराया तो इस फर्म में बेचैनी फैल गई। सत्यापन के दौरान कहीं ओएफसी लाइन बिछी नहीं मिली तो कहीं सिर्फ पाइप मिला। काम पूरा न होने के बावजूद यह फर्म जोड़तोड़ से भुगतान भी ले चुकी थी। अब बताया जा रहा है कि फर्म ने बमुश्किल दस प्रतिशत भी काम नहीं किया था लेकिन भुगतान के लिए दबाव बना रही थी। इसी दौरान उस पर करीब 12 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका गया था।
हाल ही में इस परियोजना में बड़े घोटाले के आरोप लगने के बाद अब जीएम बीएसएनएल ने जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी है जो फर्म की ओर से कराए गए काम का भौतिक सत्यापन करने के साथ यह भी छानबीन करेगी उसे किन परिस्थितियों में कितना भुगतान किया गया है। इसके बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि इस जांच में ठेकेदारों से सिस्टम की सांठगांठ भी सामने आ सकती है।
31 अगस्त को रिटायर हुए मगर पहले ही करोड़ों का भुगतान करा गए सीजीएम
बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन ने मुख्य सतर्कता अधिकारी को दिए शिकायती पत्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर इस परियोजना के तहत सिर्फ कागजों पर काम होने का आरोप लगाया है। यूनियन का यह भी कहना है कि ठेका लेने वाली फर्मों को काम पूरा किए बगैर भुगतान किया जा रहा है। यूनियन के जिला सचिव अशरफ अली ने पत्र में कहा है कि मुख्य महाप्रबंधक पश्चिमी उत्तर प्रदेश दबाव डालकर ऐसे ठेकेदारों को भुगतान करा रहे हैं जिन्होंने कागजों पर काम किया है। उन्होंने लिखा है कि सीजीएम ने पिछले दिनों देर रात बरेली समेत कई जिलों के अफसरों को तलब कर बिना काम के भुगतान करने का दबाव बनाया था जिसके बाद कई जिलों में भुगतान कर दिया गया। आरोप है कि सीजीएम ने 31 अगस्त को रिटायर होने से पहले कई और भी विवादित काम कराए हैं। इसलिए इस परियोजना के भुगतान और कामों की जांच होनी जरूरी है।
काम किए बिना फर्म भुगतान करने का दबाव बना रही हैं। फर्म ने इसके लिए सीजीएम कार्यालय से भी सिफारिश कराई है लेकिन इसकी जांच कराई जा रही और कमेटी भी बना दी है। फर्म ने काफी भुगतान सिस्टम को गुमराह कर ले लिया है। - चरणसिंह, जीएम बीएसएनएल