शहर के नामचीन विवेकानंद कॉलेज संचालक व अधिवक्ता अनिल सारस्वत के पिता की 18 साल पहले अपहरण के बाद हत्या में दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। साथ ही जुर्माना भी तय किया है। गोंडा क्षेत्र के गांव धौरापालन में प्रधानी चुनाव की रंजिश में हुई बुजुर्ग की हत्या में यह फैसला एडीजे-प्रथम संतोष कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय से सुनाया गया है।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता अमर सिंह तोमर के अनुसार वादी अनिल कुमार सारस्वत ने 9 नवंबर 1997 को अपने 65 वर्षीय पिता निरंजनलाल के अपहरण का मुकदमा गोंडा थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कराया था। मुकदमे के अनुसार उनके माता-पिता गांव में रहते थे, जबकि वह शहर में रहते थे। 8 नवंबर को उनकी मां रिश्तेदारी में लखनऊ गई थीं, जबकि पिता गांव में अकेले थे।
इसके चलते अनिल शहर से अपने पिता को खाना देने 9 नवंबर की दोपहर को गांव गए तो घर का दरवाजा खुला पड़ा था और पिता गायब थे, जबकि उनके पिता की घड़ी, चश्मा, जूता आदि सामान घर में ही रखे थे। उन्हें कुछ अंदेशा हुआ, इसके चलते अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद 16 नवंबर को गांव के लोगों की सूचना पर निरंजनलाल का शव गांव के बंबे में पुल से दो फलांग आगे बेल में अटका हुआ मिला।
पोस्टमार्टम में उनकी हत्या चाकुओं से गोदकर किया जाना स्पष्ट हुआ। इस मामले में पुलिस ने जांच व गवाही के आधार पर गांव के ही विष्णु व नौबत सिंह को आरोपी बनाया और उनकी निशानदेही से चाकू व मृत निरंजनलाल का खून से सना पाजामा आदि सामान बरामद किया। इसके आधार पर दोनों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी। इस मामले में कई लोगों की ओर से यह गवाही दी गई कि दोनों के साथ आखिरी बार उन्हें देखा गया था।
वहीं वादी अनिल कुमार सारस्वत की ओर से यह दलील दी गई कि उनके परिवार की गांव के कुछ लोगों से 89 में हुए प्रधानी के चुनाव को लेकर रंजिश चली आ रही है। उसी रंजिश में समझौता कराने के इरादे से उनके पिता को आरोपी धोखे से बुलाकर ले गए और फिर उनकी हत्या कर दी।
सत्र परीक्षण के लिए मुकदमा अदालत में शुरू हुआ, जहां साक्ष्यों व गवाही के आधार पर दोनों आरोपियों को उम्रकैद व 18-18 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। बता दें कि इनमें से एक आरोपी विष्णु को पूर्व में भी एक अन्य अपहरण के मुकदमे में सजा हो चुकी है। इस मामले में एसपी सिंह, दुर्गेश चंद्र गौतम व अनिल सारस्वत एडवोकेट ने भी वादी पक्ष से पैरवी की है।
शहर के नामचीन विवेकानंद कॉलेज संचालक व अधिवक्ता अनिल सारस्वत के पिता की 18 साल पहले अपहरण के बाद हत्या में दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। साथ ही जुर्माना भी तय किया है। गोंडा क्षेत्र के गांव धौरापालन में प्रधानी चुनाव की रंजिश में हुई बुजुर्ग की हत्या में यह फैसला एडीजे-प्रथम संतोष कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय से सुनाया गया है।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता अमर सिंह तोमर के अनुसार वादी अनिल कुमार सारस्वत ने 9 नवंबर 1997 को अपने 65 वर्षीय पिता निरंजनलाल के अपहरण का मुकदमा गोंडा थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कराया था। मुकदमे के अनुसार उनके माता-पिता गांव में रहते थे, जबकि वह शहर में रहते थे। 8 नवंबर को उनकी मां रिश्तेदारी में लखनऊ गई थीं, जबकि पिता गांव में अकेले थे।
इसके चलते अनिल शहर से अपने पिता को खाना देने 9 नवंबर की दोपहर को गांव गए तो घर का दरवाजा खुला पड़ा था और पिता गायब थे, जबकि उनके पिता की घड़ी, चश्मा, जूता आदि सामान घर में ही रखे थे। उन्हें कुछ अंदेशा हुआ, इसके चलते अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद 16 नवंबर को गांव के लोगों की सूचना पर निरंजनलाल का शव गांव के बंबे में पुल से दो फलांग आगे बेल में अटका हुआ मिला।
पोस्टमार्टम में उनकी हत्या चाकुओं से गोदकर किया जाना स्पष्ट हुआ। इस मामले में पुलिस ने जांच व गवाही के आधार पर गांव के ही विष्णु व नौबत सिंह को आरोपी बनाया और उनकी निशानदेही से चाकू व मृत निरंजनलाल का खून से सना पाजामा आदि सामान बरामद किया। इसके आधार पर दोनों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी। इस मामले में कई लोगों की ओर से यह गवाही दी गई कि दोनों के साथ आखिरी बार उन्हें देखा गया था।
वहीं वादी अनिल कुमार सारस्वत की ओर से यह दलील दी गई कि उनके परिवार की गांव के कुछ लोगों से 89 में हुए प्रधानी के चुनाव को लेकर रंजिश चली आ रही है। उसी रंजिश में समझौता कराने के इरादे से उनके पिता को आरोपी धोखे से बुलाकर ले गए और फिर उनकी हत्या कर दी।
सत्र परीक्षण के लिए मुकदमा अदालत में शुरू हुआ, जहां साक्ष्यों व गवाही के आधार पर दोनों आरोपियों को उम्रकैद व 18-18 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। बता दें कि इनमें से एक आरोपी विष्णु को पूर्व में भी एक अन्य अपहरण के मुकदमे में सजा हो चुकी है। इस मामले में एसपी सिंह, दुर्गेश चंद्र गौतम व अनिल सारस्वत एडवोकेट ने भी वादी पक्ष से पैरवी की है।