पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
बैरिया। स्थानीय बाजार में उत्तर-प्रदेश सरकार खाद्य तथा रसद विभाग आरएमएस 2018-19 लिखी बोरियां बिक रही हैं। उधर गेहूं क्रय केंद्रों पर बोरियों की किल्लत बताकर किसानों को बाजार में बोरियां खरीदने का सुझाव दिया जा रहा है। किसानों की मानें तो केंद्रों पर गेहूं खरीद करते समय बोरियों में अंतर बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
गेहूं क्रय केंद्रों पर जिन 50 किलो की बोरियों में गेहूं पैकिंग की जाती है। प्लास्टिक की इन सफेद बोरियों पर उत्तर-प्रदेश सरकार खाद्य तथा रसद विभाग आरएमएस 2018-19 लिखा हुआ है। ठीक उसी तरह की प्लास्टिक की सफेद बोरियां नगर पंचायत की दुकानों पर बिक रही हैं। इन बोरियों पर भी उत्तर-प्रदेश सरकार खाद्य तथा रसद विभाग आरएमएस 2018-19 लिखा हुआ है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति यह अंदाजा नहीं लगा सकता है कि जो बाजारों में बोरिया बिक रही हैं वह बोरियां सरकारी नहीं है। लोगों की मानें तो बलिया शहर के लोहा पट्टी में भी इस तरह की बोरियां खुलेआम बिक रही हैं।
दुर्जनपुर निवासी अंबिका तिवारी ने कहा कि जब गेहूं क्रय केंद्र रानीगंज बाजार के पास सरकारी बोरियां नहीं थी तो हमारे बताने पर मार्केटिंग इंस्पेक्टर ने बाजार से बोरियां खरीदने की सलाह दी थी लेकिन जब मैं बाजार से खरीद कर उसमें गेहूं लेकर आया तो मार्केटिंग इंस्पेक्टर ने कहा कि हमारे गेहूं क्रय केंद्र की बोरियां व इस बाजार की बोरियों में अंतर है। इन बोरियों में गेहूं खरीद नहीं होगी। कहा कि इसके चलते उनको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस बाबत रानीगंज बाजार हाट गोदाम के मार्केटिंग इंस्पेक्टर प्रदीप जायसवाल ने कहा कि बाजारों में बिकने वाली बोरियां व गेहूं क्रय केंद्र की बोरियों में अंतर है लेकिन इसे विभाग को छोड़कर दूसरा कोई नहीं पकड़ सकता है।
बैरिया। स्थानीय बाजार में उत्तर-प्रदेश सरकार खाद्य तथा रसद विभाग आरएमएस 2018-19 लिखी बोरियां बिक रही हैं। उधर गेहूं क्रय केंद्रों पर बोरियों की किल्लत बताकर किसानों को बाजार में बोरियां खरीदने का सुझाव दिया जा रहा है। किसानों की मानें तो केंद्रों पर गेहूं खरीद करते समय बोरियों में अंतर बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
गेहूं क्रय केंद्रों पर जिन 50 किलो की बोरियों में गेहूं पैकिंग की जाती है। प्लास्टिक की इन सफेद बोरियों पर उत्तर-प्रदेश सरकार खाद्य तथा रसद विभाग आरएमएस 2018-19 लिखा हुआ है। ठीक उसी तरह की प्लास्टिक की सफेद बोरियां नगर पंचायत की दुकानों पर बिक रही हैं। इन बोरियों पर भी उत्तर-प्रदेश सरकार खाद्य तथा रसद विभाग आरएमएस 2018-19 लिखा हुआ है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति यह अंदाजा नहीं लगा सकता है कि जो बाजारों में बोरिया बिक रही हैं वह बोरियां सरकारी नहीं है। लोगों की मानें तो बलिया शहर के लोहा पट्टी में भी इस तरह की बोरियां खुलेआम बिक रही हैं।
दुर्जनपुर निवासी अंबिका तिवारी ने कहा कि जब गेहूं क्रय केंद्र रानीगंज बाजार के पास सरकारी बोरियां नहीं थी तो हमारे बताने पर मार्केटिंग इंस्पेक्टर ने बाजार से बोरियां खरीदने की सलाह दी थी लेकिन जब मैं बाजार से खरीद कर उसमें गेहूं लेकर आया तो मार्केटिंग इंस्पेक्टर ने कहा कि हमारे गेहूं क्रय केंद्र की बोरियां व इस बाजार की बोरियों में अंतर है। इन बोरियों में गेहूं खरीद नहीं होगी। कहा कि इसके चलते उनको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस बाबत रानीगंज बाजार हाट गोदाम के मार्केटिंग इंस्पेक्टर प्रदीप जायसवाल ने कहा कि बाजारों में बिकने वाली बोरियां व गेहूं क्रय केंद्र की बोरियों में अंतर है लेकिन इसे विभाग को छोड़कर दूसरा कोई नहीं पकड़ सकता है।