मंगलवार की शाम को छह से सात बजे तक जब सैमरा गांव जल रहा था, तब खंदौली थाने की पुलिस आगरा में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की वीआईपी ड्यूटी बजा रही थी।
मौके पर यूपी-100 के सिर्फ चार पुलिसकर्मी थे, जो असहाय बनकर एक कोने में चुप खड़े रहे। उन्होंने अपने मोबाइल से बलवाइयों के फोटो तक नहीं खींचे। थाने की फोर्स तब पहुंची, जब 15 दुकानें जल चुकी थीं, दो दुकानदार पीटकर घायल किए जा चुके थे, पांच घरों में तोड़फोड़ की जा चुकी थी।
इसके बाद भी पुलिस एक भी बलवाई को गिरफ्तार नहीं कर पाई। रात दो बजे तक उनकी पहचान भी नहीं की जा सकी थी। पुलिस का सूचना तंत्र इतना कमजोर है कि गांव के प्रधान को बुलाया जा रहा था कि वह आएं और कुछ बता दें। मौके पर मौजूद रहे पुलिसकर्मी थाने पर फोन मिलाते रहे। बवाल की सूचना तुरंत मिल गई थी। इसके बावजूद पुलिस देरी से पहुंची।
60 फीसदी स्टाफ वीआईपी ड्यूटी में लगा था। थाना प्रभारी भी वहीं गए थे। थाने पर मौजूद दरोगाओं ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। आसपास के थानों से फोर्स मंगाई जा सकती थी।
इसमें देरी की गई। नतीजा यह हुआ कि बलवाइयों को जितना बवाल करना था, जितनी दुकानें फूंकनी थीं, उन्होंने वह किया। आग बुझाने के लिए तीन दमकल लगाई गईं। सीएफओ अक्षय रंजन को भी बुलाया गया।
एक लाइन की दुकानों में की आगजनी
सैमरा के मुख्य चौराहे पर ही बाजार है। इसकी एक लाइन में एक ही समुदाय की 15 दुकानें हैं। इन सभी में आग लगाई गई। ये दुकानें परचून, सैलून, मोबाइल, ऑटोमोबाइल, आटा चक्की, सिलाई मशीन रिपेयरिंग की हैं। दो बैंड हैं। एक घर में चार कार खड़ी थीं। इसमें भी आग लगाई गई। कारों को नुकसान पहुंचा है।
सिलिंडर फटने से फैली दहशत
दुकानों में तोड़फोड़ के बाद जब सबसे पहली दुकान में आग लगाई गई तो तेज धमाका हुआ। यह साइकिल रिपेयरिंग की दुकान थी। अंदर हवा भरने वाली मशीन रखी थी। इसका सिलिंडर आग से फट गया था। आवाज बहुत दूर तक गई। आसपास के लोग दहशत में आ गए।
टाइम लाइन
दोपहर 1:00 बजे : छात्रा की तलाश शुरू हुई, लोग स्कूल पहुंचे।
दोपहर 2:00 बजे : लोग थाने पहुंचे, तहरीर दी, रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।
दोपहर 2:30 बजे : छात्रा के मामा के घर फोन आया। आरोपी ने धमकी दी कि पुलिस से शिकायत मत करना।
दोपहर 3:00 बजे : हल्ला मचा कि अपहरण तीन युवकों ने किया है, उनके नाम चर्चा में आए।
दोपहर 4:00 बजे : गांव में यूपी-100 की जीप पहुंची, इसमें चार पुलिसकर्मी थे।
शाम 5:00 बजे : लोग चौराहे पर इकट्ठा होना शुरू हुए, पुलिस ने हलके में लिया, उन्हें रोका नहीं।
शाम 6:00 बजे : चौराहे पर जमा हुए लोगों ने दूसरे समुदाय की दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर दी।
शाम 7:00 बजे : थाना पुलिस पहुंची, बलवाई भाग गए, एक भी नहीं पकड़ा गया।
रात 8:00 बजे : एसएसपी बबलू कुमार पहुंचे, गांव में पीएसी लगा दी गई।
रात 8:15 बजे : आईजी रेंज ए सतीश गणेश और डीएम एनजी रवि कुमार भी पहुंच गए, गांव का दौरा किया।
मंगलवार की शाम को छह से सात बजे तक जब सैमरा गांव जल रहा था, तब खंदौली थाने की पुलिस आगरा में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की वीआईपी ड्यूटी बजा रही थी।
मौके पर यूपी-100 के सिर्फ चार पुलिसकर्मी थे, जो असहाय बनकर एक कोने में चुप खड़े रहे। उन्होंने अपने मोबाइल से बलवाइयों के फोटो तक नहीं खींचे। थाने की फोर्स तब पहुंची, जब 15 दुकानें जल चुकी थीं, दो दुकानदार पीटकर घायल किए जा चुके थे, पांच घरों में तोड़फोड़ की जा चुकी थी।
इसके बाद भी पुलिस एक भी बलवाई को गिरफ्तार नहीं कर पाई। रात दो बजे तक उनकी पहचान भी नहीं की जा सकी थी। पुलिस का सूचना तंत्र इतना कमजोर है कि गांव के प्रधान को बुलाया जा रहा था कि वह आएं और कुछ बता दें। मौके पर मौजूद रहे पुलिसकर्मी थाने पर फोन मिलाते रहे। बवाल की सूचना तुरंत मिल गई थी। इसके बावजूद पुलिस देरी से पहुंची।