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बांदा : छाबी तालाब की हजारों मछलियां मरीं, संदेह और सवालों के बीच जांच शुरू
अमर उजाला नेटवर्क, बांदा
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 03 Jun 2021 01:16 AM IST
शहर की घनी आबादी के बीच स्थित प्राचीन छाबी तालाब में हजारों मछलियां मर गईं। कुछ लोग इसे शरारती तत्वों की करतूत बता रहे हैं तो कुछ मछलियों के मरने की वजह तालाब का दूषित पानी बता रहे हैं। डीएम ने मत्स्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं। नगर पालिका की सात टीमों को तालाब की सफाई में करीब छह घंटे लग गए।
मंगलवार को छाबी तालाब में बड़ी संख्या में मछलियां उतरा रही थीं। सभी मछलियां मर चुकी थीं। मोहल्ले वालों की सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट केशवनाथ गुप्ता और सीओ सिटी राकेश कुमार और नगर पालिका ईओ बीपी यादव और इंस्पेक्टर भास्कर मिश्र ने मौके पर जाकर तालाब का निरीक्षण किया। मोहल्ले वालों से पूछताछ की। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि लगातार दो दिन से मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है। सोमवार को इनकी संख्या काफी कम थी, लेकिन मंगलवार को पूरे तालाब में मछलियां उतराने लगीं। शरारती तत्वों द्वारा पानी में जहर मिलाने की आशंका जताई गई। कुछ लोगों ने मछलियों के मरने की मुख्य वजह तालाब का पानी प्रदूषित होना बताया है।
सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि डीएम के आदेश पर तालाब के पानी की जांच कराई जा रही है। मछलियों के मरने की जांच के लिए मत्स्य विभाग और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारियों की टीम गठित की गई है। उन्होंने बताया कि तालाब में मछली पालन नहीं होता। यहां दो तरह की सफेद व ब्लैक चाइना मछलियां पाई गईं। अभी भी कुछ मछलियां जीवित हैं। नगर पालिका सफाई कर्मियों ने घंटों मशक्कत के बाद तालाब साफ किया। मरीं मछलियों को तालाब किनारे गड्ढा खुदवाकर दफन करा दिया।
तालाब की सफाई को लगीं सात टीमें
नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी बीपी यादव ने बताया कि तालाब की सफाई के लिए सात टीमें लगाई गई हैं। मछलियों को निकालने के लिए उन्हें जाल भी उपलब्ध कराए गए हैं। मछलियों के मरने की ठोस वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। प्रथम दृष्टया किसी की शरारत प्रतीत होती है। फिर भी रसायन डालने या दूषित पानी होने की जांच शुरू हो गई। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट में पानी प्रदूषित पाया गया तो इसे बदला जाएगा। जल निकासी का प्रबंध न होने से तालाब का पानी गंदा हो गया है।
तालाब के सुंदरीकरण की मांग
भीषण गर्मी और कोरोना महामारी के बीच सड़ांध से तालाब के इर्दगिर्द रहने वाले लोग बेचैन थे। मोहल्ले के सुरेंद्र धुरिया, सुशील रैकवार, राजेश चौहान आदि ने कहा कि दुर्गंध से संक्रामक रोगों का खतरा मंडरा रहा था। उन्होंने अधिकारियों से तालाब का पानी बदलने और सुंदरीकरण की मांग की है। राष्ट्रीय तिरंगा वितरण समिति अध्यक्ष व समाजसेवी शोभाराम कश्यप ने बताया कि तालाब के सुंदरीकरण पर लाखों रुपये खर्च हो चुके। फिर भी इसके दिन नहीं बहुरे। उन्होंने तालाब को पार्क के रूप में विकसित करने का अनुरोध किया है।
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