सोमवार को प्राचीन पांडव टीले पर पिछले चार दिनों के बाद उत्खनन कार्य शुरू हुआ जिसमें पुरातत्व विभाग की टीम को कई प्राचीन अवशेष और टेराकोटा के रिंग वेल प्राप्त हुए। पांडव टीला उल्टा खेड़ा पर मेरठ सर्किल के पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारियों के नेतृत्व में चल रहा खोदाई कार्य बारिश के बाद बंद हो गया था।
सोमवार को पुरातत्व विभाग की टीम को मिट्टी के प्राचीन चित्रित मृदभांड, प्राचीन दीवारें, टेराकोटा के ढक्कन के अवशेष, मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले हैं। इसके साथ ही एक ट्रेंच में दो टेराकोटा के रिंग वेल निकले हैं।
पहले रिंग वेल की खोदाई पुरातत्व विभाग की टीम ने करीब चार फीट तक कर दी है। वहीं सोमवार को उसी रिंग वेल के पास करीब 6 फीट की दूरी पर दूसरा प्राचीन रिंग वेल प्राप्त हुआ है। सोमवार को मिले सभी अवशेष किस काल के हैं यह जानने के लिए इन्हें पुरातत्व विभाग की लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा।
पूर्व में हुई खोदाई में भी मिले थे प्राचीन अवशेष
पांडव टीले पर 1950-52 में भी सरकार द्वारा उत्खनन कार्य कराया गया था जहां पर कई प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए थे परंतु किन्ही कारणों से उत्खनन कार्य रोक दिया गया था अब 70 वर्ष बाद एक बार फिर सरकार ने पांडव टीले पर उत्खनन कार्य शुरू कराया है जिसमें कई प्राचीन अवशेष अभी तक पुरातत्व विभाग की टीम को मिल चुके हैं और बड़े साक्ष्य मिलने की संभावना जताई जा रही है।
पांडव टीला उल्टा खेड़ा से उत्खनन के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को ऐतिहासिक युग के कई प्राचीन अवशेष मिले। इनमें दो प्राचीन मनके, सिलबट्टा, प्राचीन मृदभांड, टेराकोटा की खिलौना गाड़ी का एक पहिया व टेराकोटा की डिस्क, टेराकोटा का प्राचीन झावा, हड्डियों के अवशेषों के साथ-साथ कार्बोनेटेड चावल, गेहूं, एवं उड़द की दाल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
प्राचीन मिट्टी के बर्तनों के अवशेष टेराकोटा के अवशेष प्राप्त हो रहे हैं। पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा किए जा रहे उत्खनन में अभी तक ऐतिहासिक काल की खुदाई चल रही है। उत्खनन में निकलीं कुछ दीवारें राजपूत काल की बताई जा रही हैं। अभी तक उत्खनन में मिले अवशेषों को विभाग की टीम ने अलग-अलग एकत्रित कर जांच के लिए पुरातत्व विभाग की लैब में भेजा है।