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Mahant Narendra Giri Case: Hearing in High Court on Anand Giri's bail application, Court seeks response from CBI in four weeks
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महंत नरेंद्र गिरि केस : आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर हाईकोर्ट ने सीबीआई से मांगा जवाब
संवाद न्यूज एजेंसी, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 03 Dec 2021 08:39 PM IST
सार
आनंद गिरि के अधिवक्ता ने कहा कि याची को फंसाया गया है। खुदकुशी नोट संदिग्ध है। खुदकुशी नोट के अलावा अन्य कहीं उसका नाम नहीं आया है न ही उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई साक्ष्य है।
Prayagraj News : योग गुरु आनंद गिरि और महंत नरेंद्र गिरि। फाइल फोटो
- फोटो : प्रयागराज
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मठ बाघंबरी गद्दी के महंत व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के उकसाने के आरोप में जेल में बंद आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सीबीआई को तीन हफ्ते का समय दिया है। आनंद गिरि इसके पहले विशेष अदालत में जमानत अर्जी दाखिल कर चुके हैं, लेकिन विशेष अदालत ने उनकी याचना को खारिज कर दिया। इसके बाद आनंद गिरि ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है।
मामले की सुनवाई जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की एकल पीठ कर रही है। याची आनंद गिरि का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता इमरान उल्ला ने कोर्ट को बताया कि मामले में याची बेगुनाह है और उसे गलत तरीके से फंसाया गया है। याची के अधिवक्ता ने खुदकुशी नोट पर भी सवाल खड़े किए और उसे संदिग्ध बताया। कहा कि याची का नाम सुसाइड नोट में सामने आया है।
इसके अलावा याची के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। घटना के समय वह शहर से दूर हरिद्वार में था। उसे जार्जटाउन एसएचओ के द्वारा फोन पर घटना की जानकारी दी गई। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि खुदकुशी नोट में कटिंग है और अगस्त 2021 में दिवंगत हो चुके संत का भी नाम आया है और नोट मृतक महंत के द्वारा नहीं लिखा गया है। झूठे आरोप में याची 22 सितंबर से ही नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। सीबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने बहस की।
इस पर कोर्ट ने सीबीआई का पक्ष जानना चाहा। सीबीआई के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि मामले में दिल्ली की टीम जांच कर रही है। उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया जाए। लेकिन, याची के अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया। कहा कि मामला स्थानीय है और सीबीआई को इतना वक्त नहीं दिया जाना चाहिए। इस कोर्ट पर ने तीन हफ्ते में सीबीआई को जवाब देने का आदेश दिया। सीबीआई के अधिवक्ता संजय यादव ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
विस्तार
मठ बाघंबरी गद्दी के महंत व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के उकसाने के आरोप में जेल में बंद आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सीबीआई को तीन हफ्ते का समय दिया है। आनंद गिरि इसके पहले विशेष अदालत में जमानत अर्जी दाखिल कर चुके हैं, लेकिन विशेष अदालत ने उनकी याचना को खारिज कर दिया। इसके बाद आनंद गिरि ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है।
मामले की सुनवाई जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की एकल पीठ कर रही है। याची आनंद गिरि का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता इमरान उल्ला ने कोर्ट को बताया कि मामले में याची बेगुनाह है और उसे गलत तरीके से फंसाया गया है। याची के अधिवक्ता ने खुदकुशी नोट पर भी सवाल खड़े किए और उसे संदिग्ध बताया। कहा कि याची का नाम सुसाइड नोट में सामने आया है।
इसके अलावा याची के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। घटना के समय वह शहर से दूर हरिद्वार में था। उसे जार्जटाउन एसएचओ के द्वारा फोन पर घटना की जानकारी दी गई। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि खुदकुशी नोट में कटिंग है और अगस्त 2021 में दिवंगत हो चुके संत का भी नाम आया है और नोट मृतक महंत के द्वारा नहीं लिखा गया है। झूठे आरोप में याची 22 सितंबर से ही नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। सीबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने बहस की।
इस पर कोर्ट ने सीबीआई का पक्ष जानना चाहा। सीबीआई के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि मामले में दिल्ली की टीम जांच कर रही है। उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया जाए। लेकिन, याची के अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया। कहा कि मामला स्थानीय है और सीबीआई को इतना वक्त नहीं दिया जाना चाहिए। इस कोर्ट पर ने तीन हफ्ते में सीबीआई को जवाब देने का आदेश दिया। सीबीआई के अधिवक्ता संजय यादव ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
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