हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में सदियों पुरानी लोक संस्कृति और परंपरा को संजोए रखने के लिए मशहूर माघी पर्व की धूम शुरू होने वाली है। रविवार से उत्सव का आगाज होगा। इसी के साथ पूरे इलाके में जगह-जगह बकरे काटने का दौर भी शुरू होने वाला है। उत्सव के उपलक्ष्य पर गिरिपार क्षेत्र में हजारों बकरे काटे जाएंगे। माघी पर्व के मौके पर समूचे गिरिपार में विशेष पकवान बनाए जाएंगे। इनमें मुडानटी, मूड़ा आदि शामिल हैं। 11 जनवरी को डिमांटी पर्व मनाया जाएगा। इसमें ग्रामीण घी के साथ घिंडा परोसेंगे। 12 जनवरी को असकांटी पर्व मनाया जाएगा। हर घर में असकली बनाए जाएंगे। इसी दिन से कई इलाकों में बकरे कटने शुरू हो जाएंगे। 14 जनवरी को संक्रांति पर लोग अपने कुल देवता के दरबार जाएंगे। कई गांवों में नाटियों का दौर चलेगा। गौरतलब है कि त्योहार तथा पंचायत चुनाव के चलते क्षेत्र में अचानक बकरों की कीमत में उछाल आ गया है। 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से जिंदा बकरा बिक रहा है।
गिरिपार के अंतर्गत आने वाले सिरमौर जिले के विकास खंड संगड़ाह, शिलाई और राजगढ़ में हालांकि 95 फीसदी के करीब किसान परिवार पशु पालते हैं, मगर पिछले चार दशकों में इलाके के युवाओं का रुझान सरकारी नौकरी, नकदी फसलों और व्यवसाय की ओर बढ़ने से क्षेत्र में बकरियों को पालने का चलन घटा है।
गिरिपार अथवा सिरमौर में बकरों की कमी के चलते क्षेत्रवासी देश की बड़ी मंडियों से बकरे खरीद रहे हैं। क्षेत्र में मीट का कारोबार करने वाले व्यापारी इन दिनों राजस्थान, सहारनपुर, नोएडा और देहरादून आदि मंडियों से बकरे उपलब्ध करवा रहे हैं। नौहराधार के संत राम, राम लाल, मोहन लाल, अतर सिंह, राम स्वरूप, सोमदत्त, विद्या दत्त, वेद प्रकाश ने बताया कि इलाके में इन दिनों उत्सव की तैयारियां चल रही हैं। उत्सव का दौर शुरू हो गया है। मंडियों से बकरे लाए जा रहे हैं।