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बहराइच। जिला अस्पताल के डाक्टरों को रेफर करने का रोग लगा है। हालात यह है कि मरीज के भर्ती होते ही उसे रेफर करने की जुगत चिकित्सक लगाने लगते हैं। अगर मरीज के तीमारदार ने रेफर कराने से इन्कार किया तो डॉक्टर मरीज के जान की कोई जिम्मेदारी न होने की बात कहकर किनारा कस लेते हैं। इससे आए दिन झड़प की भी नौबत बनती है। इसके बावजूद मरीजों को धड़ल्ले से रेफर करने का खेल चल रहा है। छह माह में 1406 रोगियों को लखनऊ रेफर किया गया है।
बहराइच का जिला अस्पताल देवीपाटन मंडल का बेहतर अस्पताल माना जाता है। यहां पर बहराइच के अलावा पड़ोसी जिले गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती और नेपाल राष्ट्र के भी मरीज आते हैं। 201 बेड के इस अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 25-370 मरीज भर्ती किए जाते हैं। लेकिन मरीज के भर्ती होते ही उसका इलाज करने के बजाय डॉक्टर उसे कुछ न कुछ गंभीर बीमारी बताकर किनारा कसने के चक्कर में रेफर करने की जुगत में लग जाते हैं। इसके चलते बीते चार माह में छह बार मरीजों के तीमारदारों और चिकित्सकों में झड़प भी हो चुकी है। लेकिन रेफर करने का सिलसिला थम नहीं रहा। जनवरी से अब तक जिला अस्पताल से 1406 मरीज केजूएमयू लखनऊ व ट्रॉमा सेंटर रेफर किए गए हैं। इनमें कई मरीजों को लौटकर नर्सिंगहोम में अपना इलाज कराना पड़ा।
अकारण रेफर करने से लौटे 88 मरीज
जिला अस्पताल से अकारण रेफर करने के चलते अब तक 88 मरीजों के लौटने की पुष्टि अस्पताल के सूत्र कर रहे हैं। हालांकि इन मरीजों को नए सिरे से भर्ती कर अस्पताल प्रशासन ने अपनी कमी को दूर करने का प्रयास किया। वहीं कई मरीजों ने हीलाहवाली के चलते निजी अस्पताल की राह ली।
इस वर्ष भर्ती और रेफर मरीजों की स्थिति एक नजर में-
माह का नाम भर्ती मरीज रेफर
जनवरी 2854 313
फरवरी 3063 204
मार्च 2941 179
अप्रैल 3712 256
मई 3952 317
जून 3905 138
सिर्फ गंभीर मरीज ही होते रेफर
जिला अस्पताल से उन्ही मरीजों को लखनऊ रेफर किया जाता है जो गंभीर हालत में होते हैं। इनमें दुर्घटना, सीवियर हार्टअटैक, लीवर आदि रोगों के मरीज शामिल होते हैं। जिन रोगियों को वेंटीलेटर की जरूरत होती है। उन्हें भी रेफर करना पड़ता है। -डॉ. ओपी पांडेय सीएमएस
बहराइच। जिला अस्पताल के डाक्टरों को रेफर करने का रोग लगा है। हालात यह है कि मरीज के भर्ती होते ही उसे रेफर करने की जुगत चिकित्सक लगाने लगते हैं। अगर मरीज के तीमारदार ने रेफर कराने से इन्कार किया तो डॉक्टर मरीज के जान की कोई जिम्मेदारी न होने की बात कहकर किनारा कस लेते हैं। इससे आए दिन झड़प की भी नौबत बनती है। इसके बावजूद मरीजों को धड़ल्ले से रेफर करने का खेल चल रहा है। छह माह में 1406 रोगियों को लखनऊ रेफर किया गया है।
बहराइच का जिला अस्पताल देवीपाटन मंडल का बेहतर अस्पताल माना जाता है। यहां पर बहराइच के अलावा पड़ोसी जिले गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती और नेपाल राष्ट्र के भी मरीज आते हैं। 201 बेड के इस अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 25-370 मरीज भर्ती किए जाते हैं। लेकिन मरीज के भर्ती होते ही उसका इलाज करने के बजाय डॉक्टर उसे कुछ न कुछ गंभीर बीमारी बताकर किनारा कसने के चक्कर में रेफर करने की जुगत में लग जाते हैं। इसके चलते बीते चार माह में छह बार मरीजों के तीमारदारों और चिकित्सकों में झड़प भी हो चुकी है। लेकिन रेफर करने का सिलसिला थम नहीं रहा। जनवरी से अब तक जिला अस्पताल से 1406 मरीज केजूएमयू लखनऊ व ट्रॉमा सेंटर रेफर किए गए हैं। इनमें कई मरीजों को लौटकर नर्सिंगहोम में अपना इलाज कराना पड़ा।
अकारण रेफर करने से लौटे 88 मरीज
जिला अस्पताल से अकारण रेफर करने के चलते अब तक 88 मरीजों के लौटने की पुष्टि अस्पताल के सूत्र कर रहे हैं। हालांकि इन मरीजों को नए सिरे से भर्ती कर अस्पताल प्रशासन ने अपनी कमी को दूर करने का प्रयास किया। वहीं कई मरीजों ने हीलाहवाली के चलते निजी अस्पताल की राह ली।
इस वर्ष भर्ती और रेफर मरीजों की स्थिति एक नजर में-
माह का नाम भर्ती मरीज रेफर
जनवरी 2854 313
फरवरी 3063 204
मार्च 2941 179
अप्रैल 3712 256
मई 3952 317
जून 3905 138
सिर्फ गंभीर मरीज ही होते रेफर
जिला अस्पताल से उन्ही मरीजों को लखनऊ रेफर किया जाता है जो गंभीर हालत में होते हैं। इनमें दुर्घटना, सीवियर हार्टअटैक, लीवर आदि रोगों के मरीज शामिल होते हैं। जिन रोगियों को वेंटीलेटर की जरूरत होती है। उन्हें भी रेफर करना पड़ता है। -डॉ. ओपी पांडेय सीएमएस