कासगंज। लोकसभा चुनाव में जन अधिकार पार्टी से गठबंधन करने के बाद भी कांग्रेस को एटा लोकसभा सीट पर किनारा नहीं मिल सका। इस चुनाव में कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया। प्रत्याशी को 2014 के चुनाव से आधे वोट भी हासिल नहीं हो सके।
एटा लोकसभा के लिए 1952 में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रोहन लाल चतुर्वेदी ने जीत हासिल की। इस लोकसभा क्षेत्र में हुए अब तक के 17 आम चुनाव में पांच बार कांग्रेस प्रत्याशी जीत हासिल करने में सफल रहे। इस लोकसभा में 1980 का चुनाव कांग्रेस के लिए आखिरी चुनाव रहा। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मु्शीर अहमद ने जनता पार्टी प्रत्याशी महा दीपक सिंह को 8340 वोटों से हराया। इसके बाद से एटा लोकसभा में कांग्रेस के लिए सूख पड़ गया। इस चुुनाव के बाद हुए 1984 के चुनाव में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में भी कांग्रेस जीत हासिल नहीं कर सकी। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मुशीर अहमद को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 1989 के चुनाव में भी पार्टी दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद 1999 तक हुए पांच चुनाव में पार्टी चौथे पायदान पर खिसक गई। जबकि 2009 के चुनाव में पार्टी को पांचवां पायदान मिला। प्रत्याशी 25048 वोट पाने में सफल रहे। जनपद में अपनी खोई जमीन पाने के लिए 2014 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस महानदल के साथ गठबंधन में उतरी। महानदल प्रत्याशी भी कांग्रेस के लिए संजीवनी नहीं बन सके। प्रत्याशी जोगेंद्र सिंह चौथे स्थान पर तो आए, लेकिन उनको मात्र 12445 वोट मिल सके। 2019 के चुनाव में पार्टी ने फिर से जनअधिकार पार्टी से समझौता किया। इस क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं की बहुल्यता को देखते हुए जनअधिकारी पार्टी ने पूर्व मंत्री सूरज सिंह शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन सूरज सिंह 5126 वोट ही पा सके। उनको नोटा से भी कम वोट इस चुनाव में मिले।
कासगंज। लोकसभा चुनाव में जन अधिकार पार्टी से गठबंधन करने के बाद भी कांग्रेस को एटा लोकसभा सीट पर किनारा नहीं मिल सका। इस चुनाव में कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया। प्रत्याशी को 2014 के चुनाव से आधे वोट भी हासिल नहीं हो सके।
एटा लोकसभा के लिए 1952 में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रोहन लाल चतुर्वेदी ने जीत हासिल की। इस लोकसभा क्षेत्र में हुए अब तक के 17 आम चुनाव में पांच बार कांग्रेस प्रत्याशी जीत हासिल करने में सफल रहे। इस लोकसभा में 1980 का चुनाव कांग्रेस के लिए आखिरी चुनाव रहा। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मु्शीर अहमद ने जनता पार्टी प्रत्याशी महा दीपक सिंह को 8340 वोटों से हराया। इसके बाद से एटा लोकसभा में कांग्रेस के लिए सूख पड़ गया। इस चुुनाव के बाद हुए 1984 के चुनाव में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में भी कांग्रेस जीत हासिल नहीं कर सकी। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मुशीर अहमद को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 1989 के चुनाव में भी पार्टी दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद 1999 तक हुए पांच चुनाव में पार्टी चौथे पायदान पर खिसक गई। जबकि 2009 के चुनाव में पार्टी को पांचवां पायदान मिला। प्रत्याशी 25048 वोट पाने में सफल रहे। जनपद में अपनी खोई जमीन पाने के लिए 2014 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस महानदल के साथ गठबंधन में उतरी। महानदल प्रत्याशी भी कांग्रेस के लिए संजीवनी नहीं बन सके। प्रत्याशी जोगेंद्र सिंह चौथे स्थान पर तो आए, लेकिन उनको मात्र 12445 वोट मिल सके। 2019 के चुनाव में पार्टी ने फिर से जनअधिकार पार्टी से समझौता किया। इस क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं की बहुल्यता को देखते हुए जनअधिकारी पार्टी ने पूर्व मंत्री सूरज सिंह शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन सूरज सिंह 5126 वोट ही पा सके। उनको नोटा से भी कम वोट इस चुनाव में मिले।