मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने उपचुनाव में मतदान के प्रति अपनी पूरी जिम्मेदारी नहीं निभाई। यही कारण रहा कि आम चुनाव की तुलना में उपचुनाव में वोटिंग प्रतिशत गिर गया। 2019 के चुनाव की अपेक्षा इस बार उप चुनाव में तीन प्रतिशत मतदान कम हुआ। मैनपुरी के मतदाताओं में इस बार मतदान को लेकर जोश कम दिखा। इस बार मतदाता प्रथम श्रेणी हासिल नहीं कर पाए। उपचुनाव में जिले में 54.37 प्रतिशत ही मतदान हुआ, जबकि 2019 में हुए आम चुनाव में मतदान का यह प्रतिशत 57.37 प्रतिशत रहा था। बात 2014 के चुनाव की करें तो उस वक्त 60.46 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट करके लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाया था।
मतदान कम होने के पीछे का कारण उपचुनाव में मतदाताओं द्वारा दिलचस्पी कम लेना रहा। मौसम खुश मिजाज होने के बाद भी मतदाता घरों से कम निकले। कुल मिलाकर प्रचार प्रसार का भी अभाव उपचुनाव में देखने को मिला। प्रशासन ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं की। नतीजा रहा कि मतदान प्रतिशत औंधे मुंह गिर गया। घटे मतदान से किसको नफा (फायदा) और नुकसान होगा, यह आठ दिसंबर को पता चलेगा।
मतदान कम होने के पीछे का कारण उपचुनाव में मतदाताओं द्वारा दिलचस्पी कम लेना रहा। मौसम खुश मिजाज होने के बाद भी मतदाता घरों से कम निकले। कुल मिलाकर प्रचार प्रसार का भी अभाव उपचुनाव में देखने को मिला। प्रशासन ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं की। नतीजा रहा कि मतदान प्रतिशत औंधे मुंह गिर गया। घटे मतदान से किसको नफा (फायदा) और नुकसान होगा, यह आठ दिसंबर को पता चलेगा।