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मेले में प्रयागवाल सभा को जमीन आवंटन में पेच फंस सकता है। एसडीएम सदर ने अपने एक निर्णय में संस्था के पदाधिकारियों की पंजीकरण सूची को अवैधानिक करार देते हुए संस्था के चुनाव को ही निरस्त करने का फैसला सुना दिया है। भूमि आवंटन के दौरान संस्था के पदाधिकारियों से भी राय-मशविरा किया जाता है लेकिन जब पदाधिकारियों की सूची को ही अवैध ठहरा दिया गया तो प्रशासन किससे राय मशविरा करेगा। ऐसे में आवंटन प्रक्रिया के दौरान हंगामा हो सकता है। हालांकि अफसरों का दावा है कि कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि जमीन पदाधिकारियों को नहीं बल्कि प्रयागवालों के नाम आंवटित की जाती और उन्हीं के माध्यम से मेले में कल्पवासी बसते हैं।
प्रयागवाल सभी की कार्यकारिणी को लेकर दो गुटों में कई दिनों से विवाद चल रहा है। मामला सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स तक पहुंचा और उसके बाद और उसके बाद निर्णय के लिए एसडीएम सदर को मामला सौंप दिया गया। एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह ने इस पर निर्णय करते हुए कहा है कि प्रयागवाल सभा की ओर से प्रकाश चंद्र मिश्र, अजय कुमार पांडेय एवं संतोष कुमार की ओर से पदाधिकारियों के पंजीकरण की जो सूची सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स को सौंपी गई है, वह विधिक नहीं है। इसलिए दोनों पक्षों की ओर से कराया गया चुनाव निरस्त किया जाता है। इस आदेश के बाद दोनों गुटों में हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच मेले में प्रयागवाल सभा को जमीन भी आवंटित की जानी है। ऐसे में आवंटन प्रक्रिया के दौरान दोनों पक्षों में भिड़ंत होने की आशंका बनी हुई है। हालांकि एडीएम सिटी एसके शर्मा का दावा है कि ऐसा कुछ नहीं होगा। जमीन पदाधिकारियों नहीं, बल्कि प्रयागवालों के नाम से आवंटित की जाती है। ऐसे में पदाधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इस बीच एक और नया विवाद सामने आ गया कि चुनाव निरस्त होने के कारण अगर कोई पदाधिकारी नहीं रह गया है तो 19 दिसंबर को प्रशासन की तरफ से आयोजित गंगा पूजन के लिए तीर्थ पुरोहितों के रूप में किस पदाधिकारी को बुलाया जाए। एडीएम सिटी के मुताबिक इसका रास्ता भी निकाल लिया गया है। सभी पक्षों के लोगों को पूजा कराने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मेले में प्रयागवाल सभा को जमीन आवंटन में पेच फंस सकता है। एसडीएम सदर ने अपने एक निर्णय में संस्था के पदाधिकारियों की पंजीकरण सूची को अवैधानिक करार देते हुए संस्था के चुनाव को ही निरस्त करने का फैसला सुना दिया है। भूमि आवंटन के दौरान संस्था के पदाधिकारियों से भी राय-मशविरा किया जाता है लेकिन जब पदाधिकारियों की सूची को ही अवैध ठहरा दिया गया तो प्रशासन किससे राय मशविरा करेगा। ऐसे में आवंटन प्रक्रिया के दौरान हंगामा हो सकता है। हालांकि अफसरों का दावा है कि कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि जमीन पदाधिकारियों को नहीं बल्कि प्रयागवालों के नाम आंवटित की जाती और उन्हीं के माध्यम से मेले में कल्पवासी बसते हैं।
प्रयागवाल सभी की कार्यकारिणी को लेकर दो गुटों में कई दिनों से विवाद चल रहा है। मामला सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स तक पहुंचा और उसके बाद और उसके बाद निर्णय के लिए एसडीएम सदर को मामला सौंप दिया गया। एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह ने इस पर निर्णय करते हुए कहा है कि प्रयागवाल सभा की ओर से प्रकाश चंद्र मिश्र, अजय कुमार पांडेय एवं संतोष कुमार की ओर से पदाधिकारियों के पंजीकरण की जो सूची सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स को सौंपी गई है, वह विधिक नहीं है। इसलिए दोनों पक्षों की ओर से कराया गया चुनाव निरस्त किया जाता है। इस आदेश के बाद दोनों गुटों में हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच मेले में प्रयागवाल सभा को जमीन भी आवंटित की जानी है। ऐसे में आवंटन प्रक्रिया के दौरान दोनों पक्षों में भिड़ंत होने की आशंका बनी हुई है। हालांकि एडीएम सिटी एसके शर्मा का दावा है कि ऐसा कुछ नहीं होगा। जमीन पदाधिकारियों नहीं, बल्कि प्रयागवालों के नाम से आवंटित की जाती है। ऐसे में पदाधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इस बीच एक और नया विवाद सामने आ गया कि चुनाव निरस्त होने के कारण अगर कोई पदाधिकारी नहीं रह गया है तो 19 दिसंबर को प्रशासन की तरफ से आयोजित गंगा पूजन के लिए तीर्थ पुरोहितों के रूप में किस पदाधिकारी को बुलाया जाए। एडीएम सिटी के मुताबिक इसका रास्ता भी निकाल लिया गया है। सभी पक्षों के लोगों को पूजा कराने के लिए आमंत्रित किया गया है।