जोंस मिल में प्रशासन की लचर कार्यशैली से सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की कवायद अधर में लटकी है। पिछले नौ महीने में 107 करोड़ रुपये में से महज 6 करोड़ रुपये की जमीन मुक्त कराई है। बाकी 101 करोड़ रुपये की जमीन को लेकर नगर निगम, राजस्व, नजूल, पुलिस व अन्य विभाग लापरवाही बरत रहे हैं, जिसका लाभ भूमाफिया उठा रहे हैं।
मौजा घटवासन के जीवनी मंडी क्षेत्र में जोंस मिल कंपाउंड हैं। जिसके लिए 100 साल पहले तत्कालीन कलक्टर व अन्य विभागों ने विभिन्न शर्तों के तहत 8.8325 एकड़ जमीन मुहैया कराई थी। अन्य जमीन पट्टेदारों से ली गई। प्रशासन ने जांच में ढाई हजार करोड़ रुपये की जमीन का फर्जीवाड़ा पकड़ा था।
दिसंबर में जिलाधिकारी ने सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए नगर निगम, तहसील, पुलिस, सिंचाई व अन्य संबंधित विभागों को आदेश दिए थे। कुल 107 करोड़ रुपये कीमत की 8.83 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जे थे। नौ महीने बीत गए। तीन दिन पहले सिर्फ सिंचाई विभाग ने 1971 वर्ग मीटर नहर भूमि आस्था सिटी बिल्डर से मुक्त कराई है। जिसकी सर्किल रेट के मुताबिक कीमत छह करोड़ है। जोंस मिल प्रकरण में तीन भूमाफिया भी घोषित हो चुके हैं। अन्य लोगों के विरुद्ध कार्रवाई अधर में है।
इन गाटा में सरकारी जमीनें
जोंस मिल में सबसे ज्यादा नजूल भूमि है। क्षेत्रीय अभिलेखागार के रिकॉर्ड के मुताबिक गाटा संख्या 2088 में करीब 4581 वर्ग गज जमीन है। जिसकी कीमत 54 करोड़ रुपये है। अन्य गाटा में 7.28 एकड़ सिंचाई भूमि है। जिसकी कीमत 60 करोड़ है। गाटा 2072, 2078, 2065 में भी सरकारी जमीनें हैं। प्रशासन ने 23 गाटा में करीब 100 बीघा जमीन की जांच कराई है। जिसमें सरकारी व निजी कुल 2596 करोड़ रुपये कीमत की जमीन खुर्दबुर्द हो चुकी हैं।
ईओडब्यू में चल रही जांच
भूमाफिया हेमेंद्र अग्रवाल उर्फ चुनमुन की पत्नी के आवेदन पर जोंस मिल प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) कर रही है। प्रशासनिक जांच में शामिल अधिकारियों से भी पूछताछ के लिए नोटिस भेजे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन पर भी दोहरा दबाव है। एक तरफ ईओडब्लू को जवाब देना है दूसरी तरफ भूमाफिया के कब्जे से सरकारी जमीन छुड़ानी हैं।
प्रशासन कर रहा पैरवी
प्रशासन की तरफ से ईओडब्लू में प्रभावी पैरवी की जा रही है। जमीन को मुक्त कराया जा रहा है। अन्य विभाग भी जल्द अपनी जमीन पर कब्जे लेंगे।
- प्रभु एन सिंह, जिलाधिकारी
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विस्तार
जोंस मिल में प्रशासन की लचर कार्यशैली से सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की कवायद अधर में लटकी है। पिछले नौ महीने में 107 करोड़ रुपये में से महज 6 करोड़ रुपये की जमीन मुक्त कराई है। बाकी 101 करोड़ रुपये की जमीन को लेकर नगर निगम, राजस्व, नजूल, पुलिस व अन्य विभाग लापरवाही बरत रहे हैं, जिसका लाभ भूमाफिया उठा रहे हैं।
मौजा घटवासन के जीवनी मंडी क्षेत्र में जोंस मिल कंपाउंड हैं। जिसके लिए 100 साल पहले तत्कालीन कलक्टर व अन्य विभागों ने विभिन्न शर्तों के तहत 8.8325 एकड़ जमीन मुहैया कराई थी। अन्य जमीन पट्टेदारों से ली गई। प्रशासन ने जांच में ढाई हजार करोड़ रुपये की जमीन का फर्जीवाड़ा पकड़ा था।
दिसंबर में जिलाधिकारी ने सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए नगर निगम, तहसील, पुलिस, सिंचाई व अन्य संबंधित विभागों को आदेश दिए थे। कुल 107 करोड़ रुपये कीमत की 8.83 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जे थे। नौ महीने बीत गए। तीन दिन पहले सिर्फ सिंचाई विभाग ने 1971 वर्ग मीटर नहर भूमि आस्था सिटी बिल्डर से मुक्त कराई है। जिसकी सर्किल रेट के मुताबिक कीमत छह करोड़ है। जोंस मिल प्रकरण में तीन भूमाफिया भी घोषित हो चुके हैं। अन्य लोगों के विरुद्ध कार्रवाई अधर में है।